आज़मगढ़ में गौवंश के शवों की बरामदगी : कहीं ये कोई साम्प्रदायिक साजिश तो नहीं?

BeyondHeadlines News Desk
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Photo Courtesy: indianexpress.com

लखनऊ : जनपद आज़मगढ़ की अलग-अलग नहरों में गोवंश के शवों के पाए जाने सूचनाएं मीडिया-सोशल मीडिया के ज़रिए आई हैं.

इस मामले को लेकर स्थानीय स्तर पर सियासत तेज़ हो गई हैं. बीजेपी के ज़िला उपाध्यक्ष हरिवंश मिश्र ने ज़िला प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई तो मुख्यमंत्री से इसकी शिकायत की जाएगी.

वहीं इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश की सामाजिक व राजनीतिक संगठन रिहाई मंच ने भी इसे साज़िश क़रार देते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है.

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि कई स्थानों पर इस तरह से गोवंश के शव मिलने की ख़बरें किसी बड़ी साज़िश ओर संकेत करती हैं. एक साथ अलग-अलग स्थानों पर लगभग एक जैसी संख्या में गोवंश के शव पाए जाने से साज़िश की आशंका को बल मिलता है. इतनी बड़ी संख्या में शवों की बरामदगी यह भी सवाल पैदा करती है कि क्या इतनी संख्या में शव नहर के बहाव में एक साथ बह सकते हैं. ऐसा तो नहीं कि कहीं से लाकर एक साथ साज़िशन डाला गया.

बता दें कि 5 अगस्त 2020 को थाना मेंहनगर और 6 अगस्त को सरायमीर के शेरवां की नहर से दर्जनों गौवंशीय मवेशियों के शव मिलने की सूचना मीडिया माध्यमों में आई है.

रिहाई मंच के राजीव यादव का कहना है कि आज़मगढ़ भाजपा ज़िलाध्यक्ष को इस विषय में अधिक जानकारी है क्योंकि उन्होंने कहा है कि थाना मेंहनगर में 100 और निज़ामाबाद के फरिहां में भी 100 गौवंशों का गला रेता शव मिला है. घटना की तह तक पहुंचने में उनकी जानकारी मदगार होगी, इसलिए उनको जांच के दायरे में लिया जाए. यह इसलिए भी ज़रूरी क्योंकि पहले दर्जनों का आंकड़ा आया फिर भाजपा ज़िलाध्यक्ष ने न सिर्फ़ 100-100 की बात कही बल्कि कार्यकर्ताओं से यह जानकारी भी मीडिया में आई है कि बूचड़खानों में सप्लाई होनी थी, सप्लाई न होने के कारण नहर में फेंक दिया गया, ये उनके आरोप थे.

मंच ने कहा कि मामले पर शासन-प्रशासन गंभीरता से संज्ञान ले क्योंकि ऐसे ही एक मामले में बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या हो गई जिसका आरोप भाजयुमो, बजरंगदल, हिन्दू युवा वाहिनी के नेताओं पर लगा.

राजीव यादव ने कहा कि प्रदेश में साम्प्रदयिक हिंसा की साज़िश की नियत के तहत गोवंश के मामले सामने आ चुके हैं. गोंडा में दीक्षित बंधु राम सेवक दीक्षित और मंगल दीक्षित ने रात में बारह बजे गांव के गणेश प्रसाद का बछड़ा काटकर साम्प्रदायिक दंगा कराने की साज़िश की थी. गांव के ही एक हिंदू ने उनकी पुलिस में शिकायत की और दीक्षित बंधु मौक़े पर ही बछड़े और वध के उपकरणों के साथ गिरफ्तार हो गए.

इसी तरह बुलंदशहर में तब्लीग़ी इज्तेमा के अवसर पर साम्प्रदायिक साज़िश के तहत गौ-वंशों के शवों को लेकर हिंदुत्वादी संगठन निकल पड़े. इस घटना की भनक पुलिस को लग गई. जब इंस्पेक्टर सुबोध सिंह ने कार्रवाई करनी चाही तो इन्हीं संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उनकी हत्या कर दी.

मंच महासचिव ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. आज़मगढ़ समेत कई जनपदों में कोरोना पॉज़िटिव रोगियों के लापता हो जाने की खबरें हैं. अस्पतालों में जगह की कमी के कारण संक्रमितों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. किसान, मज़दूर, गरीब बेरोज़गारी का शिकार हैं. ऐसे में यह जनता का ध्यान मूल मुद्दों से हटाने का प्रयास भी हो सकता है. रिहाई मंच ने मांग की कि पूरे प्रकरण की पारदर्शी जांच करवा कर दोषियों को क़ानून के दायरे में लाया जाए.

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