दुनिया को तकनीक से विचार की ओर लौटना होगा —हरिवंश

Beyond Headlines
4 Min Read

BeyondHeadlines News Desk

नई दिल्ली: ‘वर्तमान में दुनिया तकनीक की ओर बड़ी तेज़ी से भाग रही है, लेकिन उसे अपना बेहतर रूप बचाए रखने के लिए विचार और मूल्यों की ओर लौटना ही होगा. इसके बग़ैर दुनिया का कल्याण संभव नहीं है.’ 

ये बातें शनिवार को कंस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हॉल में गौरीशंकर राय स्मृति समिति के तत्वाधान में आयोजित वरिष्ठ समाजवादी नेता सगीर अहमद की पुस्तक ‘अभी उम्मीद ज़िन्दा है’ का लोकार्पण करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कही.

हरिवंश ने कहा कि बायोटेक, इन्फोटेक और बाज़ार मिलकर हमारी सभ्यता, सृष्टि के समक्ष बहुत बड़ा ख़तरा पैदा कर रहे हैं. विचारों और मूल्यों के आधार पर ही इस ख़तरे का मुक़ाबला किया जा सकता है. 

उन्होंने कहा कि समाजवादी चिन्तक सगीर अहमद के जीवन का हर पल नई पीढ़ी को प्रेरणा देने वाला है. अभी उम्मीद ज़िन्दा है- पुस्तक में उनकी इस प्रेरणा पूर्ण ज़िन्दगी को ठीक से संजोया गया है. इस पुस्तक में राजनीतिक इतिहास की बहुत सी ऐसी बाते हैं जिसे पढ़कर नई पीढ़ी बहुतों के बारे में ठीक से अवगत हो पाएगी.

इस अवसर पर समाजवादी विचारक रघु ठाकुर ने कहा कि सगीर साहब में आचार्य नरेंद्र देव की गंभीरता, लोकनायक जयप्रकाश नारायण की उदारता और डॉ राममनोहर लोहिया की वैचारिक प्रखरता, के तीनों गुण विद्यमान है. आज के दौर में इनके जैसे विचारक से तमाम नाउम्मीदी में उम्मीद की लौ दिखती है. 

जेएनयू के पूर्व प्रोफ़ेसर और समाजशास्त्री आनंद कुमार ने कहा कि सगीर साहब से मेरा रिश्ता तीन पीढ़ियों का है. समाज को विषमता से समता और विपन्नता से संपन्नता की ओर ले जाने का सपना तो लाखों लोगों की पसंद और ज़रुरत है, लेकिन इसके लिए छात्र जीवन से वृद्धावस्था तक जुटे रहना बग़ैर सिद्धांत में आस्था और स्वयं के आत्मविश्वास के नहीं हो सकता. और ऐसा केवल सगीर साहब ही कर सकते हैं. 

वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने कहा कि सग़ीर साहब ने स्वतंत्रता संग्राम को देखा है और वे स्वराज को सुराज के रूप में देखते हैं, इसलिए उनका स्वाभाविक विचार समाजवाद रहा है. 

प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन ने सगीर साहब के साथ अपने अनुभवों को याद किया और कहा कि सगीर साहब के आचार-व्यवहार-विचार हमेशा ऊर्जा के स्रोत रहे हैं. 

लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता पूर्व सांसद रामलाल सुमन ने की और कहा कि आज हमारी राजनीति में दो परंपराएं प्रबल हैं. एक तरफ़ ऐसे लोगों की लंबी क़तार है, जो इसे स्वार्थ सिद्धि और धन संचय का रास्ता बना चुके है. दूसरी तरफ़ कुछ ऐसे लोग है जो राजनीति को नागरिक धर्म की तरह निभाते हैं. ये वैसे लोग हैं जो राजनीति में कुछ पाने के बजाय अपनी तरफ़ से कुछ देने की परंपरा के वारिस बने हैं, उन्हीं में से एक है सगीर साहब.

समारोह को समाजवादी नेता राजनाथ शर्मा, पूर्व विधायक सौलत अली, पूर्व विधायक टीपी शुक्ला, पूर्व विधायक प्रेम स्वरुप पाठक, समाजसेवी दीनानाथ शास्त्री आदि ने सम्बोधित किया और कहा कि सगीर साहब का जीवन सामाजिक व राजनीतिक जीवन में त्याग और रिश्तों के निर्वहन का पर्याय है. 

इस लोकार्पण समारोह का संचालन समाजवादी धारा के वरिष्ठ पत्रकार कुर्बान अली ने किया और सगीर साहब के जीवन की घटनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला.

Share This Article