‘भारत में बेहद बेशर्मी के साथ सच्चाई का गला घोंटा जा रहा है’

Beyond Headlines
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M Ghazali Khan

Mohammad Alamullah for BeyondHeadlines

‘भारत में बेहद बेशर्मी के साथ सच्चाई का गला घोंटा जा रहा है. ब्रिटेन में भी ऐसे हालात हैं लेकिन इतने बुरे नहीं.’

ये बातें लंदन के मशहूर सीनियर जर्नलिस्ट एम. ग़ज़ाली खान ने BeyondHeadlines के साथ एक ख़ास बातचीत में कही.

ब्रिटेन और भारत के जर्नलिज़्म में फ़र्क़ के संबंध में बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे यहां जर्नलिज़्म का पॉलिटिक्स से बड़ा गहरा रिश्ता है और पॉलिटिक्स इस क़दर हावी है कि पत्रकार सरकार की गोद में बैठकर अपने देश के लोगों से सही तथ्यों को छिपाने लगे हैं. ब्रिटेन में ऐसा देखने को कम ही मिलता है. वहां के पत्रकार जनता के मामलों में सरकार को कटघरे में खड़ा करने से नहीं कतराती हैं.   

एम. ग़ज़ाली खान लंदन में अपने वक़्त की मशहूर मैगज़ीन ‘इम्पैक्ट इंटरनेशनल’ के साथ लगभग 8 साल काम कर चुके हैं. जर्नलिज़्म के मैदान आपका लंबा अनुभव है. लंदन और भारत में विभिन्न अख़बारों व वेबसाईटों के लिए लिखते हैं. मीडिया के अलावा स्थानीय सरकार और कुछ ग़ैर-सरकारी संगठनों के साथ जुड़कर पब्लिक रिलेशन का तजुर्बा भी हासिल है. ब्रिटेन में भारतीय मुसलमानों के दो प्रमुख संगठनों (इंडियन मुस्लिम फेडरेशन और कौंसिल ऑफ़ इंडियन मुस्लिम्स) के साथ आपका जुड़ाव रहा है. इस समय आप एक मशहूर वेबसाइट ‘उर्दू मीडिया मॉनिटर’ के संस्थापक संपादक हैं.

उत्तर प्रदेश के देवबंद शहर में पैदा हुए एम. ग़ज़ाली खान ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीए, एलएलबी और लंदन के सिटी यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल जर्नलिज़्म में मास्टर डिग्री हासिल की है. आप लंदन में रहते हैं, लेकिन अपनी मां के इंतक़ाल के बाद इन दिनों भारत आए हुए हैं.

ग़ज़ाली खान के मुताबिक़ मीडिया मुसलमानों की प्राथमिकता में नहीं है, हालांकि इस वक़्त भारत में ऐसे मीडिया की सख़्त ज़रूरत है जो सिर्फ़ मुसलमान ही नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों की आवाज़ बने जो हाशिए पर पहुंचा दिए गए हैं.

उनका कहना है कि मीडिया के ताल्लुक़ से मुसलमानों का रवैया बहुत ही अफ़सोसनाक है. मुसलमानों की ये आदत बहुत ख़राब है कि वो हर चीज़ मुफ़्त चाहते हैं. ख़ासकर जहां इस्लाम या मिल्लत का नाम आया लोगों की ख़्वाहिश होती है कि वो उन्हें मुफ़्त हासिल होता रहे. ये अच्छी आदत नहीं है. इस रूझान को ख़त्म करने की ज़रूरत है. पैसा कमाने वाले लोगों को इस ओर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है ताकि झूठ, अफ़वाह और प्रोपेगंडा करने वाली ख़बरों का जवाब दिया जा सके. और यक़ीनन आज प्रोपेगंडा और अफ़वाह फैलाने वाली मीडिया को मात देना वक़्त का सबसे बड़ा चैलेंज है.

BeyondHeadlines ने एम. ग़ज़ाली खान से लंबी बातचीत की है. आप इस बातचीत को नीचे वीडियो में देख व सुन सकते हैं —

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