By Afroz Alam Sahil
एक तरफ़ दिल्ली में जहां जल स्त्रोतों को बचाने और गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए गूगल की मदद से दिल्ली के तालाब, जोहड़ व अन्य स्त्रोतों की मैपिंग की जा रही है, वहीं आरटीआई के ज़रिए हासिल महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बताते हैं कि दिल्ली से तालाब, नदी, झील जैसे जल स्त्रोत गायब होते जा रहे हैं.
दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों से आरटीआई के ज़रिए मिले अहम दस्तावेज़ों के मुताबिक दिल्ली के तालाबों, नदियों, व झीलों पर लोगों ने अपना घर बना लिया है. कहीं पूरी आबादी बस चुकी है. तो कहीं श्मसान घाट, कब्रिस्तान, ईदगाह, धर्मशाला, या मंदिर बने हुए हैं. कईयों पर सरकारी संस्थाओं ने बस टर्मिनल, स्कूल, स्टेडियम या किसी और काम के लिए अतिक्रमण किया हुआ है.
आरटीआई से मिले सूचना के मुताबिक जोहरपूरी के दो जल स्त्रोतों पर श्मसान घाट बन चुका है, तो वहीं मुस्तफ़ाबाद में एक जल स्त्रोत पर अब क़ब्रिस्तान व ईदगाह है. बाबरपुर के भी एक जल स्त्रोत पर अब श्मसान घाट है.
करावल नगर के एक जल स्त्रोत पर लोगों का क़ब्ज़ा है. तो वहीं एक दूसरा जल स्त्रोत 99 साल के लिए डीटीसी को टर्मिनल बनाने के लिए लीज पर दे दिया गया है.
गोकूलपूर के एक जल स्त्रोत पर 22 घर बन चुके हैं, ये एक अनाधिकृत कॉलोनी का हिस्सा है, जो दिल्ली सरकार द्वारा अधिकृत किए जाने की प्रक्रिया में है. वही हाल एक दूसरे जल स्त्रोत का भी है.
तहसील कालकाजी के अन्तर्गत आने वाले गांव जोहड़ तुगलाकाबाद पर डीडीए का अतिक्रमण है, तो वहीं ग्राम तेहखंड, सरकार दौलत मदार व ग्राम बहापुर के जल स्त्रोत पर आबादी बसी हुई है. दिल्ली के बांकनेर गांव के एक जल स्त्रोत पर अब स्टेडियम है.
दिल्ली के फ़तेहपुर बेरी गांव का एक जल स्त्रोत 70 फीसदी सूख चुका है. आरटीआई के दस्तावेज़ बताते हैं कि इस जल स्त्रोत के 40 फीसदी हिस्से अब मंदिर व एक रास्ता बन चुका है. डेरा मंडी गांव में भी एक दूसरे जल स्त्रोत की भी यही कहानी है. इस जल स्त्रोत के 10 बिसवा ज़मीन पर मंदिर का निर्माण हो चुका है. मैदानगढ़ी में भी एक जल स्त्रोत पर मंदिर, आबादी व रास्ता है.
सुलतानपुर के पांच जल स्त्रोत पूरी तरह से सूख चुके हैं और अब उन्हें एक सरकारी स्कूल को आवंटित किया जा चुका है. असोला के भी एक जल स्त्रोत को एमसीडी स्कूल के लिए आवंटित कर दिया गया है. आया नगर का भी एक जल स्त्रोत पूरी तरह से सूख चुका है और अब वहां बस स्टैंड है.
छत्तरपुर के 78 बिगहा 1 बिसवा में फैले एक जल स्त्रोत के ज़मीन को छत्तरपुर मंदिर के लिए आवंटित किया गया है, बाकी में अनाधिकृत कॉलोनी का अतिक्रमण है. छत्तरपुर के ही एक दूसरे जल स्त्रोत पर अब जैन मंदिर है. तो एक और दूसरे जल स्त्रोत पर अग्रवाल धर्मशाला है.
इस प्रकार सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पूरे दिल्ली में 905 दिल्ली सरकार के तहत रजिस्टर्ड जल स्त्रोत हैं, जिसमें से 168 जल स्त्रोतों पर अतिक्रमण हो चुका है, तो वहीं 39 जल स्त्रोतों पर गैर-क़ानूनी तरीक़े से निर्माण किया गया है. इन जल स्त्रोतों पर कानूनी तरीके किए गए निर्माण की संख्या 78 है. इस तरह से देखा जाए तो 905 जल स्त्रोतों में से 285 जल स्त्रोत पूरी तरह से गायब हो चुके हैं.
आंकड़े यह भी बताते हैं कि इन 905 जल स्त्रोतों में से 338 जल स्त्रोत पूरी तरह से सूख चुके हैं. हालांकि सरकार अभी 107 जल स्त्रोतों को ट्रेस नहीं कर पाई है. इस तरह से दिल्ली में जल स्त्रोतों का आंकड़ा 1012 हो जाता है.
