ख़ौफ़ व दहशत के इस अंधेरे में जश्न होली का मनाए कैसे?

Beyond Headlines
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आज का दिन है!

इबादत के उजालों का मगर

न कहीं रंग-ए-अक़ीदत, न मुहब्बत के अबीर

न कहीं प्यार के फव्वारे

न चाहत के गुलाल…!

यूं तो कहने के लिए

पा गए इंसान कमाल

न कहीं कृष्ण की बंसी है

न राधा का जमाल…!!

हर तरफ़ जब्र व तशद्दुद है

सियाहकारी है –ज़ेहन में

हवस व डाह की चिंगारी है

आज घर-घर यही बीमारी है !!!

हम ने सोचा कभी?

होलिका दफ़्न हो गई —लेकिन

आदमी आदमी का दुश्मन है!

खून में डूबी हुई है सच्चाई

 

दोस्तों,

कुछ तो कहो हम-वतनों!!

ख़ौफ़ व दहशत के इस अंधेरे में

जश्न होली का मनाए कैसे?

 

(पश्चिम चम्पारण ज़िला के बेतिया शहर में रहने वाले ‘अब्दुल ख़ैर निश्तर’ बिहार के प्रसिद्ध उर्दू शायरों में से एक हैं. इनसे 9931452289 पर सम्पर्क किया जा सकता है)

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