बीजेपी व शिवसेना के इन ‘बलात्कारी’ नेताओं के साथ क्या किया जाए?

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BeyondHeadlines News Desk

दीमापुर में फरीद खान की गई नृशंस हत्या के बाद उठा विवाद अब थमने का नाम नहीं ले रही है. शिवसेना व बीजेपी नेताओं के बयान इसे अलग ही राजनीतिक रंग दे रहे हैं. एक तरफ पीट-पीटकर की गयी इस हत्या पर केंद्र सरकार ने नागालैंड सरकार से रिपोर्ट मांगी है, तो दूसरी तरफ बीजेपी के नेता और उसकी सहयोगी शिवसेना ने भीड़ के गुस्से को वाजिब ठहराने की कोशिश करते हुए कहा है कि यह महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों पर जनाक्रोश को दिखाता है.

शिवसेना ने अपने संपादकीय ‘सामना’ में कहा है, ”दिल्ली में निर्भया कांड के आरोपियों के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए था”. ‘सामना’ में लिखे गए एक संपादकीय में नागालैंड में एक कथित बलात्कारी को सरेआम भीड़ द्वारा जेल से निकालकर फांसी देने को जायज ठहराया गया है और कहा गया है कि ”जो काम दिल्ली में होना चाहिए था वो नागालैंड में हुआ है, क्योंकि दिल्ली में निर्भया कांड का आरोपी अब भी जेल में बंद हैं और कोई हीरो की तरह आकर इंटरव्यू लेता है और बीबीसी जैसा चैनल उसे चला रही है जिस वजह से वैश्विक स्तर पर देश को शर्मसार होना पड़ा है.”

तो वहीं इस घटना को उचित मानते हुए मध्यप्रदेश में सत्तारुढ भाजपा की राज्य इकाई की उपाध्यक्ष और पार्टी की स्थानीय विधायक उषा ठाकुर का कहना है कि दुष्कर्मियों को सार्वजनिक रुप से फांसी पर लटकाने का कानून बनाना चाहिये और उनका अंतिम संस्कार भी नहीं किया जाना चाहिये. उन्होंने यह भी कहा कि अब मानवाधिकार के नाम पर चल रहा ढोंग बंद होना चाहिये, जो महिला उत्पीड़न के आरोपियों को लाभ पहुंचाता है.

गंभीर सवाल यह है कि शिवसेना व बीजेपी अपने ‘बलात्कारी’ नेताओं के नाम पर खामोश क्यों हो जाती हैं? क्या उनके लिए सख्त क़ानून की दरकार नहीं है? क्या उन्हें भी फरीद खान की तरह पीट-पीट कर नहीं मार देना चाहिए? या फिर वो सिर्फ आरोपी हैं? या फिर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे या बीजेपी विधायक उषा ठाकुर को उनके नाम व घटना नहीं मालूम?

आईए! शिवसेना व बीजेपी के कुछ आरोपी बलात्कारीनेताओं के नाम व उनके करतूतों को आपको बताते चलें…

महाराष्ट्र बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता और पूर्व विधायक मधु चव्हाण के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज हुआ था. और यह आरोप किसी और ने नहीं, बल्कि बीजेपी की ही पूर्व मुंबई उपाध्यक्ष और बाद में शिवसेना से जुड़ी महिला नेता ने लगाया था. पर मधू चव्हान साहब खुलेआम घूमते व राजनीतिक बयान देते नज़र आते हैं.

जबकि आरोप लगाने वाली महिला का कहना था कि मधु चव्हाण ने 20 सालों तक उनका शोषण किया. शिकायतकर्ता के मुताबिक मधु चव्हाण सालों से उन्हें मुंह न खोलने की धमकी देकर उनका शारीरिक शोषण कर रहे थे. इस मामले में पुलिस ने एफआईआर तो दर्ज कर ली, लेकिन अभी तक उन्हें गिरफ्तार नहीं कर पाई.

बात सिर्फ मधु चव्हान की नहीं है. ‘बलात्कारी’ नेताओं की फहरिस्त काफी लंबी है. अमृतसर के एक कॉलेज छात्रा ने बीजेपी के स्थानीय नेता व अपने पिता के खिलाफ पिछले 8 सालों से बलात्कार करने का आरोप लगाया. मुम्बई के वाकोला पुलिस स्टेशन में पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता स्वर्ण सलारिया पर भी बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था. एक पूर्व एयर होस्टैस ने आरोप लगाया था कि सलारिया ने उसे विवाह का झांसा देकर उसके साथ बलात्कार किया है. छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा ज़िले के बीजेपी नेता पर भी बलात्कार का आरोप लगा. पंजाब में भाजपा के पूर्व जिला सचिव कुलदीप सिंह भंगेवाला के खिलाफ भी बलात्कार का आरोप लगा. यह आरोप पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के करीबी रहे तथा पंजाब अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के पूर्व सदस्य स्वर्गीय अवतार सिंह बिल्लू सिद्धू की पत्नी मलकीत कौर ने लगाया, जो अब अकाली दल की नेता हैं. मलकीत कौर का आरोप है कि कुलदीप सिंह ने उसे अपने विश्वास में लेकर कोल्ड ड्रिंक में कोई नशीली वस्तु डालकर उससे शारीरिक संबंध बना लिए और मोबाइल से उसकी अश्लील फिल्म बनाकर उसे करीब तीन साल ब्लैकमेल कर उससे शारीरिक संबंध बनाता रहा.

महाराष्ट्र के मराठवाडा में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता डॉक्टर सुनील बलीराम गायकवाड पर भी बलात्कार का आरोप है. एक महिला ने शादी का झांसा देकर 4 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया है. दिल्ली में भी पूर्व विधायक और बीजेपी के नेता एस.सी. वत्स पर एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने बलात्कार करने का आरोप लगाया. शिकायत करने वाली महिला का आरोप है कि वत्स ने अपने कालेज विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज़ में अपने ऑफिस में बुलाकर उसके साथ बलात्कार किया. और यह बात किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी. अभी पिछले दिनों ही दिल्ली के शकूर बस्ती से दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ चुके भाजपा के एक नेता के खिलाफ एक महिला से छेड़खानी करने और उसका यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाया.

बीजेपी के ‘बलात्कारी’ नेताओं की फहरिस्त काफी लम्बी है. सच तो यह है कि कुछ ‘बलात्कारी’ नेता वर्तमान मोदी सरकार में भी शामिल हैं. आइए थोड़ा शिवसेना के बलात्कारी नेताओं के करतूतों से भी रूबरू हो जाएं.

पिछले साल शिवसेना के एक स्थानीय नेता 61 वर्षीय वासुदेव नांबियार को एक नाबालिग लड़की से कथित बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया. लड़की उसके द्वारा संचालित स्कूल में 11वीं क्लास में पढ़ती थी. नेता जी लड़की को कई बार मंदिर घुमाने के बहाने अपने साथ ले गये और ठाणे जिले के मीरा गांव में एक जगह कथित रूप से उससे बार-बार बलात्कार किया. मामला तब प्रकाश में आया जब हाल में उसने एक बच्चे को जन्म दिया.

और काश! शिवसेना प्रमुख साहब अपने सामना अखबार के उस संपादकीय को भी याद करते जिसमें लिखा गया था कि  निजी रंजिश की खातिर पुरुषों पर बलात्कार का आरोप मढ़ना आजकल ‘‘फैशन’’ बन गया है. उस समय शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा था- ‘‘रसूखदार सोसाइटी में प्रचार के लिए पुरुषों पर छेड़छाड़ और बलात्कार के आरोप लगाने की घटनाएं बढ़ रही है. एक तरह से यह अब फैशन बन चुका है.’’

यह संपादकीय सामना में तब प्रकाशित हुआ था जब एक मॉडल मे डीआईजी सुनील पारस्कर पर बलात्कार का आरोप लगाया था. कहानी काफी लंबी है. लेकिन सच यह है कि यह सारे बयान सियासी फायदे के लिए समाज में बंटवारे का ज़हर पैदा करने वाले राजनीत की एक बेहद खतरनाक बानगी है. शिवसेना प्रमुख व बीजेपी नेता का दीमापुर घटना के बाद आया बयान एक ऐसी मानसिकता की बानगी पेश करता है, जो अंग्रेज़ो के ज़माने से चली आ रही है. इसके मूल में सिर्फ इतना है कि बांटो और राज करो….

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