लूट की दास्तान —1…
अखिलेश दास गुप्ता व अलका दास गुप्ता पर बेशुमार आरोप हैं. आरोपों के मुताबिक इन्होंने इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक के जरिये करीब 10 हजार करोड़ की मनीलांड्रिंग भी की है, जिसकी जांच ईडी करे तो पूरी सच्चाई सामने आयेगी.
रिजर्व बैंक आफ इण्डिया तक ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ कहा है कि बैंक में फर्जी तरीके से दिल्ली, लुधियाना, जालंधर समेत कई शहरों में 50 हजार से ऊपर के आपेन पे आर्डर भी दिये, जो बेहद संदेहास्पद थे क्योंकि यह नगद थे.
मर्केंटाइल बैंक ने एचडीएफसी बैंक में अपने खाते के जरिए बैंक ड्राफ्ट फर्जी पार्टियों के नाम जारी किये हैं बैंक तो इतना घोटालेबाज निकला कि अरबों की फर्जी बैंक गारंटी तक जारी की थी घोटाला यही नहीं था राष्ट्रपति के पक्ष तक में फर्जी बैंक गारंटी एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत जारी की गयी थी. जिसमें अखिलेश दास गुप्ता व उनकी पत्नी अलका दास गुप्ता की भूमिका बेहद संदिग्ध है.
रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी भी इस पूरे घोटाले में बराबर के साझेदार हो सकते हैं क्योंकि जब 17 जून 2009 को मर्केंटाइल बैंक का बोर्ड भंग हो चुका था और आरबीआई ने प्रशासक की जिम्मेदारी रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी को सौंप दी थी. साथ ही यह भी कहा था कि बैंक किसी प्रकार का ऋण नहीं देगा लेकिन इसके बावजूद खुद बैंक ने 2007 से 31 मार्च 2011 के बीच 24 करोड़ 11 लाख का ऋण अखिलेश दास की फर्मों को दिया जाना कबूला है, जो 21 जनवरी 2009 के आरबीआई के पत्र में दिए दिशा निर्देशों का खुला उल्लंघन बैंक ने 56 करोड़ 63 लाख 62 हजार के असुरक्षित ऋण तक दिए.
मई 2012 में इंडियन मर्केंटाइल बैंक में हुई इस महालूट के जिम्मेदार अखिलेश दास गुप्ता व उनकी पत्नी अलका दास गुप्ता के खिलाफ मनोज कुमार जैन नाम के शख्स ने राष्ट्रपति तक से शिकायत की जिसके जवाब में राष्ट्रपति सचिवालय से कार्यवाई के लिए एक पत्र मुख्य सचिव कार्यालय में आया. जिस पर मुख्य सचिव ने प्रमुख सचिव लोक शिकायत को मामला कार्यवाही के लिए स्थानान्तरित कर दिया.
महालूट की शिकायत सीबीआई तक से की गई जिस पर सीबीआई ने मामला मुख्य सतर्कता अधिकारी आरबीआई को अग्रसारित कर दिया. सूत्रों की माने तो घोटाले की जांच नई दिल्ली स्थित सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) भी कर रही है.
31.3.2007 की आरबीआई की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर 5.6.2009 में सीजेएम लखनऊ के यहां आपराधिक केस फाइल किया गया, जिसके बाद 1.12.2009 को यह गम्भीर प्रकरण सीजेएम कस्टम के यहां हस्तांतरित हो गया. जहां 2011 में यह मामला आरबीआई की लापरवाही से सीजेएम ने खारिज कर दिया. नतीजतन 3.11.2011 को यह मामला हाईकोर्ट में गया और तब से लम्बित है. इस सनसनी खेज प्रकरण से एक बात तो साफ हो गई है. इण्डियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक में चेयरमैन रहे अखिलेश दास गुप्ता व उनकी पत्नी अलका दास गुप्ता ने एक सुनियोजित षडयंत्र के तहत फर्जी खातों और बेनामी लेनदेन के जरिये महालूट को अंजाम दिया है.
—लूट की दास्तान आगे भी जारी रहेगी…
