दिल्ली में मंत्री पुलिस से भीड़ गए हैं. ऐसा होना बिलकुल स्वभाविक है. अगर आप जनता के हित के लिए काम करेंगे तो आपका रास्ता सबसे पहले पुलिस ही रोकेगी.
भारत की पुलिस शासन की रक्षा के लिए बनाई गयी है जनता की रक्षा के लिए नहीं. इसे अंग्रेजों ने अपने राज की रक्षा के लिए बनाया था. आज भी भारत की पुलिस राज की और राज करने वालों की रक्षा करती है.
भारत में राज पर दबंग जातियों, पैसे वाले अपराधियों का कब्ज़ा है. इसलिए भारत में पुलिस इन दबंग जाति वालों और अपराधियों की रक्षा करती है.
पिछले दिनों मैं टीवी पर दिल्ली में मंत्री सोमनाथ और एसीपी की बहस सुन रहा था. जनता और मंत्री मिल कर पुलिस से कह रहे थे कि देखिये वहाँ सेक्स और ड्रग्स का अड्डा चल रहा है आप इसे रोकिये. लेकिन पुलिस अधिकारी कह रहा था कि आप हमें कुछ करने के लिए नहीं कह सकते. और पुलिस ने बदमाशों को भाग जाने दिया.
भारत का कानून कहता है कि यदि कोई नागरिक किसी अपराध को घटित होते हुए देखता है तो वह अपने निकटस्थ पुलिस अधिकारी को उस अपराध की सूचना देगा. और पुलिस अधिकारी उस पर कार्यवाही करेगा. भारत के संविधान में नागरिक के कर्तव्य में वर्णित है कि यदि कोई अपराध घटित हो रहा है तो उसे रोकना एक नागरिक का कर्तव्य है. अपराध रोकने के किये नागरिक एक पुलिस अधिकारी की तरह कार्य कर सकता है, अर्थात वह अपराधी को अपराध करने से रोकने के किये समुचित बल प्रयोग कर सकता है, नागरिक अपराधी को भागने से रोकने के लिए भी बल प्रयोग कर सकता है. इस लिए कल उस पुलिस अधिकारी का यह कहना कि मंत्री और नागरिक उसे काम करने के लिए नहीं कह सकते पूरी तरह से गैर कानूनी और असंवैधानिक है.
उस पुलिस अधिकारी पर तुरंत कार्यवाही की जानी चाहिए. और उसे बचाने वाले पुलिस आयुक्त को तुरंत उसके पद से हटा दिया जाना चाहिए जिसे संविधान की ही जानकारी नहीं है.