आदिवासी विरोधी झारखंड के माफिया अख़बार ‘ख़बर मंत्र’ की गुंडागर्दी

Beyond Headlines
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Pravin Kumar for BeyondHeadlines

आदिवासी और झारखंड विरोधी अख़बार का काला चेहरा सामने आया. ख़बर मंत्र में काम कर रहीं आठ चतुर्थ वर्गीय महिला कर्मियों पर अख़बार ने केस किया है. इन महिलाओं का दोष बस यह था कि ख़बर मंत्र के निदेशक संचालिका को कुछ ऐसी अवस्था में देख लिया, जिसे लिखा नहीं जा सकता है.

संचालिका इन महिला कर्मियों को अपने घर का काम करने को भी विवश करती थी. साथ ही घर पर अपना तेल मालिस भी कराती थी. आखिर कब तक आदिवासी महिलाएं इस तरह का जुल्म सहतीं. वेतन एक जगह का, वह भी मात्र 3500 रुपये और काम दो जगह का. इसलिए महिलाओं ने वीणा सिंह के घर में काम करने से इन्कार कर दिया.

 17 मार्च, 2015 को वीणा सिंह ने इन महिला कर्मचारियेां को गाली-गलौज करते हुए काम से निकाल दिया. गालियां इन आदिवासी महिलाओं की जातीय अस्मिता को ठेस पहुंचाने वाली थीं. वीणा सिंह ने आदिवासी महिलाओं पर चिल्लाते हुए कहा कि –तुमलोग कोल्ह-कुक्कर झोपड़पट्टी के कीड़े हो… तुमलोग कामचोर हो और अख़बार का सामान चोरी करते हो…

महिलाओं का आत्मसम्मान जागा और एसटी-एससी एवं बरियातु थाना में केस दर्ज करा दिया, जिस पर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है. उपर से 17 मार्च की शाम को एक गाड़ी इनोवा-3402 में पीड़ित महिलाओं के घर जाकर वीणा सिंह एवं अखबार के कुछ वरीय पत्रकार ने खूब गाली-गलौज की एवं जान से मारने की धमकी दी.

प्रबंधन ने पैसे और प्रभाव के बल पर थाने में बैकडेट से केस कराना चाहा. लेकिन भला हो स्टेशन डायरी का, जिसमें महिलाओं का केस पहले ही दर्ज हो चुका था.

आदिवासी समाज को ख़बरमंत्र ने झारखंड के सबसे बड़े त्यौहार सरहुल के अवसर पर आदिवासी महिलाओं को प्रताड़ित कर आदिवासी विरोधी सामंती मानसिकता को जगजाहिर कर दिया.

ज्ञात हो कि खबरमंत्र अखबार झारखंड में रियल स्टेट और आदिवासी ज़मीन की धोखे से खरीद-फरोख्त में लिप्त लोगों द्वारा चलाया जा रहा है. खबरमंत्र परिसर जहां अख़बार का दफ्तर और प्रेस है, वह ज़मीन भी आदिवासियों की है, जिसे सीएनटी एक्ट का उल्लंघन करते हुए कब्जा किया गया है.

दूसरी ओर खबरमंत्र में पीएफ एवं इएसआई की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे वरीय उपसंपादक/संवाददाता प्रवीण पर भी इन आठ महिलाओं के साथ केस दर्ज करा दिया. और प्रवीण कुमार द्वारा दर्ज एफआईआर में पूरी घटना का ब्यौरा दर्ज है.

आखिर कब तक झारखंड के लोग पूंजीपतियों, माफियाओं और दलालों से पीडि़त-अपमानित होकर चुप रहेंगे. आदिवासी मामलों पर काम करने वाले कई संगठनों की चुप्पी भी दुखद है. मामला अखबार का है, इसलिए प्रशासन भी खुलकर कानून सम्मत कार्रवाई करने में हिचकिचा रहा है.

अखबार प्रबंधन ने शुभा कच्छप, फ्रांसिस लकड़ा, जुबी उरांव, पिंकी देवी, रूपमनी उरांव, गुडि़या मुण्डा एवं प्रवीण कुमार के उपर बरियातु थाना में आइपीसी धारा-147, 148, 149, 504, 506, 427 के अंतर्गत झूठा केस दर्ज कराया.

(ये लेखक अपने विचार हैं.)

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