मेडिकल कालेजों में सीटें रद्द करने के लिए डॉ. हर्षवर्धन ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की आलोचना की
Ashutosh Kumar Singh for BeyondHeadlines
नई दिल्ली : नई सरकार बनते ही मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की मनमानियों पर उंगली उठनी शुरू हो गयी है. इस बार किसी और ने नहीं, बल्की खुद देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एमसीआई के काम करने के तरीके की आलोचना की है.
स्वास्थ्य मंत्री मेडिकल कॉलेजों में सीटें रद्द करने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की आलोचना की है. एम.सी.आई के इस कृत्य को छात्र विरोधी क़दम बताते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के इस क़दम के कारण 2014-15 के अकादमिक सत्र में 1,170 सीटों का नुकसान हुआ है और कई प्रतिभावान विद्यार्थियों का सपना टूट गया है.
गौरतलब है कि कि 31 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने मंत्रालय की उस याचना को खारिज कर दिया था, जिसमें मंत्रालय ने प्रार्थना की थी कि नये मेडिकल कालेजों को मंजूरी देने और पुराने कालेजों में मौजूदा सीटों की अनुमति के नवीनीकरण के लिए समय सारणी में बदलाव करने की ज़रूरत है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि, ‘अदालत में हमारे निवेदन को समर्थन देने के बजाय मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने इसका विरोध किया, जिससे मैं हैरान हूं कि वे किसकी तरफ हैं.’
उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा सीटें बढ़ाने के लिए कई आवेदन आये हैं, क्योंकि नये मेडिकल कॉलेज खोले जाने हैं और पुराने मेडिकल कालेजों की सीटें बढ़ाई जानी हैं. इसके मद्देनजर 2,750 सीटों को मंजूरी दी गई है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के मानदण्डों पर असफल हो जाने के कारण 3,920 सीटों के नवीनीकरण के आवेदनों को रद्द कर दिया गया है. इसके कारण 1,170 सीटों का कुल ऩुकसान हुआ है. प्रभावित होने वाले 46 मेडिकल कालेजों में से 41 निजी कालेज हैं. मंत्रालय ने इस संबंध में 150 मामले, जिनमें ज्यादातर सरकारी कालेजों के हैं, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को समीक्षा के लिए भेजे थे लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया है.