BeyondHeadlines Correspondent
सहारनपुर: “मैं यक़ीन नहीं कर पा रही हूं, लेकिन ये सच है कि मैंने पीसीएस (जे) का इम्तिहान पास कर लिया है. मैंने कोई कोचिंग नहीं, बस एक मक़सद बनाकर पूरी मेहनत से पढ़ाई की और कामयाबी मिल गई.”
ये शब्द फरहा नाज़ के हैं, जो पीसीएस (जे) का इम्तिहान पास करके अब सिविल जज बन गई हैं.
20 जुलाई को जब पीसीएस (जे) का रिजल्ट आया, तो ये ख़बर पूरे इलाक़े में आग की तरह फैल गई कि सहारनपुर ज़िले के सोहनचिड़ा गांव में रहने वाले पूर्व प्रधान हाजी अय्यूब की बेटी फ़रहा नाज़ जज बन गई है. खबर सुनते ही बधाई देने वालों का तांता लग गया, जो अभी तक भी जारी है.

फ़रहा के गांव का नाम सोहनचिड़ा है जो सहारनपुर के नागल इलाक़े में आता है. मुस्लिम बाहुल्य ये इलाक़ा शिक्षा के मैदान में बेहद पिछड़ा है और ख़ास तौर पर यहां की मुस्लिम बेटियां 10वीं व 12वी की पढ़ाई के बाद आगे की शिक्षा हासिल करने के लिए बड़ा संघर्ष करती नज़र आती हैं. ऐसे में फ़रहा नाज़ की ये कामयाबी पूरे इलाक़े की बेटियों के लिए बहुत बड़ी नज़ीर मानी जा रही है.
फ़रहा की बुनियादी शिक्षा गांव के ही स्कूल से हुई है. आठवीं के बाद नांगल के एक स्कूल से बारहवीं तक पढ़ाई की, जिसके बाद ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी चली गईं. हालांकि दो साल में ही फ़रहा ने बीए की पढ़ाई छोड़ दी, उसके बाद उन्होंने फिर से बीए एलएलबी में दाख़िला लिया और क़ानून की पढ़ाई शुरू कर दी.

फ़रहा कहती है कि उन्होंने ठान लिया था कि वकालत नहीं करनी बल्कि जज बनना है, इसी टारगेट को पूरा करने के लिए उन्होंने मेहनत की और आज वो मेहनत रंग लाई. फ़रहा ने मई के महीने में ही एलएलएम की पढ़ाई पूरी की है.
फ़रहा कहती है, कि बेटियों से सिर्फ़ मौक़ा मिलना चाहिए, बाक़ी सब काम वो खुद कर लेती हैं. कामयाबी हमेशा उनकी क़दम चूमती है.
फ़रहा की इस कामयाबी में उनके बड़े भाई तनवीर का भी रोल है जो आईआईटी इंदौर में प्रोफ़ेसर हैं. फ़रहा सितंबर तक गांव में ही रहेंगी. सितंबर से लखनऊ जेटीआरआई में उसकी तीन महीने की ट्रेनिंग होगी और उसके बाद पोस्टिंग हो जाएगी. बता दें कि इस बार यूपी पीसीएस (जे) में 38 मुसलमान बने जज बने हैं, जिनमें 18 लड़कियां भी शामिल हैं.