क्या दिल्ली हिंसा बीजेपी की ‘गहरी साज़िश का नतीजा’ है?

BeyondHeadlines News Desk
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लंबी ख़ामोशी के बाद दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने उप-राज्यपाल अनिल बैजल पर दिल्ली हिंसा और एंटी-सीएए विरोध से संबंधित मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को अवरूद्ध करने का आरोप लगाया है.

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने दिल्ली हिंसा को भारतीय जनता पार्टी की ”गहरी साज़िश का नतीजा” बताया है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी चाहती है कि हिंसा से जुड़े चेहरों को बचाने के लिए उसकी पसंद के वकील नियुक्त किए जाएं.

राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने पिछले रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये आरोप लगाए, जहां उन्होंने दिल्ली सरकार और उप-राज्यपाल अनिल बैजल के बीच चल रही तनातनी को रेखांकित किया, जिसमें बैजल का ज़ोर इस बात पर है कि दिल्ली पुलिस की तरफ़ से अनुशंसित 6 सरकारी वकील हिंसा-संबंधी मामलों पर बहस करेंगे. संजय सिंह ने कहा, ‘हम निष्पक्ष जांच और निष्पक्ष सुनवाई चाहते हैं.’

इसके अलावा उन्होंने कहा, ”पुलिस कुछ मामलों में चार्जशीट दाख़िल नहीं कर रही है, कुछ में कमज़ोर चार्जशीट दाख़िल कर रही है, कुछ में मज़बूत, कुछ मामलों में अतिरिक्त बातें लिख रही हैं, कुछ में सच्चाई छिपा रही है.’’

आम आदमी पार्टी के ट्वीट का स्क्रीनशॉट...

वहीं आम आदमी पार्टी प्रवक्ता और विधायक राघव चड्ढा ने कहा, ‘दिल्ली पुलिस जांच एजेंसी है, इसलिए वकीलों को तय करने में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.’

उन्होंने यह भी कहा कि क़ानून के तहत, ख़ास तौर पर सीआरपीसी के तहत यह स्पष्ट है कि लोक अभियोजक पुलिस का नहीं, बल्कि राज्य का प्रतिनिधी है. 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसी सिद्धांत को बरक़रार रखा गया है. इसके तहत अभियोजकों की बहाल करने की पूरी शक्ति दिल्ली सरकार को दी गई है. 

दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने भी दिल्ली हिंसा को बताया सुनियोजित

इसके पहले दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने भी दिल्ली हिंसा पर अपनी एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि ‘दिल्ली के उत्तर-पूर्वी ज़िले में फ़रवरी में हुए दंगे सुनियोजित, संगठित थे और निशाना बनाकर किए गए थे.

कमेटी ने 134 पन्नों की अपनी रिपोर्ट 27 जून को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग को सौंप दी थी लेकिन आयोग ने गुरुवार का ये रिपोर्ट सार्वजनिक की है.

दंगों के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी कहा था कि कुछ ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं कि कुछ पुलिस वाले उपद्रवियों की मदद कर रहे हैं. इसकी जांच होनी चाहिए.

 

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