वाह रे डीयू : पीएम मोदी के दस्तावेज़ हैं, पर स्मृति ईरानी की नहीं!

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Raveena Newatia for BeyondHeadlines

भारतीय सियासत में ‘डिग्री विवाद’ थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां एक तरफ़ आम आदमी पार्टी से जुड़े नेताओं का दावा है कि –‘पीएम नरेन्द्र मोदी की डिग्री फ़र्ज़ी है, हम इसे साबित करके रहेंगे.’ वहीं डीयू प्रशासन का दावा है कि –‘विश्वविद्यालय के पास पीएम मोदी के स्नातक संबंधी सभी रिकॉर्ड मौजूद हैं. उनकी डिग्री सही है.’

डीयू प्रशासन के इस बयान के बाद बीजेपी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सतीश का कहना है कि –‘मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के झूठ का पर्दाफ़ाश हो गया है. उन्हें अब इस मसले में माफ़ी मांगनी चाहिए’

लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि इसी डीयू प्रशासन के पास शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी के डिग्री से संबंधित दस्तावेज़ अभी तक नहीं मिल पाए हैं. जबकि स्मृति ईरानी का मामला 1996 का है.

स्पष्ट रहे कि डीयू प्रशासन के मुताबिक़ पीएम नरेन्द्र मोदी 1978 में परीक्षा पास हुए हैं और 1979 में उन्हें डिग्री दी गई है. उनकी पंजीकरण संख्या सीसी 594-74 है और रोल नंबर 16594 है. लेकिन जब मामला शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी का आता है तो इसी डीयू प्रशासन का अदालत में कहना है कि उनके बीए से संबंधित दस्तावेज़ अभी मिलने बाक़ी हैं. यानी इनकी डिग्री नहीं मिल पा रही है.

दरअसल, आरोप है कि स्मृति ईरानी अपने शैक्षिक योग्यता को लेकर चुनाव आयोग को गुमराह करने का काम किया है. क्योंकि 2004 में जब स्मृति ईरानी दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा सीट से कपिल सिब्बल के खिलाफ चुनाव लड़ी थी. उस समय चुनाव आयोग को अपनी शैक्षिक योग्यता ग्रेजूएट बताया था. उन्होंने बताया कि वो 1996 में दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. किया है.

लेकिन राज्यसभा व 2014 लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग को अपनी शैक्षिक योग्यता 12वीं पास बताया. साथ ही यह भी बताया कि 1994 में दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से बी.कॉम, पार्ट-1 की पढ़ाई की है.

यह मामला बाद में अदालत में पहुंचा. जहां पटियाला हाउस कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरविंदर सिंह की अदालत ने डीयू से स्मृति ईरानी के डिग्री से संबंधित दस्तावेज़ पेश करने का आदेश दिया था. लेकिन डीयू के पत्राचार विद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार ओपी तंवर ने पिछले दिनों मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट से कहा कि उनके बीए से संबंधित 1996 के दस्तावेज़ अभी मिलने बाक़ी हैं.

वैसे मीडिया में आए एक दूसरी ख़बर के मुताबिक डीयू प्रशासन ने 1993-94 के बीकॉम ऑनर्स के प्रवेश प्रपत्र, इस कोर्स के परिणाम समेत कुछ दस्तावेज़ पेश किए हैं, लेकिन यहां भी हैरान कर देने वाली बात यह है कि बीकॉम ऑनर्स के प्रवेश प्रपत्र के साथ सौंपे गए ईरानी की 12वीं क्लास के दस्तावेज़ नहीं हैं. जबकि इसी डीयू के प्रशासन के पीएम मोदी के डिग्री से संबंधित 1978 के दस्तावेज़ मौजूद हैं.

पिछले दो सालों से चला आ रहा यह ‘डिग्री विवाद’ आगे कहां तक जाएगा, इसका जवाब दे पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन सा लगता है. क्योंकि आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने भी यह ठान ली है कि –‘पीएम मोदी की डिग्री फर्ज़ी है, हम इसे साबित करके रहेंगे.’ आशुतोष का कहना है कि उनके पास 1980 में डीयू से पास हुए कई लोगों के अंक-पत्र हैं. सबकी डिग्री में सभी चीज़ें हाथ से लिखी हुई हैं, लेकिन पीएम मोदी की डिग्री में सभी चीज़ें टाईप की हुई हैं. इस बीच कई लोग सोशल मीडिया पर भी अपनी-अपनी डिग्रियां डाल दे रहे हैं, जिसमें हर चीज़ हाथ से ही लिखा हुआ है.

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