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वो राम मंदिर कहां ग़ायब है, जिसका दर्शन गांधी जी ने किया था?

आपको शायद ये जानकर बेहद हैरानी होगी कि 1921 में अयोध्या में राम मंदिर मौजूद था और उस मंदिर को ख़ुद गांधी जी ने अपनी आंखों से देखा था.

महात्मा गांधी ने अपने गुजराती अख़बार ‘नवजीवन’ के लिए 20 मार्च, 1921 को एक लेख लिखा था. इसमें उन्होंने लिखा —“जब मैं अयोध्या पहुंचा तो मुझे एक छोटे से  मंदिर में ले जाया गया, जहां माना जाता है कि श्री रामचन्द्र जी पैदा हुए थे. श्रद्धालु असहयोगियों ने मुझे सुझाव दिया कि मैं पुजारी से विनती करूं कि वह सीता-राम की मूर्तियों के लिए पवित्र खादी का उपयोग करे. मैंने विनती तो की लेकिन उस पर अमल शायद ही हुआ हो. जब मैं दर्शन करने गया तब मैंने मूर्तियों को भौंडी मलमल और जरी के वस्त्रों में पाया…”

गांधी अपने इसी लेख में आगे लिखते हैं, “जैसे मुसलमान भाई पवित्र कार्यों के लिए खादी का उपयोग करने लगे हैं, वैसे ही मैं चाहता हूं कि हिन्दुओं के मन्दिरों में और पवित्र कार्यों में खादी का इस्तेमाल होने लगे.”

गांधी के इस लेख से ये साफ़ तौर पर स्पष्ट है कि साल 1921 में अयोध्या में राम मंदिर मौजूद था, जिसे गांधी जी को ये कहकर घुमाया गया कि श्री रामचन्द्र जी यहीं पैदा हुए. दूसरी तरफ़ सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फ़ैसले में साफ़ तौर पर कहा है कि सन् 1949 में बाबरी मस्जिद के अंदर मूर्ति रखना एक इबादतगाह की बेहुरमती का अमल था.

जस्टिस गोगोई ने साफ़ तौर पर कहा है कि सन् 1949 में मुसलमानों को मस्जिद से बेदख़ल किए जाने का अमल क़ानून के तहत नहीं था. और सन् 1992 में इसे गिराया जाना क़ानून की ख़िलाफ़वर्ज़ी थी. अदालत ने यह भी माना कि 1857 से 1949 तक मस्जिद पर मुसलमानों का क़ब्ज़ा और नमाज़ पढ़ा जाना साबित है. अब ऐसे में सबसे अहम सवाल ये पैदा होता है कि वह मंदिर कहां ग़ायब हो गया, जिसका दर्शन महात्मा गांधी ने 1921 में किया था?

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