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एसआईओ ने जारी किया अपना स्टूडेंट्स मेनिफेस्टो… यहां जानिए! क्या है उनकी मांगें…

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published February 4, 2019 1 View
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5 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

नई दिल्ली: आज नई दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया (एसआईओ) ने एक “स्टूडेंट्स मेनिफेस्टो” पेश कर राजनीतिक दलों से मांग कि वे अपने आगमी चुनावी घोषणा पत्र और एजेंडे में छात्रों और युवाओं की मांगों को शामिल करें. 

“स्टूडेंट्स मेनिफेस्टो” जारी करने के इस अवसर पर, एसआईओ के अध्यक्ष लबीद शाफ़ी ने कहा कि छात्र और युवा इस देश की सबसे बड़ी निर्वाचन शक्तियां हैं और राजनीतिक दलों को वोट मांगते समय उनकी आवश्यकताओं और मांगों को विशेष रूप से पूरा करना चाहिए. 

उन्होंने यह भी कहा कि एसआईओ ने एक ऐसा घोषणा पत्र तैयार किया है जो राजनीतिक दलों को देश के भविष्य में निवेश करने के लिए कहता है. 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अब छात्रों और युवाओं को नारों या विभाजनकारी मुद्दों के द्वारा विचलित नहीं किया जा सकेगा.

एसआईओ का कहना है कि ये मेनिफेस्टो भारत के तमाम छात्रों और युवाओं की ओर से है.  इस मेनिफेस्टो में रखी गई सिफ़ारिशों और मांगों को तीन श्रेणियों, क्रमशः शिक्षा सम्बन्धी मांगें, युवा वर्ग सम्बन्धी मांगें और मानवाधिकार के मुद्दे में विभाजित किया गया है.

शिक्षा :

घोषणा पत्र के शिक्षा सम्बन्धी भाग में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के ख़राब कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की तीखी आलोचना की गई है और उसमें सुधार के लिए कई सुझाव दिए गए हैं. मौलाना आज़ाद नेशनल फ़ेलोशिप और राजीव गांधी नेशनल फ़ेलोशिप के स्टाइपेंड को बढ़ाने के साथ-साथ पात्रता के लिए नेट की आवश्यकता को वापस लेने की विशिष्ट मांगें हैं. 

घोषणा पत्र में सच्चर समिति की रिपोर्ट की सिफ़ारिशों के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की मांग भी की गई है. इन मांगों के अलावा इसमें छात्रवृत्ति योजनाओं में सुधार और छात्रों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए सिफ़ारिशें भी हैं.

मांगें– रोहित अधिनियम बनाया जाए. अल्पसंख्यक केंद्रित ज़िलों में एएमयू ऑफ़ कैंपस सेंटर्स स्थापित किए जाएं. बच्चों पर उनकी विशेष आवश्यकताओं के साथ अतिरिक्त ध्यान दिया जाए. अरबी और इस्लामिक स्टडीज़ विभाग सभी विश्वविद्यालयों में खोले जाएं. सभी विश्वविद्यालयों में अरबी और इस्लामिक स्टडीज़ में कम से कम स्नातक कोर्स शुरू किए जाएं. आरटीई अधिनियम (2009) को पूरी तरह से लागू किया जाए. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया का अल्पसंख्यक दर्जा बनाए रखा जाए.

युवा :

घोषणा पत्र के युवा वर्ग सम्बन्धी भाग में बेरोज़गारी की निरंतर बढ़ रही दर का हवाला देते हुए, समावेशी उद्यमिता योजनाओं और कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए सिफ़ारिशें की गई हैं. इसमें सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार को भी चिह्नित किया गया है और समयबद्ध और पारदर्शी चयन प्रक्रियाओं को लागू करने की मांग की गई है.

मांगें – सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में सभी रिक्तियों को तुरन्त भरा जाए. सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों के लिए चयन प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए. रंगनाथ मिश्रा आयोग के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र की सेवाओं में आरक्षण दिया जाए.

मानवाधिकार :

घोषणा पत्र में मानवाधिकार सम्बन्धी कई मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है और धार्मिक अल्पसंख्यकों और अन्य हाशिए के समुदायों के ख़िलाफ़ हिंसा से निपटने के लिए एक व्यापक क़ानून बनाने की मांग की गई है. यह उन निर्दोष युवाओं के लिए पुनर्वास योजनाओं की शुरुआत करने का भी आह्वान करता है जिन पर आतंकवाद के मामलों में ग़लत आरोप लगाए गए हैं.

मांगें – असम में नागरिकों के राष्ट्रीय पंजीकरण (NRC) को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीक़े से चलाया जाए. मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए बने संस्थानों को मज़बूत किया जाए. CrPC की धारा 197 को ख़त्म किया जाए. सभी क्षेत्रों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव की रोकथाम के लिए क़ानून बनाया जाए.

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