BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: मौक़ापरस्ती, पैसे और रसूख का खेल बना मुशावरत का चुनाव!
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी > मौक़ापरस्ती, पैसे और रसूख का खेल बना मुशावरत का चुनाव!
बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

मौक़ापरस्ती, पैसे और रसूख का खेल बना मुशावरत का चुनाव!

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published January 8, 2016
Share
5 Min Read
SHARE

Afroz Alam Sahil, BeyondHeadlines 

‘ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत’ के चुनाव में इस बार काफ़ी हलचल रही. इस बार का चुनाव पिछले चुनाव से काफ़ी अलग था. इसमें धन, बाहुबल से लेकर रसूख और जोड़-तोड़ का जमकर इस्तेमाल किया गया. नौकरशाहों की मदद ली गई. सत्ता की हनक और राजनीति के हर हथकंडे का जमकर प्रयोग किया गया.

दूसरी ओर एक अहम बात यह भी हुई कि इस तंज़ीम के नुमाइंदे इस तरह की हरकतों की सच्चाई को खुलेआम स्वीकार कर रहे हैं. उनके मुताबिक़ तंज़ीम के नाम पर यह सियासी खेल खुलकर खेला गया है और वे अब इसे दुरूस्त करने की पूरज़ोर कोशिश करेंगे.

दरअसल, पिछले दिनों ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के सदर व मजलिस आमला के सदस्यों के चयन के लिए चुनाव हुआ था. इस चर्चित चुनाव अध्यक्ष पद के लिए मुसलमानों के तीन अहम नाम मैदान में थे. तीन लोगों के बीच कड़ी टक्कर में बाजी नवेद हामिद के हाथ लगी. वो पांच वोटों से यह चुनाव जीत गए.

इस चुनाव में साउथ एशियन कौंसिल फॉर माईनरिटीज़ के सचिव नवेद हामिद, रिटायर्ड आईपीएस मंज़ूर अहमद और पूर्व राज्यसभा सांसद मो. अदीब के बीच मुक़ाबला था.

ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मशावरत के कुल 158 सदस्यों में से 147 यानी 93 फीसदी सदस्यों ने अपने वोट का इस्तेमाल किया. 3 वोट अवैध पाया गया. इन 144 वोटों में से 52 वोट नवेद हामिद को मिले. दूसरे नंबर पर रहे डॉ. मंज़ूर अहमद को 47 वोट तो तीसरे नंबर पर रहे मो. अदीब को 45 सदस्यों का वोट हासिल हुआ.

इस नतीजे के बाद पुराने परम्परा के मुताबिक़ आज इस तंज़ीम के नए अध्यक्ष नवेद हामिद को कार्यभार सौंपा गया. उन्होंने इस मौक़े पर स्पष्ट किया कि सभी को साथ लेकर चलना और मशावरत को अधिक सक्रिय बनाना मेरी प्राथमिकताओं में शामिल है. इस अवसर पर उन्होंने मुजतबा फ़ारुक़ को तंज़ीम का महासचिव बनाए जाने की घोषणा भी की.

All India Muslim Majlis-e-Mushawarat
 

स्पष्ट रहे कि नवेद हामिद 2012 में भी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन उस समय सिर्फ़ 2 वोटों से डॉ. ज़फ़रूल इस्लाम खान से वो चुनाव हार गए थे. अब जब वो चुनाव जीत गए हैं तो स्वाभाविक है कि दोनों के दिल में पुराना टीस ज़रूर उबाल मारेगा, जिसकी झलक आज मंच पर खुलेआम सबने देखा. आरोप-प्रत्यारोप का खेल जमकर चला. लोगों के दख़ल के बाद कहीं जाकर मामला शांत हुआ.

इस अवसर पर BeyondHeadlines से बात करते हुए मुशावरत के वर्तमान अध्यक्ष नवेद हामिद ने कुछ बेहद उम्मीद भरे संकेत भी दिए. उनके मुताबिक़ तंज़ीम का चेहरा बदलने के क़वायद की सख्त ज़रूरत है. इसमें महिलाओं और युवाओं के साथ-साथ हर मुसलमानों के हर फिरक़े के लोगों को मुकम्मल जगह मुहय्या कराई जाएगी. साथ ही इस बात की भी क़वायद होगी कि तंज़ीम के कामकाज में साफ़गोई और ईमानदारी की पूरी गुंजाईश क़ायम रहे.

उन्होंने BeyondHeadlines के साथ बात करते हुए बताया कि –‘एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी मुझे सौंपा गया है, जिसे मैं पूरी ईमानदारी के साथ निभाने की कोशिश करूंगा. जिस मक़सद के तहत आज से 51 साल पहले इस संगठन को बनाया गया था, उस मक़सद को अब ज़मीन पर उतारने की पूरी कोशिश करूंगा.’

दरअसल, 1964 में क़ायम ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत का क़द मुस्लिमों तंज़ीमों खासा बड़ा है. यह मुसलमानों के सात बड़े संगठनों की नुमाइंदगी करती है.

पिछले साल अगस्त महीने में हुए इस तंज़ीम के स्वर्ण जयंती समारोह में कभी उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा था –‘सामाजिक शांति के लिए राजनीतिक दूरदर्शिता ज़रूरी है.’ लेकिन जिस तरह मशावरत का यह चुनाव मौक़ापरस्ती, पैसे और रसूख का खेल बना, उसे किसी भी हाल में सही नहीं ठहराया जा सकता. ऐसे में अगर ऐसी संस्था के भीतर इस तरह के तत्व अपनी जगह बनाने में कामयाब होते हैं तो यह मुस्लिम क़ौम के लिए बेहद चिंता का सबब है. चिंता इसलिए और भी बढ़ जाती है, क्योंकि मुसलमानों के नाम पर होने वाली राजनीति का सीधा सरोकार क़ौम के रहनुमाओं से ही होता जा रहा है.

TAGGED:Mushawarat Election
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

IndiaLeadबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

क्या आज एएमयू अपने संस्थापक के नज़रिए से विपरीत दिशा में खड़ा है?

November 5, 2024
LeadWorldबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

इसराइल की सेना आधुनिक काल का फ़िरौन है: एर्दोआन

May 8, 2024
ExclusiveWorldबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

तुर्किये भूकंप: मैंने ऐसा मंज़र ज़िन्दगी में कभी नहीं देखा…

June 7, 2025
Worldबियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी

फ़िलिस्तीन के समर्थन में अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस के ख़िलाफ़ मिशिगन यूनिवर्सिटी के छात्रों का विरोध-प्रदर्शन

January 16, 2023
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?