आने वाली है पानी से दौड़ने वाली कार!

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BeyondHeadlines News Desk

दुनिया न जाने कब से इको फ्रेंडली फ्यूल की खोज में जुटी थी, वो सपना भारत मध्यप्रदेश राज्य के सागर में बसने वाले सिर्फ 12वीं पास मोहम्मद रहीस मकरानी ने पुरा कर दिया. मोहम्म्द रहीस सागर इलाके में गैस वेल्डर के काम करते हैं. बायोलॉजी में विशेष रुचि रखने वाले रहीस को मोटर, गाड़ियां सुधारने का हुनर विरासत में मिला है. उनके पिता मो. सईद मकरानी भी मैकेनिक हैं. उनका सदर में गैराज है. यही गैराज रहीस का लैब भी है.

मोहम्म्द रहीस के इस खोज की क़द्र भारत में नहीं हुई तो वो इस सिलसिले में 26 मई को चीन गए. चीन को मोहम्म्द रहीस का यह आईडिया पसंद आया, और तुरंत पाटनरशिप का ऑफर दे दिया. दरअसल, चीन के वैज्ञानिकों और मैकेनिकल एक्सपर्ट ने भी मो. रहीस के इस आईडिया का लोहा माना है.

मोहम्म्द रहीस अभी हाल में ही चीन से लौटे हैं. हालांकि अपने आईडिया को पेटेंट कराने के लिए मोहम्म्द रहीस 2013 में ही इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी ऑफ इंडिया के मुंबई स्थित ऑफिस में अर्जी भी लगाई थी.

मो. रहीस के अनुसार चीन के सिनयांग शहर से इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली मल्टीनेशनल कंपनी कोलियो के एमडी सुमलसन ने इस आईडिया पर मिलकर काम करने का प्रस्ताव रखा है. मो. रहीस बताते हैं कि वो इसे बड़े स्तर पर चीन में ही लॉन्च करने की बात कही है, पर मैंने इसे भारत और खासकर सागर में ही तैयार कर लांच करने की शर्त कंपनी के सामने रखी है.  इस पर कंपनी ने इस संबंध में तीन महीने बाद निर्णय करने की बात कही है. यदि कंपनी तैयार हो गई तो पानी से बने फ्यूल से चलने वाली पहली कार ईजाद होगी.

रहीस के अनुसार हमारे देश भारत में कैल्शियम कार्बाइड के भंडार है. बड़े स्तर पर पानी और कार्बाइड से एसिटिलीन बनाकर इसे इलेक्ट्रिक एनर्जी लिक्विड फ्यूल में बदला जा सकता है. इसलिए पेट्रोल-डीजल का विकल्प बनने वाली यह तकनीक सस्ती भी पड़ेगी और पर्यावरण के अनुकूल भी रहेगी.

रहीस के अनुसार 2013 में दुबई की इंवेस्टमेंट कंपनी लस्टर ग्रुप ने भी मुझे इस आईडिया पर काम करने के लिए सहयोग करने का ऑफर दिया था. लेकिन भारत में रहकर फार्मूला तैयार और लांच करने की बात को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी.

 

कैसे सूझा मो. रहीस को यह आइडिया

रहीस के मुताबिक उन्हें गैस वेल्डिंग करने के दौरान पानी से कार चलाने का आइडिया सूझा. गाड़ी के इंजन के पिस्टन को चलाने के लिए आग और करंट चाहिए. वेल्डिंग में भी कैल्शियम कार्बाइड और लिक्विड के मिलने से आग पैदा होती है. उसने अपनी पेट्रोल कार के इंजन में हलका फेरबदल किया और गाड़ी के फ्यूल टैंक में पेट्रोल के बजाय पानी और कैल्शियम कार्बाइड की पाइप लगा दी. इसके बाद गाड़ी को स्टार्ट करके देखा तो इंजन ऑन हो गया. इस तकनीक को विकसित करने में करीब पांच साल लग गए. अब उसकी कार 20 लीटर पानी और 2 किलोग्राम कैल्शियम कार्बाइड के मिश्रण से तैयार ईंधन से 20 किलोमीटर चलती है.

कैसे काम करती है पानी से चलने वाली ये कार

पेट्रोल इंजन में फेरबदल के बाद एसिटिलीन से चलने वाला इंजन बनाया. कार में पीछे की तरफ एक सिलेंडर लगाया है. इसमें पानी और कैल्शियम कार्बाइड को मिलाकर एसिटिलीन पैदा किया जाता है. कुछ ही देर में एसिटिलीन बनते ही कार चलने लगती है.

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