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हरित पट्टी की दर बढ़ाने का संकल्प कर आगे आये कालेज के छात्र

Rajeev Kumar Jha for BeyondHeadlines

पटना (बिहार) : भारत दुनिया का सबसे युवा देश है. यहां की 70% जनता 40 या उससे  कम उम्र की है. जाहिर है कि ऐसे में यदि युवा वर्ग की संख्या ज्यादा होगी, तो उनका दायित्व  भी ज्यादा ही होगा. इस देश की कमान, जिम्मेदारियां अब धीरे-धीरे युवा वर्ग के कंधों पर जा रही है. यदि युवा जागृत समर्पित एवं जिम्मेदार होगा तो देश सभी क्षेत्रों मे आगे बढ़ता जायेगा और वो दिन दूर नहीं जब भारत विश्व महाशक्ति बनकर उभरेगा.

युवा वर्ग को सभी क्षत्रो में कमान संभालनी होगी. जिम्मेदारी लेनी होगी. आगे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना होगा.  तब जाकर हम फिर से विश्व शिखर पर चमकेंगे. विश्व गुरु माता और सोने की चिड़िया जैसे उपाधियों से फिर नवाजे जाएंगे.

हरित पट्टी की दर बढ़ाने का संकल्प कर आगे आये कालेज के छात्र इसी सन्दर्भ में लखनऊ क्षेत्र के एक मशहूर इंजीनियरिंग कॉलेज बी.बी.डी.इ.एस.जी.आई  के छात्र  समूह “संकल्प” के सदस्यों ने समूह संचालिका प्रो. रेनू  मिश्रा के मार्गदर्शन में एक मुहिम शुरू की है. मुहिम है वृक्षारोपण कर बढ़ते प्राकृतिक असंतुलन को दूर करने एवं लोगो को जागरूक करने की. इस सफ़र की शुरुआत हुई थी कुछ एक वर्ष पूर्व कुछ ज़मीनी निरिक्षण एवं शोध के साथ… जिसका मक़सद कुछ मूलभूत जानकारियाँ एकत्रित करना था.

जैसे किस प्रकार के वृक्षों का रोपण किया जाए. वृक्ष ऐसे चुने जाने थे जो क्षेत्र  की जलवायु के अनुरूप हों. क्षेत्र की मूल या नज़दीकी प्रजाति के हों. वृक्षों का रोपण कहां किया जाये कि किसी को आपत्ति भी ना हो एवं वृक्ष सुरक्षित भी रहें. बड़े पैमाने पर वृक्षों के रोपड़ के लिए इतने लोगों को कैसे प्रोत्साहित किया जाये. और सबसे ज़रूरी वृक्षरोपण किया क्यूँ जाए.

वृक्ष हमें फल, फूल, इंधन, लकड़ी, दवाइयां, छांव आदि देकर सदा उपयोगी बने रहते हैं. परन्तु उपर्युक्त सभी चीजे तो बोनस मात्र हैं. सबसे महत्वपूर्ण चीज़ के साथ जो की वृक्ष हमें देते हैं – प्राणवायु- ऑक्सीजन.

हम अन्न के बिना दो हफ्ते जिन्दा रह सकते हैं. जल के बिना एक हफ्ते… परन्तु प्राणवायु के बिना दस मिनट भी जीवित नहीं रह सकते. इतनी महत्वपूर्ण इस प्राणवायु को उत्सर्जित करने वाले एकमात्र स्रोत वृक्ष हैं. कई हज़ार वर्षों की तकनीकी विकासों के बावजूद भी मनुष्य अभी तक ऐसी कोई तकनीक या यन्त्र नहीं सृजित कर सका है. 700 करोड़ मनुष्यों और अरबो अन्य प्राणियों की इतनी अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता को पूर्ण कर सके.

एक वर्ष की अथक परिश्रम के बाद रेनू मिश्रा नें अपने छात्रों के साथ काफ़ी शोध और पड़ताल के बाद  बाराबंकी जिले में सफेदाबाद के नज़दीक दलिहानपुर और केवाड़ी गाँव से इसकी शुरुआत की. श्रीमती मिश्रा बताती हैं कि उनकी योजना पूरे देश में बड़े पैमाने पर वृक्ष लगाने की है. यदि हम पर्यावरण की सबसे महत्वपूर्ण घटक पेड़ को बचा पाने में उनकी संख्या मानक स्तर पर बढ़ा पाने में असफल रहे तो यह पूरी जिंदगी असफल हो जायेगी.

संकल्प के छात्रों ने अपनी सूझबूझ और परिश्रम से जुटाई गयी पूंजी और एक बेहतरीन योजना से इस मुहीम की सफल शुरुआत की है. संकल्प के छात्रों ने 1400 पौधों का रोपण कर इस मुहीम की सफल शुरुआत की. विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी इन छात्रों की निष्ठा की प्रशंसा करते हुए खुद भी वृक्ष लगाकर इनका हौसला अफ़जाई किया था.

इन छात्रों का लक्ष्य है कि इस बारिश के ख़त्म होने से पहले 1000000 वृक्षों को लगाना… श्रीमती मिश्रा कहती है “लक्ष्य बड़ा है पर सहस, आत्मविश्वास और जनभागीदारी से कुछ भी अर्जित किया जा सकता है. छात्रों का उत्साह तो देखते ही बनता है. सब के सब जी जान से लगे हुए हैं. अपनी प्यारी धरती माँ को सजाने और सँवारने में… ये अपनी इस मुहीम में कितने सफल होते हैं और कितने नहीं ये तो वक़्त ही बताएगा, परन्तु इनका प्रयास तो वाक़ई सराहनीय है.

संकल्प के छात्रों ने अपनी इस मुहीम से एक बात तो सिद्ध करने की कोशिश ज़रूर की है कि उत्साह, सहस और उर्जा से भरे युवा वर्ग को ज़रूरत है तो बस सही दिशा देने की. अपना रास्ता खोज कर मंजिले तो वे खुद बा खुद पाते चले जायेंगे. जैसा संकल्प ने किया वैसे ही ज़रूरत है कि युवा अपने आस-पास की छोटी-छोटी समस्याओं की ज़मीनी हकीक़त से रूबरू हो और उन समस्याओं का वही कोई हल निकले.

देश का युवा बढ़-चढ़ कर आगे आ रहा हैं, अपने देश तरक्की की सीढियां चढाने के लिए. आज का युवा हमारी सोच से कही ज्यादा जागरूक और जिम्मेदार है. देश में आपको ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे. जहां युवा वर्ग खुद से बिना किसी सहायता के अपने आस पास की दुनिया बेहतर करने के लिए प्रयासरत है. अगर ये प्रयास यूं ही जारी रहे तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश फिर से विश्व का सबसे समृद्ध और खुशहाल देश बनकर उभरेगा.

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