BeyondHeadlines Correspondent
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर केजरीवाल के समर्थक ये लिखते हुए नज़र आ रहे हैं कि अगर कांग्रेस व आम आदमी पार्टी साथ मिलकर लड़ती तो दिल्ली की सातों सीटों पर बीजेपी की क़रारी हार होती. ठीक इसके उलट कांग्रेस समर्थक भी यही बात कह रहे हैं, लेकिन जब BeyondHeadlines ने चुनावी नतीजों का विश्लेषण किया तो एक अलग ही कहानी नज़र आई.
अगर आंकड़ों की मानें तो सच्चाई यही है कि कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के दोनों उम्मीदवारों के वोट एक साथ कर दिए जाएं तो भी बीजेपी के उम्मीदवारों की लाख वोटों से ज़्यादा की ही जीत होती.
नई दिल्ली लोकसभा सीट पर अजय माकन व ब्रिजेश गोयल दोनों को मिलाकर कुल 3,98, 044 वोट प्राप्त हुए हैं, जबकि बीजेपी के मीनाक्षी लेखी को अकेले 5,04,206 वोट मिले हैं.

चांदनी चौक लोकसभा सीट पर जे.पी. अग्रवाल व पंकज गुप्ता दोनों को मिलाकर कुल 4,35,461 वोट प्राप्त हुए हैं, जबकि बीजेपी के डॉ. हर्षवर्धन को अकेले 5,19,055 वोट मिले हैं.

पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर अरविंदर लवली व आतिशी दोनों को मिलाकर कुल 5,24,172 वोट प्राप्त हुए हैं, जबकि बीजेपी के गौतम गंभीर को अकेले 6,96,155 वोट मिले हैं.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर शीला दीक्षित व दिलीप पांडे दोनों को मिलाकर कुल 6,12,553 वोट प्राप्त हुए हैं, जबकि बीजेपी के मनोज तिवारी को अकेले 7,87,799 वोट मिले हैं.

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर गुग्गन सिंह व राजेश लिलोठिया दोनों को मिलाकर कुल 5,31,648 वोट प्राप्त हुए हैं, जबकि बीजेपी के हंसराज हंस को अकेले 8,48,663 वोट मिले हैं.

दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट पर राघव चड्ढा व विजेंदर दोनों को मिलाकर कुल 4,84,584 वोट प्राप्त हुए हैं, जबकि बीजेपी के रमेश बिधूड़ी को अकेले 6,87,014 वोट मिले हैं.

पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर महाबल मिश्र व बलबीर जाखड़ दोनों को मिलाकर कुल 5,39,035 वोट प्राप्त हुए हैं, जबकि बीजेपी के प्रवेश वर्मा को अकेले 8,65,648 वोट मिले हैं.

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बीजेपी को मिले इस प्रचंड वोटों के सामने शायद ही आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के उम्मीदवार टिक पाते. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को अपने दिए गए उस बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि मुसलमानों ने उनकी पार्टी को वोट नहीं किया, के बारे में ज़रूर सोचना चाहिए कि आख़िर दिल्ली-वासियों ने क्यों वोट नहीं किया. आख़िर क्या वजह है कि बीजेपी को इतनी बड़ी मात्रा में थोक के भाव वोट हासिल हुए हैं. इन सवालों पर जल्द ही न सोचा तो 2020 में दिल्ली विधानसभा भी केजरीवाल के हाथों निकलते देर न लगेगी…