BeyondHeadlines News Desk
उत्तर प्रदेश सरकार हर मंच से खालिद मुजाहिद की मौत की जांच और इंसाफ की बात करती रही है. लेकिन यूपी सरकार की कथनी और करनी में उतना ही फर्क है जितना खालिद मुजाहिद को इंसाफ देने की बात करने और इस दिशा में वाकई में कुछ करने में…
BeyondHeadlines ने पिछले दिनों 29 मई को आरटीआई दायर कर यूपी सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय व गृह, गोपन एवं कारागार प्रशासन से कुछ बेहद बुनियादी सवाल पूछे थे. लेकिन हर मंच से इंसाफ का ढोल पीटने वाली सरकार के लिए BeyondHeadlines के सवालों का जबाव देना मुश्किल हो गया है.
हमने अपने आरटीआई में खालिद मुजाहिद की पुलिस कस्टडी में मौत की सीबीआई जांच के लिए सरकार की ओर से लिखे गए सारे पत्रों की फोटोकॉफी मांगी थी. साथ ही अपने अपने इस आरटीआई में उन तमाम कागज़ात की फोटोकॉपी की मांग की थी, जिसके आधार पर खालिद मुजाहिद के परिवार को मुवाअज़ा देने की बात की गई थी. इसके अलावा इस आरटीआई में उन तमाम पत्रों व कागज़ातों की फोटो-कॉपी उपलब्ध कराने को कहा था जिसे उत्तर-प्रदेश सरकार ने फैजाबाद कोर्ट में भेजकर तारिक़ कासमी व खालिद मुजाहिद के केस को वापस लेने की बात कही थी.
यही नहीं, BeyondHeadlines ने उन तमाम पत्रों को भी अपने आरटीआई में मांगा जिन्हें विभिन्न लोगों व संगठनों ने आर.डी. निमेष कमीशन के आधार पर खालिद मुजाहिद व तारिक कासमी के जेल से रिहा किए जाने के संबंध में लिखा था. साथ ही आर.डी. निमेष कमीशन रिपोर्ट की फोटो-कॉपी भी इस आरटीआई के ज़रिए मांगी थी. इसके अलावा खालिद मुजाहिद के मौत के बाद बाराबंकी में हुए पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रमाणित कॉपी भी मांगी थी. लेकिन उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने इस मामले में पूरी तरह से खामोशी अख्तियार कर रखी है और अभी तक कोई सूचना इस सरकार ने उपलब्ध नहीं कराए हैं.
अब सवाल यह उठता है कि जो सरकार सिर्फ बोलने में ही यकीन रखती हो और वास्तव में कुछ करने के मामले में जीरो साबित होती है उस पर यूपी के मुसलमान कब तक भरोसा करें और क्यों भरोसा करें?
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