‘नीतीश कुमार को मुसलमानों का वोट तो चाहिए, लेकिन हिस्सेदारी देना नहीं चाहते…’

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(PTI Photo)

BeyondHeadlines News Desk

पटना: बिहार में मुस्लिम नौजवानों का नीतीश कुमार से मोहभंग होना शुरू हो चुका है. कई ज़िलों से पार्टी के युवा नेताओं की पार्टी छोड़ने की ख़बर आ रही है. 

सोशल मीडिया पर पिछले तीन दिनों से एक त्याग-पत्र काफ़ी वायरल हो रहा है. ये पत्र जहानाबाद के जदयू महासचिव सह प्रवक्ता मुज़्ज़म्मिल ईमाम का है, जिन्होंने अपनी पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है.

मुज़्ज़म्मिल ईमाम ने अपने त्याग-पत्र में लिखा है कि जदयू अपनी नीतियों से विमुख हो चुकी है. जिस विचारधारा पर पार्टी का गठन हुआ था, आज वो उस विचारधारा के बिल्कुल उलट काम कर रही है. 

अपने त्याग-पत्र में उन्होंने आगे लिखा है कि, पिछले कुछ वर्षों से पार्टी अपने सिद्धांतों से भटकती दिख रही है, पर पार्टी के वफ़ादार होने के कारण कई बातों को नज़रअंदाज़ करता रहा. लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव में जिस तरह से टिकट का बंटवारा हुआ है, उसे देखकर दिल बहुत आहत हुआ कि जदयू सभी वर्ग, सभी समुदाय को साथ लेकर चलने की बात करती थी, किन्तु टिकट बंटवारा इन बातों को सत्यापित नहीं करता. कई समुदाय के लोगों को टिकट बंटवारे में नज़रअंदाज़ किया गया है. ख़ासकर मुसलमानों को उनके हिस्सेदारी के हिसाब से टिकट नहीं दिया गया है. जिससे ऐसा महसूस होता है कि जदयू के लिए भी अब मुसलमान एक वोट बैंक ही बनकर रह गए हैं. नीतीश कुमार के उदय में मुसलमानों ने एक अहम किरदार अदा किया था और नीतीश कुमार ने सामाजिक न्याय के अपने वादे पर खरे उतरते दिख रहे थे लेकिन पिछले तीन साल के कार्यकाल में ऐसा महसूस हुआ कि नीतीश कुमार नहीं, भाजपा के गुंडे सरकार चला रहे हैं.

ईमाम ने यह भी आरोप लगाया कि नीतीश कुमार मुसलमानों को आपस में बांटने की कोशिश में लगातार लगे हुए हैं. किशनगंज से उनका एकमात्र मुस्लिम उम्मीदवार अब मसलकी खेल खेलने लगा है.

बता दें कि 2014 लोकसभा में जदयू की ओर से पांच मुस्लिम उम्मीदवार खड़े हुए थे, लेकिन इस बार सिर्फ़ एक ही मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया गया है. जबकि बिहार में मुस्लिम वोटरों की अच्छी ख़ासी तादाद है. कई लोकसभा सीटों पर अल्पसंख्यक वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं. उनके वोट के आधार पर ही उम्मीदवारों के क़िस्मत का फ़ैसला होता है.

2011 जनगणना के मुताबिक़ राज्य की मुस्लिम आबादी 17 फ़ीसदी के क़रीब है. 13 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मुसलमान मतदाताओं की संख्या 12 से 67 फ़ीसदी के बीच है. बिहार में सर्वाधिक मुस्लिम वोटर वाला लोकसभा क्षेत्र किशनगंज है, यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 67 फ़ीसदी है, वहीं दूसरे स्थान पर कटिहार है, जहां मुस्लिम वोटर की संख्या 38 फ़ीसदी, अररिया में 32 फ़ीसदी, पूर्णिया में 30 फ़ीसदी, मधुबनी में 24 फ़ीसदी, दरभंगा में 22 फ़ीसदी, सीतामढ़ी में 21 फ़ीसदी, पश्चिमी चम्पारण 21 फ़ीसदी और पूर्वी चम्पारण 20 फ़ीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. सीवान, शिवहर खगडिय़ा, भागलपुर, सुपौल, मधेपुरा, औरंगाबाद, पटना और गया में 15 फ़ीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं.

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