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सम्मान पेंशन के लिए संघर्ष कर रहा एक आंदोलनकारी

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

बिहार सरकार ने साल 2009 में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के आंदोलन के दौरान जेल में रहे लोगों के लिए सम्मान पेंशन योजना शुरू की, जिसके अंतर्गत जो आंदोलनकारी एक महीने से अधिक बिहार के किसी भी जेल में रहा है, उन आंदोलनकारियों को ढाई से पाँच हजार रुपए महीना तक की पेंशन दी जा रही है.

सरकार का यह फ़ैसला आंदोलनकारियों के एक लंबे संघर्ष के बाद आया था. पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया के रहने वाले ठाकुर प्रसाद त्यागी की भी इस संघर्ष में अहम भूमिका रही थी. बल्कि सच पूछे तो इस पूरे आंदोलन की शुरूआत ही ठाकुर प्रसाद त्यागी ने किया था. (त्यागी ‘बिहार प्रदेश-1974 जेपी आंदोलनकारी संयोजन समिति, पटना’ के राज्य संयोजक भी हैं.)

लेकिन सात महीने से ज़्यादा जेल में बिताने वाले ठाकुर प्रसाद त्यागी को यह पेंशन नहीं दी जा रही और अब उनका मामला हाईकोर्ट में है.

दरअसल, बिहार सरकार का गृह विभाग यह मानने को तैयार ही नहीं है कि ठाकुर प्रसाद त्यागी एक माह से ज़्यादा जेल में रहे. इस योजना के तहत पेंशन उन्हीं आंदोलनकारियों को दी जा रही है जिन्होंने कम से कम एक महीने जेल में बिताया है.

ठाकुर प्रसाद त्यागी द्वारा कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज़ (जिनकी कॉपी Beyondheadlines के पास मौजूद है) साबित करते हैं कि वे सात माह से ज़्यादा जेल में रहे.  अदालत ने बिहार के गृह विभाग को दस्तावेज़ों की जाँच कर क़ानून संगत कार्रवाई के निर्देश दिए.

लेकिन गृह विभाग यह मानने को तैयार ही नहीं है कि ठाकुर प्रसाद त्यागी पेंशन पाने की अहर्ता रखते हैं. ठाकुर प्रसाद त्यागी ने सम्मान पेंशन पाने के लिए अब हाई कोर्ट में दोबारा याचिका दायर की है.

जेपी आंदोलन के दौरान सात माह से ज़्यादा दिन जेल में रहे ठाकुर प्रसाद त्यागी आज अपनी पेंशन पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. लेकिन यह मामला सिर्फ़ पेंशन पाने भर का नहीं है.

ठाकुर प्रसाद त्यागी के मुताबिक बिहार सरकार के सम्मान पेंशन देने के आदेश के बाद जब उन्होंने आवेदन किया तो उनसे आवेदन स्वीकृति के लिए गृह विभाग में रिश्वत माँगी गई. रिश्वत बहुत बड़ी नहीं थी लेकिन आजीवन भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने वाले ठाकुर प्रसाद त्यागी के सम्मान को ठेस पहुँचाने वाली ज़रूर थी.

यह बिडंबना ही थी कि एक आंदोलनकारी को सम्मान पेंशन पाने के लिए रिश्वत देनी पड़ रही थी. उन्होंने रिश्वत नहीं दी और अपने हक़ के लिए लड़ाई लड़ने का फ़ैसला लिया.

ठाकुर प्रसाद त्यागी कहते हैं, ‘मैं पाँच हज़ार रुपये महीना की पेंशन के लिए कुछ हज़ार रुपये रिश्वत देने के बजाए लाख़ों रुपये क़ानूनी लड़ाई में खर्च करना ज़्यादा बेहतर समझता हूँ, क्योंकि इससे व्यवस्था में मौजूद भ्रष्टाचार कमज़ोर होता है.’

ठाकुर प्रसाद त्यागी के मुताबिक वे भागलपुर जेल में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एक ही बैरक में मीसा क़ानून के तहत बंद थे.

नीतीश कुमार आज बिहार के मुख्यमंत्री हैं. कई अन्य जेपी आंदोलनकारी भी आज बड़े नेता हैं. लेकिन ठाकुर प्रसाद त्यागी जैसे लोग जो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करते रहे, आज पाँच हज़ार रुपए महीना की पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

पढ़िए : एक सच्चे आंदोलनकारी की दर्द भरी दास्तां

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