हाजियों से एयरपोर्ट ऑथोरिटी को 2.06 अरब रूपये की कमाई

Beyond Headlines
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अफ़रोज़ आलम साहिल, BeyondHeadlines

जब भी हज के महंगे किराए की बात की जाती है तो सरकारी अधिकारी इस बात की दुहाई देते हैं कि भारत सरकार इसमें कुछ नहीं कर सकती. लेकिन हम यहां आपको बताने जा रहे हैं कि सरकार चाहे तो बहुत कुछ कर सकती है, मगर फिलहाल सरकार मुसलमानों के इस हज से हाजियों को लूटने पर तुली हुई है.

स्पष्ट रहे कि हाजियों का सबसे अहम खर्च एयर-फेयर होता है, और इसके अधिक होने की एक बड़ी वजह एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया के द्वारा बेहिसाब टैक्स व चार्ज और सरकार द्वारा जीएसटी वसूल करना है.

हर साल हज पर जाने वाले भारतीय मुसलमानों से एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया को करोड़ों का फ़ायदा होता है. ये रक़म वो एयरपोर्ट डेवलपमेंट चार्ज के रूप में लेती है.

साल 2018 में सरकारी कोटे से 1,28,702 हाजी भारत के विभिन्न हिस्सों से हज के लिए सऊदी अरब गए हैं और हर हाजी से एक अच्छी ख़ासी रक़म एयरपोर्ट टैक्स व जार्च और जीएसटी के रूप में ली गई है.

बता दें कि हज से अलग सफ़र करने वाले आम यात्रियों से जीएसटी के नाम पर सरकार सिर्फ़ 5 प्रतिशत जीएसटी वसूल करती है, जबकि हज यात्रियों से 18 फ़ीसद जीएसटी वसूल किया गया है.

इस संबंध में हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन चौधरी महबूब अली कैसर से बात करने पर वो भी मानते हैं कि जीएसटी ज़्यादा है, इतना नहीं होना चाहिए.

वो बताते हैं कि इस संबंध में उन्होंने पीएम मोदी को एक पत्र भी लिखा है, लेकिन अभी कोई जवाब नहीं दिया गया है. यहां बता दें कि कुछ मुसलमान इस जीएसटी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा भी खटखटा चुके हैं, लेकिन अभी इस संबंध में अदालत का फ़ैसला आना बाक़ी है.

इस साल लखनऊ एयरपोर्ट से 14600 लोग हज को गए हैं और हाजी से 15,314 रूपये एयरपोर्ट टैक्स व जार्च और जीएसटी के रूप में लिया गया है. यानी यहां एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया को 22.36 करोड़ रूपये वसूल हुए हैं. श्रीनगर एयरपोर्ट से 9300 लोग गए हैं और यहां हर हाजी से 20964 रूपये लिए गए हैं यानी यहां एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया को 19.49 करोड़ रूपये वसूल हुए हैं.

इसी प्रकार मुंबई एयरपोर्ट से 14500 हाजी सऊदी अरब गए हैं. यहां हर हाजी से 14,275 रूपये बतौर एयरपोर्ट टैक्स व जार्च लिए गए हैं. इस प्रकार यहां एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया को 20.69 करोड़ रूपये की कमाई हुई है.

दिल्ली एयरपोर्ट से सबसे अधिक, 19650 हाजी गए हैं. यहां जीएसटी और एयरपोर्ट टैक्स व चार्ज 13,679 रूपये रखा गया था और इससे 26.88 करोड़ रूपये एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया को हासिल हुए हैं.

इस प्रकार जब हम पूरे भारत का हिसाब लगाने बैठते हैं तो पता चलता है कि इस साल 2018 में हाजियों से एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया ने क़रीब 2.06 अरब रूपये जीएसटी और टैक्स व चार्ज के रूप में लिए हैं. ये कमाई 20 एयरपोर्टों के ज़रिए हुई है.

बताते चलें कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी के मुताबिक़, हज यात्रियों को ले जाने की व्यवस्था करने की ज़िम्मेदारी भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय की है. यही मंत्रालय हर साल टेंडर निकालता है और तय करता है कि हाजियों को कैसे और किस विमान से भेजना है.

जब हमने एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया की वेबसाईट की जांच–पड़ताल की तो पता चला कि एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया हर यात्री से डेवलपमेंट चार्ज और कुछ टैक्स लेता है. लेकिन ये चार्ज या टैक्स अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के लिए अधितकम 1124 रूपये और पैसेंजर सर्विस फी (सिक्यूरिटी) 130 रूपये होता है. वहीं जीएसटी आम यात्रियों से 5 फ़ीसद वसूल किया जाता है, जबकि हाजियों से जीएसटी के नाम पर 18 फ़ीसद वसूल किया जा रहा है.

सोचने की बात ये है कि हज यात्रियों से एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया की इतनी कमाई के बाद भी एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया का हज यात्रियों को लेकर रवैया हैरान कर देने वाला है. उर्दू अख़बारों में ये ख़बर प्रकाशित हो चुकी है कि इस बार दिल्ली से जाने वाले हज यात्रियों को सिक्यूरिटी का हवाला देकर इन्हें पांच किलोमीटर दूर ठहराया गया. आरोप है कि हाजियों के साथ किसी ग़रीब-मिस्कीन की तरह बरताव किया गया, जो कि इंटरनेशनल मुसाफ़िरों के साथ किए जाने वाले बेहतर बरताव की रिवायत के उलट है.

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