इसे पानी पीते हुए पढ़िएगा, टेंशन कम होगा…

Beyond Headlines
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By Abhishek Upadhyay 

सिर्फ़ एनालिसिस कर रहा हूं, पर बात बहुत गहरी है. पानी पीते हुए पढ़िएगा. टेंशन कम होगा. इस बार का मोदी पिछले टर्म से 100 फ़ीसदी अलग होगा. इस बार वे फ़ैसले होंगे जो तारीख़ हिला देंगे. ये मैं न तारीफ़ लिख रहा हूं, न बुराई. पर होगा यही ये पक्का लिख रहा हूं. 136 फ़ीसदी पक्का… इस बार के मोदी को किसी भी सलाह के लिए किसी अरुण जेटली की कोई ज़रूरत नहीं होगी. That phase is over now. 

गुजरात की सीधी सपाट गलियों से लुटियन दिल्ली के चक्रव्यूह में आया मोदी नाम का ये ब्रांड इस बार किसी “फीड बैक” की ओर मुंह नहीं करेगा. ये लुटियन दिल्ली जो कल तक मोदी को कहानियां सुनाती थी, आज मोदी की मुट्ठी में क़ैद होकर खुद में कहानी बन चुकी है.

दिल्ली की ब्यूरोक्रेसी के दांव-पेंच अब हाथ की अंगूठियां बन चुके हैं. मीडिया को अब हैंडल करने की ज़रूरत नहीं है. बस हैंडल पकड़ने की ज़रूरत है और उसका भी ठीक ठाक तजुर्बा हो चुका है. विपक्ष की हालत डायबिटीज के उस मरीज़ जैसी हो चुकी है जो दो लीटर गन्ने का जूस पीकर खून की जांच के लिए लाल पैथोलॉजी के रास्ते में है. 

रही सही कसर अवार्ड वापसी गैंग ने बिना अवार्ड लौटाए हुए ही मोदी को चरस कर कर पूरी कर दी है. सो अब मामला “पे बैक” का है. कभी मत भूलिएगा कि मोदी ने ये चुनाव राष्ट्रवाद के दम पर जीता है. इसलिए मोदी को जवाब भी उसी राष्ट्रवाद को देना है. मोदी का उत्तरदायित्व भी उस राष्ट्रवाद के प्रति ही है.

सो अब कश्मीर से धारा —370 हटना हो या फिर बांग्लादेश से अवैध बांग्लादेशी जाने हों, बस दिन गिनते जाइये. जो लोग मोदी पर पांच साल तक जुमलेबाजी करने और वायदे पूरे न करने का आरोप लगाते आए हैं, वे अगले पांच साल इसी बात पर छातियां पीटेंगे कि ये सब क्यों हो रहा है? 

सो घड़ी मिला लीजिए, अलार्म लगा लीजिए. ये पुण्य प्रसून वाजपेयी का यूट्यूब चैनल नहीं है जो सारे एग्जिट पोल को कौड़ी का तीन बताते हुए कल रात तक मोदी को 150 सीटें दे रहा था और आज बनारस के गोदौलिया चौराहे की भांग वाली ठंडाई पीकर बेहोश पड़ा है. बस शपथ ग्रहण होने दीजिए और तेल की धार देखना शुरू कीजिए. बाक़ी कौन जीता, कौन हारा इस पर अब क्या बात करनी? हुआ तो हुआ!

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