आपको पता है कि कांग्रेस के सबसे ताक़तवर परिवार के भीतर बीजेपी का “प्लांट” कौन है?

Beyond Headlines
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By Abhishek Upadhyay

आपको पता है कि कांग्रेस के सबसे ताक़तवर परिवार के भीतर बीजेपी का “प्लांट” कौन है? मैं दावे के साथ लिख रहा हूं कि आज से 5-10 साल बाद आईबी या रॉ का कोई बड़ा अधिकारी रिटायर होगा तो मेरी इस बात को एक विस्फोटक किताब लिखकर बताएगा. आज नहीं मानेंगे आप, तो तब मान लीजियेगा. आज बस इस राज़ के इशारे समझ लीजिए!

अब फिर से सोचिए आख़िर कांग्रेस के सबसे ताक़तवर परिवार के भीतर वो कौन सा बीजेपी का “प्लांट” है जो अपना एक-एक क़दम मोदी और अमित शाह के इशारे पर रखता है. मुझे कारण नहीं पता, पर कोई न कोई ज़बरदस्त कारण ज़रूर है जो राहुल गांधी को कठपुतली की तरह नचा रहा है. मोदी और अमित शाह जो सोचते हैं, राहुल गांधी वही कर बैठते हैं. ये कोई संयोग है? या फिर वो है जो मैं आज लिखने जा रहा हूं.

इतिहास ने एक रोज़ पंजों पर खड़े होकर पूछा, “गुरु, युयुत्सु को जानते हो, जो कौरवों के खेमे में रहकर पांडवों का काम कर रहा था और कौरवों का काम लगा रहा था.” मैंने कहा, “तात, आप क्या राहुल गांधी की बात कर रहे हो?” इतिहास ने खुश होकर मुझे गले लगा लिया और उछलकर बोला, “सही पकड़े हैं.”

मुझे नहीं मालूम कि राहुल गांधी को “चौकीदार चोर है” कहने का आइडिया किसने दिया? पर दावे के साथ कह सकता हूं कि ये काम अमित शाह के किसी क़रीबी का ही होगा. जो बात मदर डेयरी की फ्रूटनट आइसक्रीम खाने वाला एक दस साल का बच्चा भी समझ सकता है वो राहुल गांधी की समझ में न आए! ये कैसे हो सकता है? 

मैं उस वक़्त गुजरात में था. सोनिया गांधी ने बड़े तैश में आकर मोदी को “मौत का सौदागर” कह दिया था. उसके बाद मोदी ने पूरे चुनाव भर सोनिया गांधी के उस बयान को अंग्रेज़ों के ज़माने के छोड़े हुए सिलबट्टे के नीचे रखकर वो कूटा कि कांग्रेसी बाप बाप कर उठे.

राहुल ने भी इस बार यही किया. फिर दावे से कहता हूं कि किया नहीं, राहुल से ये करवाया गया. इधर राहुल ने चौकीदार चोर कहा. उधर मोदी ने उसी चौकीदारी को हार बनाकर अपने गले में डाल लिया और पूरी कांग्रेस को सूपड़ा साफ़ के कैक्टस का मंगलसूत्र पहना दिया. सिर्फ़ यही नहीं, राहुल से अमित शाह और मोदी की टीम ने और भी बहुत से ऐसे काम करवाए जिससे बीजेपी ने महफ़िल और मैदान दोनों लूट लिए —क्या अब ये भी गिनवाना पड़ेगा?

1. राहुल का दिल्ली से लेकर यूपी तक अकेले ही ताल ठोंककर कुश्ती में भिड़ जाना और बिना डकार लिए ही विपक्षी एकता के सारे वोट हजम कर जाना.

2. अपने घोषणा पत्र में देशद्रोह क़ानून और कश्मीर से Armed Forces Special Power Act ख़त्म करने के आत्मघाती वायदे कर लेना. सोचिए बालाकोट स्ट्राइक के बाद देश में बने ज़बरदस्त राष्ट्रवाद के माहौल के बीच राहुल गांधी ये आइटम ढूंढकर लाए थे! मैं इलाहाबाद से पढ़ा लिखा हूँ. दावे के साथ कहता हूँ कि इलाहाबाद के चांदपुर सलोरी मोहल्ले के भांग के ठेके पर ले जाकर किसी को साढ़े सात किलो भांग पिला दो, फिर भी वो ऐसी ग़लती नहीं करेगा, जो राहुल गांधी ने की.

3. बीजेपी जब हिंदुत्व की पतंग उड़ा रही थी, उस समय अमेठी से भागे राहुल बाबा केरल के वायनाड की भारी अल्पसंख्यक बहुल सीट पर पोलो का खेल खेलते हुए नज़र आए. उनके इस एक क़दम से बीजेपी ने कांग्रेस के अल्पसंख्यक तुष्टीकरण को इतना बड़ा मुद्दा बना लिया कि राहुल की पूरी पार्टी ही पोलो ले गयी. इलाहाबाद की आसान भाषा मे ‘पोलो ले लेने’ को गायब हो जाना भी कहते हैं.

4. आख़िर में “हुआ तो हुआ” जैसी लायबिलिटी को राहुल ने अपना मुख्य सलाहकार बना लिया. सोचिए एक तरफ़ मोदी के सलाहकार अमित शाह जैसा तेज़ दिमाग दूसरी और राहुल के सलाहकार “हुआ तो हुआ.” नतीजे में पूरी पार्टी ही “हुआ तो हुआ” हो गयी. आप किसी भी कांग्रेसी से इन दिनों बस इतना पूछ लीजिए कि गुरु ई का हुआ. जवाब इतना ही मिलेगा, “हुआ तो……”

प्लीज हंसियेगा नहीं. मैं बहुत सीरियस बात लिख रहा हूं. राहुल गांधी कम्पलीट हाईजैक हो चुके हैं. इतिहास में ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है. अंग्रेज़ कप्तान रॉबर्ट क्लाइव ने प्लासी की लड़ाई में मीर जाफ़र को हाईजैक कर अपनी ओर मिला लिया और पहले बंगाल फिर पूरा मुल्क जीत लिया. इसी तरह फ्रांसीसी यात्री फ्रांसिस बर्नियर ने अपनी किताब “ट्रैवल्स इन द मुगल एंपायर” में एक खलीलुल्लाह नाम के व्यक्ति का ज़िक्र किया है जो दारा शिकोह का आदमी था पर ऐन वक़्त पर औरंगज़ेब से मिल गया और दारा का काम लगा दिया. क्या राहुल गांधी यही कर रहे हैं? 

मेरा मानना है कि हां! वे यही कर रहे हैं. वे मोदी और अमित शाह के इशारे पर कांग्रेस की जड़ खोद रहे हैं. अब आप पूछेंगे, मगर क्यों? वो मजबूरी क्या है? वो कारण क्या है? वजह क्या है? कोई कमज़ोर नस? कोई दबा हुआ राज़?

वजह बताएगी आईबी! वजह बताएगा रॉ! पर आज नहीं. पर एक दिन ज़रूर… 

पर इस बीच मोदी समर्थकों से एक अनुरोध ज़रूर है कि जब भी राहुल गांधी को देखें—

न पप्पू कहें, 

न मज़ाक उड़ाएं, 

न मीम बनाएं, 

बस इतना बोलकर

आगे बढ़ जाएं,

“अमाँ ये तो अपना ही आदमी है”

जय हो!

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