Alok Kumar for BeyondHeadlines
अनगिनत बलात्कार की घटनाओं का साक्षी रहा है सुशासन का बिगुल फ़ूँकता हुआ बिहार… बिहार में रोज़ तीन-चार बलात्कार की घटनाएं (रिपोर्टेड) होती हैं. कुछ घटनाएं सामने आती हैं तो ज्यादातर घटनाओं की ओर ना तो सरकार का ही ध्यान जाता है ना ही तथाकथित इलेक्ट्रॉनिक जागरूक मीडिया और जनमानस का. ज्यादातर घटनाएं तो सतह पर अनेकों कारणों से आ ही नहीं पाती हैं और अनेकों घटनाओं पर पुलिस-प्रशासन पर्दा डालने का काम कर देता है. हासिल कुछ नहीं होता अपराधी जटिल कानूनी प्रकिया और जुगाड़-तंत्र के सहारे बेखौफ़ व बेलगाम हो कर नित्य नयी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं.
पिछले वर्ष दिल्ली की शर्मसार करने वाली घटना पर तो मुख्यमंत्री नीतिश कुमार जी का बयान तो आया था. बुद्धिजीवियों और सामाजिक संगठनों के द्वारा संवेदनाएं व्यक्त की गयीं थी. विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी था. लेकिन अपने घर (प्रदेश) में घटित हो रही जघन्य-कुकर्मों के प्रति इन सबों की उदासीनता समझ से परे है?
बिहार में पिछले कुछ सालों में बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, बच्चों के साथ जबरन दुष्कर्म की घटनाओं में ज़बर्दस्त इजाफ़ा हुआ है जो बेहद ही चिंतनीय है. लेकिन ज्यादातर मामलों की ओर ना तो मीडिया का ध्यान जाता है ना समाज के स्वयंभु ठीकेदारों का. मीडिया भी महानगरों में घटित होने वाली घटनाओं को ही प्राथमिकता देती है. शायद महानगरों की घटनाएँ ज्यादा बिकाऊ होती होंगी? समाचार पत्रों में किसी कोने में एक छोटी सी जगह दे कर या समाचार चैनलों के “ स्क्रॉल – बार ” पर डालकर अपने दायित्व से पल्ला झाड़ लिया जाता है. हाल के दिनों में बलात्कार और यौन हिंसा के सबसे ज्यादा मामले बिहार से ही सामने आये हैं.
अनेकों घटनाएं, जैसे परसा, समस्तीपुर एवं दनियांवा सामूहिक बलात्कार काँड, इस का ज्वलन्त उदाहरण हैं. अगर यही घटनाएँ किसी बड़े शहर में घटी होतीं तो कोहराम मच जाता. ब्रेकिंग-न्यूज़ का सबसे बिकाऊ मसाला होता. लेकिन अफ़सोस इस बात का है कि हमारा समाज और उसकी संस्थाएं दोहरे मापदण्डों के साथ सीना तान कर चल रही हैं. नारी की अस्मिता के भी भिन्न-भिन्न मापदण्ड हैं शायद?
दनियांवा और दिल्ली में फ़र्क तो है ही! लेकिन दोनों जगहों पर एक चीज जो कॉमन है वो है “संवेदनहीन और संकीर्ण दृष्टिकोण” वाली सरकार और कठपुतली की तरह चलने वाला शासन-तंत्र… दिल्ली की घटना के बाद किसी नेत्री ने कहा था कि दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के विशेष प्रबंध होने चाहिए. लेकिन केवल दिल्ली में ही भारत नहीं बसता, सुरक्षा-प्रबंध सर्वत्र होने चाहिए.
चित्र में दिए गए आंकड़ों से स्पष्ट है कि बिहार में बलात्कार को लेकर स्थिति कितनी भयानक है और बिहार सरकार महिलाओं के प्रति बढ़ते हुए जघन्य अपराधों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में गंभीर नहीं है. बिहार में हो रहे बलात्कार के मामलों और पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर बिहार के मुख्यमंत्री की चुप्पी सच में हैरान करने वाली है.
(आलोक कुमार पटना में पत्रकार व विश्लेषक हैं, उनसे alokkumar.shivaventures@gmail.com पर सम्पर्क किया जा सकता है.)