पीर मुहम्मद मुनिस : हिन्दी भाषा के अनन्य सेवक व मौन साधक

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प्रथम पीर मुहम्मद मुनिस स्मृति व्याख्यान 19 अप्रैल को

BeyondHeadlines News Desk

‘पीर मुहम्मद मुनिस सिर्फ क़लम के सिपाही नहीं, बल्कि क़लम के सत्याग्रही थे. क्योंकि उन्होंने चम्पारण के पीड़ा और संघर्ष के बारे में सिर्फ लिखा ही नहीं, बल्कि उस लड़ाई में शामिल भी थे. नई पीढ़ी को आज़ादी के इस दीवाने के सुनहरे इतिहास से रूबरू होना ज़रूरी है.’

यह बातें आज बिहार योजना परिषद सदस्य एवं हिक्मत फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री सैय्यद गुलरेज़ होदा (सेवानिवृत आई.ए.एस.) ने एक बैठक के दौरान कही.

श्री होदा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में पीर मुहम्मद मुनिस को महान स्वतंत्रता सेनानी, लेखक, पत्रकार, इंसान दोस्त एवं हिन्दू-मुस्लिम इत्तेहाद का अलमबरदार बताया.

हिक्मत फाउंडेशन की ओर से आयोजित इस बैठक में शामिल डॉ. खुर्शीद अनवर व पत्रकार अफ़रोज़ आलम साहिल ने पीर मुहम्मद मुनिस के जीवन पर प्रकाश डाला. अफ़रोज़ आलम साहिल ने कहा कि ‘पीर मुहम्मद मुनिस हिन्दी के अनन्य सेवक थे. हिन्दी भाषा के मौन साधक थे. बिहार में हिन्दी पत्रकारिता के जनक थे. उन्होंने हमेशा अपने लेखनी व व्याहारिक जीवन के माध्यम से हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया. उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग से उन मौलवियों व पंडितों पर भी वार किया, जिन्होंने दंगे-फ़साद में हमारी एकता को भंग करने का काम किया.’

बैठक में शामिल अन्य वक्ताओं ने चम्पारण की सत्याग्रह आंदोलन और उसमें योगदान करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त की. 1917 का चम्पारण सत्याग्रह, जो देश की पहली सत्याग्रह है. जिसमें पीर मुहम्मद मुनिस, राज कुमार शुक्ल, शैख गुलाब, बाबू शीतल राय, पंडित कलमनाथ तिवारी एवं प्रजापति मिश्र जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे.

इस बैठक में वक्ताओं ने कहा कि चम्पारण साहित्य, अदब, सामाजिक चेतना व राष्ट्रीय एकता का प्रतीक रहा है. यहां के नामवर सपूतों ने अपनी कुर्बानी देकर इस मुल्क को आज़ाद कराया.  साथ ही इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आज़ादी के दीवानों पर व्याख्यान-माला का आयोजन किया जाएगा. इस व्याख्यान-माला के शुरूआत की पहली कड़ी के रूप में ‘प्रथम पीर मुहम्मद मुनिस स्मृति व्याख्यान’ का आयोजन आगामी 19 अप्रैल, 2015 को पश्चिम चम्पारण में बेतिया शहर के महाराजा हरेन्द्र किशोर पब्लिक लाईब्रेरी में की जाएगी. पीर मुहम्मद मुनिस ही वो शख्स थे जो चम्पारण के क्षितीज से उठकर पत्रकारिता व लेखन में एक शिखर स्थान प्राप्त किया.

इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार व जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना के निदेशक श्री श्रीकांत, चम्पारण से जुड़े अब्दूर रहमान (आईपीएस) एवं प्रो. प्रकाश व जेपी आंदोलनकारी ठाकूर प्रसाद त्यागी का व्याख्यान होगा.

इस बैठक में उर्दू के जाने-माने साहित्यकार डॉ. खुर्शीद अनवर, मो. नूर आलम, प्रो. बबुआ जी सिंह, प्रो. जितेन्द्र मिश्रा, मो. अली हुसैन ने अपने विचार व्यक्त किए. अंत में पत्रकार अफ़रोज़ आलम साहिल के धन्यवाद ज्ञापन के बाद बैठक की कार्रवाई समाप्त हुई.

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