BeyondHeadlines News Desk
नई दिल्ली: बिहार सरकार के ‘बिहार रूरल लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसायटी’ यानी जीविका ने वैकेंसी निकाली है, जिसमें प्रीमियम इंस्टीट्यूट की सूची से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिल्लिया इस्लामिया जैसी महत्वपूर्ण सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी का नाम ग़ायब कर दिया गया है. इससे एएमयू व जामिया से तालीम हासिल करके निकले छात्र काफ़ी नाराज़ हैं और जल्द ही इस मामले को लेकर आन्दोलन की तैयारी में हैं.
जामिया से सोशल वर्क कर चुके एक छात्र शारिक़ अहमद बताते हैं कि ये बिहार सरकार का जान-बूझकर उठाया गया क़दम है. जबकि जामिया देश का एक जाना-पहचाना यूनिवर्सिटी है. पूरी दुनिया में इसकी एक अलग पहचान है. इसने ‘टाइम्स हायर एजुकेशन इमर्जिंग इकोनॉमीज यूनिवर्सिटी’ की 2019 की रैंकिंग में 187वें स्थान पर जगह बनाई है.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्लेसमेंट ऑफ़िसर डॉ. रिहान ख़ान सुरी के मुताबिक़ जामिया की ओर से इस बारे में पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन इस बारे में इस संस्था की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया.

वहीं अलुमनाई एसोसियशन ऑफ़ जामिया मिल्लिया इस्लामिया बिहार चैप्टर के सचिव सफ़दर अली ने भी इस संबंध में आरटीआई के तहत सवाल पूछे थे, लेकिन गोलमोल जवाब देकर ये संस्था बचने की कोशिश में लगी हुई है. सफ़दर अली इस संबंध में अब द्वितीय अपील करने की तैयारी में हैं.


जामिया व एएमयू के छात्रों का ये भी कहना है कि मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जल्द से जल्द इस ओर ध्यान दें, अन्यथा इस चुनाव में बुरे परिणाम झेलने पड़ सकते हैं. क्योंकि ख़ास तौर से बिहार में एएमयू व जामिया से पढ़े लोगों की एक अच्छी-ख़ासी तादाद है.
बता दें कि जीविका यानी बिहार रूरल लाइवलिहुड प्रोजेक्ट साल 2007 में विश्व बैंक की आर्थिक सहायता से बिहार में शुरू किया गया था.