‘बाक़ी का पता नहीं, लेकिन बेरोज़गारी बढ़ गई है. बहुत ज़्यादा बढ़ गई है…’

Beyond Headlines
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By Dilnawaz Pasha

अभी कैब से घर आ रहा था. रास्ता लंबा था तो ड्राइवर से यूं ही बात करने लगा…

बात शुरू हुई तो कांग्रेस की हर ग़रीब के लिए न्यूनतम आय सुनिश्चित करने की योजना पर आ गई.

ड्राइवर ने कहा इससे कोई फ़ायदा नहीं होगा.

मैंने पूछा क्यों, तो उसने कहा कांग्रेस ने देश को 60 साल लूटा है. आगे सरकार आई तो और लूटेगी. भ्रष्टाचार ही बढ़ेगा.

फिर उसने कहा कि इस सरकार में कोई घोटाला नहीं हुआ है. पाकिस्तान से बदला लिया गया है…

बातें होती रहीं. सरकार की, भ्रष्टाचार की, राजनीति की. वोट देने की, ना देने की.

फिर मैंने उससे पूछ ही लिया कि बाक़ी सब छोड़िए, अपना बताइये, आपकी ज़िंदग़ी कितनी बदली.

ये कहते ही ड्राइवर की आंखें गीली हो गईं.

बोला, मेरी ना पूछिए…

“रियल एस्टेट सेक्टर में था. पैंतालीस हज़ार रुपए महीना की सैलरी पर काम कर रहा था. फिर नौकरी चली गई. जिस गाड़ी में आप बैठे हैं, मेरी निजी गाड़ी थी. बीवी बच्चों को साथ इसमें घूमता था. टैक्सी नंबर कराकर अब कैब चला रहा हूं. तिनका-तिनका जोड़कर ग्रेटर नोयडा में विला ख़रीदा था. बिक्री के लिए लगाया है. 36 लाख में बिक भी गया था, लेकिन जिसने ख़रीदा वो लोन नहीं करा सका. अब ख़रीददार के इंतेज़ार में हैं. बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए घर बेचना पड़ रहा है.”

मैंने पूछा घर बिक जाएगा तो कहां रहोगे — उसने कहा किराए पर रहूंगा, रहूंगा क्या रहना पडे़गा.

ये कहते-कहते उसकी आंखें गीली हो गई. जाते-जाते कहा, बाक़ी का पता नहीं, लेकिन बेरोज़गारी बढ़ गई है. बहुत ज़्यादा बढ़ गई है.

(दिलनवाज़ पाशा बीबीसी से जुड़े हैं. उनका ये पोस्ट उनके पोस्ट फेसबुक टाईमलाइन से लिया गया है.)

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