कल अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग से मिल रहे हैं. मुझे लगता है कि अरविन्द केजरीवाल को सरकार बना लेनी चाहिए. क्योंकि…
1. सरकार बनाने से उन्हें अपने विचारों को अमली जामा पहनाने का मौक़ा मिलेगा. क्योंकि कुछ राजनीतिक लोगों के ज़रिए अरविन्द के बारे में यह आम धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है कि वे सिर्फ़ बोलते ही हैं, कुछ करने की चुनौती लेने से बचना चाहते हैं.
2. दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को बदलाव के लिए वोट किया है. यदि बीजेपी सरकार नहीं बना रही है तो आम आदमी पार्टी को सरकार बनाने का जोख़िम उठाते हुए दिल्ली में बदालव की शुरूआत करनी चाहिए.
3. अरविन्द की सरकार अल्पमत में भले ही रहेगी लेकिन भारतीय जनता पार्टी या कांग्रेस उनकी सरकार को गिराने का जोख़िम नहीं उठाएंगी वो भी तब जब लोकसभा चुनाव होने वाले हों. अरविन्द की ‘ईमानदार’ सरकार को गिराने वाली पार्टी जनता की नज़रों में विलेन बनने का ख़तरा नहीं उठाएगी.
4. अरविन्द को आगे बढ़ने से रोकने का विपक्षी पार्टियों के पास सबसे कारगर हथियार यह साबित हो सकता है कि वे उन्हें ‘निकम्मा’ साबित कर दें. अरविन्द पर सवाल उठाने का विपक्षी दलों को मौक़ा तभी मिल सकता है जब उनकी सरकार सत्ता में आए और काम करे. अरविन्द बेहतर काम करके इस मौक़े को भी विपक्षियों से छीन सकते हैं.
5. अभी तक अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक व्यक्तित्व सिर्फ़ भाषणों और जनसभाओं तक ही सिमटा रहा है. जनता अब काम देखना चाहती है और काम करने के लिए सत्ता में आना ज़रूरी है.
इसलिए मुझे लगता है कि कल अरविन्द केजरीवाल उपराज्यपाल की ओर से सरकार बनाने के न्यौते को स्वीकार करेंगे और दिल्ली में तेज़ी से काम कर देशभर में अपनी राजनीतिक ज़मीन तैयार करेंगे…