BeyondHeadlines Correspondent
नई दिल्ली : ‘यह गाँधी कि नैतिकता ही थी जिसने चंपारन जैसे आंदोलनों में जीत दिलवाई. जिस तरह हमारी दुनिया में हिंसा बढ़ती जा रही है, गांधी की प्रासंगिकता पहले से भी ज्यादा हो गयी है. लेकिन विडम्बना ये है कि गांधी की सम्भावना अब लगातार घटती जा रही है.’
ये बातें राजकमल प्रकाशन समूह के 68वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया में ‘गाँधी: राजनीति और नैतिकता’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में सुप्रसिद्ध इतिहासकार सुधीर चन्द्र ने रखीं.
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध आलोचक नामवर सिंह, केदारनाथ सिंह, ज्ञानेंद्रपति तथा राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक माहेश्वरी भी मौजूद थे.
केदारनाथ सिंह ने कहा, ‘राजकमल प्रकाशन को हिंदी का बहुत ही महत्वपूर्ण संस्थान मानता हूँ. पिछले साठ से अधिक वर्षों में हिंदी और भारतीय भाषाओँ में जो महत्वपूर्ण लिखा जाता है वह सब राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. यह आकार किसी भी और प्रकाशन का नहीं है. नई व्यवस्था में यह संभव हुआ है. मैं राजकमल के इस नए अभियान का स्वागत करता हूँ.’
राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, ‘आज के समय की प्रासंगिता को परिभाषित करने का सबसे सशक्त माध्यम किताब है. किताब से अपने समय को परिभाषित करना भी है. इसमें गाँधी जी से सहायक कोई नहीं हो सकता. यह वर्ष चंपारण सत्याग्रह के 100वीं वर्षगांठ का भी है. इसी वर्ष राजकमल की पटना शाखा को भी 60 वर्ष पुरे हुए हैं. इस उपलक्ष्य में एक भव्य आयोजन भी हम करने जा रहे हैं, जिसमें बिहार के वरिष्ठ लेखकों की पुस्तके जारी होंगी और साथ ही हम एक पुस्तक यात्रा निकालेंगे जो कि पटना से पूर्णिया तक जाएगी जिसमें हम दिनकर, नागार्जुन के गांव होते हुए रेणु के गांव तक पहुचेंगे.’
इस अवसर पर ‘राजकमल पाठक मित्र सम्मान’ भी दिया गया. यह सम्मान राजकमल प्रकाशन के कर्मचारी लालाजी और रामजी को दिया गया, जो कि कई सालों से इस प्रकाशन समूह से जुड़े हुए हैं.
