Rajesh Garg for BeyondHeadlines
इस मुल्क में अब जब भी इतिहास लिखा और पढ़ा जायेगा तो बीजेपी को दिल्ली में उसके द्वारा निभाई गयी विपक्ष की भूमिका का जवाब तो देना ही पड़ेगा… और ये सवाल हमेशा बीजेपी को देना भारी पड़ेगा. आज जिस कांग्रेस के चक्कर में फंसकर बीजेपी ने अपनी जग-हंसी करवाई है, दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल का तीव्र विरोध करके, तो उसे अंदाज़ा ही नहीं कि कांग्रेस उसे ने दिल्ली में बर्बाद कर दिया है और उसे इल्म तक नहीं हुआ…
कांग्रेस खुद तो दिल्ली विधान सभा चुनावों में बर्बाद होकर मटियामेट हो ही चुकी थी और उसे किसी भी तरह से “आप” को राष्ट्रीय पटल पर आने से रोकना था और साथ ही साथ उसे बीजेपी का भी मुखोटा दिल्ली और देश की जनता के सामने लाना था…
उसने जनता के फैसले के नाम पर “आप” को बिना-मांगे समर्थन दिया और उसे सरकार बनाने के लिए सोचने पर मजबूर किया… बीजेपी ने भी कांग्रेस की हाँ में हाँ मिलाते हुए “आप” को सरकार बनाने के लिए बार-बार चुनौती दी और इस तरह “आप” की सरकार बनी…
पर जिस तरह से बीजेपी ने हर बात पर नकारात्मक राजनीति की, सरकार के हर काम में अडंगा डालने की कोशिश की, सरकार के खिलाफ एक बेबुनियाद और बे सिर-पैर का प्रोपेगंडा चलाया, उससे बीजेपी खुद विकास-विरोधी और भ्रष्टाचारियों के साथ खड़ी दिखाई दी…
और यही कांग्रेस चाहती थी… बीजेपी को लग रहा था कि वो दिल्ली की राजनीति चला रही है… पर उसके बड़े-बड़े विद्वान नेता शायद भूल गए कि कांग्रेस उसे कठपुतली की तरह इस्तेमाल करके उससे ये सब करवा रहे थे और बीजेपी के नेता वो सब कर भी रहे थे…
अब साफ़ है कि दिल्ली में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही तकनीकी तौर पर बहाना बनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकप्रिय और जनप्रिय “जन लोकपाल” के विरोध में हैं… वो नहीं चाहते कि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार के काले कारनामों और बीजेपी के MCD में खुली लूट की कोई जांच भी हो… सच तो यह है कि कांग्रेस और बीजेपी अपनी खाल बचाना चाहती है… दोनों पार्टियाँ संविधान की आड़ लेकर अपने काले कारनामों को छुपाना चाहती हैं…
शायद वो भूल गए कि इन्ही क़ानूनी और संवेधानिक दाँव-पेंचों में उलझा कर ही तो इस देश का बर्बाद कर डाला है इन पार्टियों ने… अपनी बारी में तो कांग्रेस ने इसी दिल्ली विधानसभा में 13 बिल पास किये थे बिना किसी केंद्र की मंजूरी लिए…
अब जो थोड़ी बहुत इज्ज़त और समर्थन मुहाने पर बैठे नागरिकों और वोटर्स के दिल में बीजेपी की थी वो आज तार-तार हो गयी होगी… उसके घिनोने षड्यंत्र बेनकाब हो गए… बीजेपी की तो ये सवाल हमेशा बीजेपी को देना भारी पड़ेगा… दिल्ली की जनता को भी और देश की जनता को भी…
दिल्ली में खलनायक का उसका रोल सबने देखा है… अब “आप” की सरकार रहे या ना रहे… पर एक बात तो साफ़ है कि अब आगे दिल्ली की जनता को चुनना है कि वो क्या चाहती है और किसके साथ खड़ी है?
क्या दिल्ली की जनता चाहती है कि उसके हक, उसके अधिकारों, उसके सपनों, उसके अरमानों को पूरा उसके द्वारा चुनी मजबूत सरकार करे या फिर वो सरकारें जो दिल्ली की जनता को लूटने के समय तो खुद आगे आ जाती हैं और जब दिल्ली की जनता के कल्याण की बात आती है तो कानून और संविधान के नाम पर केंद्र और उप- राज्यपाल को आगे करके जनता को बेवकूफ बनाते हैं.
04 दिसंबर को भी दिल्ली की जनता ने इतिहास बनाया था और ये भी दीगर है कि इस देश की राजनीति को नयी दिशा भी दिल्ली की जनता ही देगी… और रही बात “आप” की तो किसी शायर ने क्या खूब कहा था कभी-
“हम तो दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता बन जायेगा”