Ritu Choudhary for BeyondHeadlines
‘ऑनर किलिंग ‘ नाम सुनते ही दिमाग में सबसे पहला नाम हरियाणा राज्य का आता है और आए भी क्यों न? आखिर ऑनर किलिंग में हरियाणा गोल्ड मेडलिस्ट जो है. सबसे प्रगतिशील राज्यों में गिना जाने वाला हरियाणा अपनी सोच के मामले में छठी सातवीं शताब्दी की सोच को भी मात देता है.
रोहतक के बिल्कुल नज़दीक के गाँव गरनावाठी के एक ही मोहल्ले के लड़का-लड़की को प्रेम करने की सरेआम सजा मिली. लड़की के पिता, माता, भाई, चाचा ने सैकड़ों लोगो के सामने दोनों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और चिल्ला-चिल्ला कर ऐलान किया कि आगे भी कभी किसी ने ऐसी हिम्मत की तो उसका यही हश्र होगा.
पूरा का पूरा गांव यह सब कुछ सुनता रहा. किसी ने भी उन्हें बचाने की कोशिश नहीं की. लड़के के टुकड़ों को गठरी में बांध कर उसके घर के सामने फेंक दिया गया और लड़की के टुकड़ों को आनन-फानन में शमशान घाट ले जाकर केरोसिन डाल कर जलाने की कोशिश की गई. लेकिन ऐन मौके पर पुलिस ने पहुंच कर दोनों के शव बरामद करके पोस्टमोर्टम के लिए भेजे. बाद में उनकी अंत्येष्ठी की गयी.
21वीं सदी की शुरुआत होने के बावजूद ऐसी वीभत्स, दर्दनाक और भयानक ऑनर किलिंग दुनिया के प्रगतिशील तबकों के लिए चिंता का विषय है. आज भी हरियाणा जैसे उद्योगों की ओर अग्रसर राज्य में सामंतवादी सोच और ज्यादा गहराती जा रही है.
यह वास्तव में बहुत ज्यादा सोचनीय और दर्दनाक बात है, जो प्रत्येक बुद्धिजीवी और वैज्ञानिक चिंतन रखने वाले लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर रही है कि वो चाहे चाँद के बाद मंगल, बुध और दुसरे ग्रहों पर पहुंचने की बात करें, लेकिन कल्पना चावला का प्रदेश अभी भी अपनी मध्य कालीन सोच से उभर नहीं पाया है.
इन्हीं तथाकथित किसान तबका जिनको वो खापों का नाम देते हैं, अभी तक भी वही पुरानी पीढ़ी दर पीढ़ियों की सोच को पार नहीं कर सकी. ऐसे प्रदेशों की सरकारों और तथाकथित प्रगतिवादी आन्दोलनों के नायकों के लिए बेहद शर्मनाक अध्याय यूं ही पड़े रह जाते हैं. और पैसे पर बिकने वाली हमारी प्रशासनिक व न्यायिक व्यवस्था इस मामले भी बिक जाती है. तो ज़ाहिर है तो ऐसे में हौसले पस्त होने के बजाए बढ़ जाते हैं. पता नहीं कब हमारा समाज जागरूक होगा और ऑनर किलिंग के लिए सख्त कानून की मांग करेगा.