Afroz Alam Sahil, BeyondHeadlines
पटना: बिहार के जहानाबाद में इन दिनों वाक़ई चमत्कार हो रहा है. यहां से चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों की पढ़ाई-लिखाई और उम्र का ब्यौरा हर अगले हलफ़नामे में बदल रहा है. ख़ास बात यह है कि नेताओं की तालीम व उम्र में हो रहा ये बदलाव खुद उनके ही हलफ़नामे का हिस्सा है.
2019 लोकसभा में ताल ठोक रहे राजद के उम्मीदवार सुरेन्द्र प्रसाद यादव की कहानी थोड़ी अलग है. इनकी शैक्षणिक योग्यता में इस बार गिरावट नज़र आ रही है.
सुरेन्द्र प्रसाद यादव जब तक बेलागंज के विधायक रहे, अपने चुनावी हलफ़नामा में खुद को पीएचडी बताते रहे, लेकिन जब सांसद पद के लिए चुनाव लड़ना शुरू किया तो इनका हलफ़नामा बताता है कि ये एमए पास हैं.

अब इनके चुनावी हलफ़नामे के मुताबिक़ इन्होंने मगध विश्वविद्यालय, बोधगया से 1992 में बुद्धिस्ट स्टडीज़ में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है. जिसमें इन्होंने 73.2 फ़ीसद नंबर हासिल किया है.
जबकि साल 2015 में जब सुरेन्द्र यादव विधायक बनने की लड़ाई लड़ रहे थे, तब इन्होंने अपनी चुनावी हलफ़नामे में खुद की पीएचडी बताया था. इस हलफ़नामा के मुताबिक़ इन्होंने साल 1996 में मगध विश्वविद्यालय, बोधगया से ही पीएचडी की डिग्री हासिल की है. वहीं एमए का साल इन्होंने इस हलफ़नामे में 1990 बताया है. इससे पहले के चुनावों में भी यही जानकारी हलफ़नामे में देते आए हैं.

बता दें कि सुरेन्द्र यादव मगध विश्वविद्यालय में बतौर सहायक जुड़े हुए हैं. इसकी जानकारी सुरेन्द्र यादव के हलफ़नामे से ही मिलती है. इस हलफ़नामे में लगे पत्र में मगध विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने बताया है कि ‘सुरेन्द्र यादव, सहायक, मगध विश्वविद्यालय, बोधगया को 2019 के लोकसभा आम चुनाव में प्रत्याशी के रूप में सम्मिलित होने हेतु विभागीय अनुमति दी जाती है. श्री यादव को आम चुनाव में सम्मिलित होने से विश्वविद्यालय को कोई आपत्ति नहीं है.’ सूत्रों की मानें तो सुरेन्द्र यादव अपनी इसी पीएचडी डिग्री के आधार पर मगध विश्वविद्यालय से जुड़े हैं, जो इस बार के चुनावी हलफ़नामे से ग़ायब है.

नेती जी की घटती-बढ़ती उम्र
साल 2005 के हलफ़नामे के मुताबिक़ सुरेन्द्र प्रसाद यादव की उम्र 48 साल थी, जो 2010 में 52 साल की हो गई, यानी पांच साल में नेता जी सिर्फ़ चार साल बड़े हुए. 2014 लोकसभा चुनाव तक नेता जी की उम्र ठीक-ठाक रही. यानी अब वो 56 साल के हो गए. लेकिन इस बार फिर से पांच साल में चार साल ही बड़े हुए हैं. इस बार के चुनावी हलफ़नामे में इनकी उम्र 60 साल है.
घटती-बढ़ती उम्र की कुछ ऐसी ही कहानी यहां से सीपीआई एमएल (एल) की प्रत्याशी कुंती देवी की भी है. साल 2005 विधानसभा चुनाव में कुंती देवी की उम्र 43 साल थी और साल 2018 में हुए उपचुनाव में 53 साल की रहीं. यानी इन 13 सालों में ये सिर्फ़ और सिर्फ़ 10 साल ही बड़ी हुईं. अब इनकी उम्र 54 साल है.
जदयू प्रत्याशी चन्द्रेश्वर प्रसाद साल 2016 में विधान परिषद के उपचुनाव में 66 साल के थे, अब साल 2019 में 68 साल के हैं.