BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : तिहाड़ जेल में बंद फसीह महमूद के उपर जेल में हुए जानलेवा हमले के पीछे खुफिया एजेंसियों और दिल्ली स्पेशल सेल का हाथ बताते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है.
मोहम्मद शुएब ने जारी बयान में आरोप लगाया है कि जिन मुस्लिम नौजवानों के खिलाफ पुलिस के पास आतंकी वारदातों में संलिप्तता के सुबूत नहीं हैं, उन्हें खुफिया एजेंसियां जान से मार डालने की नीति पर काम कर रही हैं. जिसके तहत उन्होंने कतील सिद्दीकी को पहले यरवदा जेल में अपराधियों के हाथों क़त्ल करवा दिया तो वहीं निमेष कमीशन की रिपोर्ट में बेगुनाह साबित हो जाने के बाद यूपी कचहरी बम धमाकों के आरोप मे बंद मौलाना खालिद की हत्या करवा दी.
अब इसी नीति के तहत फसीह महमूद पर भी एशिया के सबसे सुरक्षित जेल बताए जाने वाले तिहाड़ जेल में साम्प्रदायिक और आपराधिक मानसिकता के कैदी से हमला करवाया गया है. जिससे समझा जा सकता है कि अन्य साधाराण जेलों में ऐसे आरोपियों की जिंदगी कितनी सुरक्षित होगी. उन्होंने सरकार से मांग की है कि आतंकवाद के आरोप में बंद कैदियों की सुरक्षा की गारंटी की जाए.
रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव और शाहनवाज़ आलम ने कहा कि फसीह महमूद की सऊदी अरब से कथित गिरफ्तारी से लेकर उनके ऊपर लगे बैंगलोर के चिन्नास्वामी स्टेडियम के विस्फोट तक के सारे आरोप झूठे हैं. जिससे पुलिस को डर है कि अदालत में उसकी कहानी की पोल खुल जाएगी इसीलिए एक तरफ फसीह महमूद पर हमला करवाया गया है तो वहीं उनके अधिवक्ता महमूद पराचा को भी पुलिस अपने अंडरवर्ल्ड के सम्पर्कों से धमकी दिलवा रही है.
प्रवक्ताओं ने कहा कि जिस चिन्नास्वामी स्टेडियम पर हुए कथित आतंकी हमले में फसीह को फंसाया गया है, उसके बारे में खुद कर्नाटक के तत्कालीन गृहमंत्री वी.एस. आचार्या ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा था कि यह कोई आतंकी विस्फोट नहीं था बल्कि आईपीएल मैचों में सट्टेबाजी करने वाले गिरोह ने इसे करवाया था ताकि घटना के दिन होने वाला मैच बैंग्लोर से मुम्बई स्थानांतरित हो जाए. वहीं कांग्रेस की सांसद जयंती नटराजन ने भी संसद में इस घटना को आतंकी घटना मानने से इंकार करते हुए इसे आईपीएल से जुड़े सट्टेबाजों द्वारा अंजाम दिया गया बताया था.
प्रवक्ताओं ने कहा कि पुसिल को डर है कि फसीह महमूद पर लगाए गए आरोप अदालत में गलत साबित हो जाएंगे इसीलिए उन पर दबाव डाला जा रहा था कि वे या तो झूठे आरोप स्वीकार कर लें या पुलिस गवाह बन जाएं. जैसा करने से इंकार करने पर उनके उपर यह जानलेवा हमला करवाया गया है.
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