BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Reading: ‘सिर्फ लाईक्स व कमेंट से ज़िन्दगी नहीं बदलती…’ –गुंचा सनोबर
Share
Font ResizerAa
BeyondHeadlinesBeyondHeadlines
Font ResizerAa
  • Home
  • India
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Search
  • Home
  • India
    • Economy
    • Politics
    • Society
  • Exclusive
  • Edit/Op-Ed
    • Edit
    • Op-Ed
  • Health
  • Mango Man
  • Real Heroes
  • बियॉंडहेडलाइन्स हिन्दी
Follow US
BeyondHeadlines > Education > ‘सिर्फ लाईक्स व कमेंट से ज़िन्दगी नहीं बदलती…’ –गुंचा सनोबर
EducationReal Heroes

‘सिर्फ लाईक्स व कमेंट से ज़िन्दगी नहीं बदलती…’ –गुंचा सनोबर

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published July 9, 2015 25 Views
Share
9 Min Read
SHARE

Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

 Untitled

सनोबर बाग़ में आज़ाद भी है, पा ब गिल भी है

इन्हीं पाबंदियों में हासिल आज़ादी को तू कर ले…

अल्लामा इक़बाल का शेर बिहार की गुंचा सनोबर पर हू-बहू लागू होता है, जिसने दूसरे प्रयास में ही देश के सबसे ऊंचे इम्तिहान की बुलंदी हासिल कर ली है. सनोबर बताती हैं कि अल्लामा इक़बाल के ‘बांग-ए-दरा’ (फूल) का यह शेर उनके पसंदीदा अश्आर में शामिल है.

बिहार के बाढ़ ज़िला में जन्मी गुंचा सनोबर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में सफलता हासिल करके न सिर्फ अपने कुंबे का नाम रौशन किया है, बल्कि तालीम की रौशनी के ख़ातिर लाखों मुस्लिम लड़कियों के लिए एक राह भी दिखाई है.

सनोबर बताती हैं कि उनके मां व पिता दोनों मूल रूप से बिहार के ही पश्चिम चम्पारण ज़िला के बेतिया शहर के अलग-अलग गांवों से हैं. पिता अनवर हुसैन बीपीएससी की परीक्षा पास करके डीएसपी बने. फिर प्रमोशन के बाद वो 2007 से 2009 तक पटना के सिटी एसपी रहे. और जनवरी में ही दरभंगा से डीआईजी पद से रिटायर हुए हैं.

सनोबर के परिवार में मां के अलावा तीन बहने भी हैं. बड़ी बहन खूशबू यास्मीन दरभंगा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल (डीएमसीएच) से पीजी कर रही है और छोटी बहन जेबा परवीन भी मेडिकल की ही पढ़ाई कर रही है.

बिहार के तीन-चार शहरों के अलग-अलग स्कूलों से पढ़ने के बाद सनोबर ने डीएवी वाल्मी से दसवीं की पास की. नोट्रेडम से प्लस टू और दयानंद सागर कॉलेज बेंगलुरु से इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. उसके बाद 2013 से दिल्ली के कारोल बाग में रहकर यूपीएससी एग्जाम की तैयारी कर रही हैं.

उन्होंने इस परीक्षा के लिए कौन सा विषय लिया था और क्यों? तो इस सवाल के जवाब में सनोबर बताती हैं कि उन्होंने इस परीक्षा के लिए ज्योग्राफी (भूगोल) का चयन किया था. क्योंकि बचपन से ही इस विषय दिलचस्पी थी. और सबसे अच्छी बात यह है कि इस विषय से जेनरल स्टडीज के पेपर के लिए काफी लाभ मिलता है.

परीक्षा की तैयारी कैसे और कहां की? इस पर सनोबर का कहना है कि 2013 में वो दिल्ली आ गईं. और फिर दिल्ली के कारोलबाग में रहकर वाजी राम एंड रवि इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया. ज्योग्राफी के लिए अलग से प्रो. माजिद हुसैन की क्लास की. क्लास के बाद सेल्फ स्टडी पर अधिक ध्यान दिया.

एक लंबी बातचीत में सनोबर बताती हैं कि बचपन से अपने पिता के बदौलत सरकारी सिस्टम को समझ रही हैं. खासतौर पर सरकारी दफ्तरों में कैंसर की तरह फैल चुके भ्रष्टाचार व आपारदर्शिता उनके दिल में चुभन पैदा करती है. वो बताती हैं कि बचपन से ही देखा है कि लोग पुलिस स्टेशनों में जाने से डरते हैं. और अगर चले भी जाते हैं तो हमारी पुलिस का रवैया बड़ा अजीब होता है. उनकी एफआईआर तक नहीं लिखी जाती. मैं इस सिस्टम में बदलाव लाना चाहती हूं. और मेरा मानना है कि सिस्टम में रहकर ही सिस्टम को सुधारा जा सकता है.

वो बातों-बातों में बताती हैं कि दरअसल समस्या हमारे समाज में भी है. आज भी समाज में अनगिनत सामाजिक बुराईयां हैं. आज भी हमारे समाज की मानसिकता पुरूषवादी है. तो खुद सोचिए कि यह हमारी पुलिस भी इसी सिस्टम के पार्ट हैं, इसी समाज का हिस्सा हैं. जो मानसिकता समाज की है, वो झलकेगी ही. इनको बदलने के लिए पहले अपने समाज को शिक्षित करना होगा.

सनोबर आगे बताती हैं कि पुलिस व जेल रिफार्म बहुत ज़रूरी है. इसके लिए न्यायपालिका के सिस्टम में भी सुधार की आवश्यकता है. गरीबों को इंसाफ़ के लिए सालों-साल का इंतज़ार करना पड़ता है. काफी हद तक हमारे देश की सरकार भी इसके लिए दोषी है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट पुलिस व जेल रिफार्म दोनों पर कई दिशा-निर्देश जारी कर चुकी है, पर हमारी सरकारें इसको लागू नहीं कर रही हैं.

सरकारी तंत्र में पारदर्शिता व जवाबदेही के सवाल पर सनोबर कहती हैं कि सिस्टम में ट्रांसपैरेंसी व अकाउंटेबेलिटी अवश्य होना चाहिए. मैं जहां भी रहुंगी, मेरी पूरी कोशिश होगी कि लोगों को आरटीआई डालने की ज़रूरत ही न पड़े, क्योंकि इस क़ानून में ही प्रावधान है कि अधिक से अधिक जानकारी ऑनलाईन कर दी जाए, ताकि लोगों को सूचना मांगने की ज़रूरत ही न पड़े.

बिहार को लेकर आपके क्या फिलिंग्स हैं? इस सवाल पर सनोबर बताती हैं कि मैं तो बिहार में ही पली-बढ़ी हूं. पिता के नौकरी के कारण बिहार के अलग-अलग शहरों में रहने व उसे समझने का मौक़ा मिला है. बिहार को बहुत करीब से देखा है. यहां तमाम समस्याओं का जड़ काफी हद तक लोगों में शिक्षा की कमी है. हालांकि हालात थोड़े बदले ज़रूर हैं. लेकिन अभी इस मैदान में काफी काम करने की ज़रूरत है. वो बताती हैं कि मैं अपनी सर्विस बिहार में ही लेना चाहूंगी, क्योंकि मैं बिहार के सिस्टम को समझती हूं.

सोशल मीडिया पर सवाल पूछने पर वो बताती हैं कि सिर्फ लाईक्स व कमेंट से ज़िन्दगी नहीं बदलती… फिर आगे बताती हैं कि मुझे अपनी पर्सनल फोटो या बातें सोशल मीडिया पर डालना पसंद नहीं था, इसलिए कॉलेज के बाद इन सबसे दूर रही. लेकिन अब अपने कामकाज की जानकारी लेने व देने के लिए इसके इस्तेमाल से कोई परहेज़ नहीं होगा.

यूपीएससी की तैयारी करने वालों को क्या संदेश देना चाहेगी? तो इस सवाल पर सनोबर को हंसी आ जाती है. वो बताती हैं कि मेरे संदेश से क्या होने वाला… जो लोग तैयारी करते हैं, उन्हें सब पता होता है. बस आपके इरादे मज़बूत होने चाहिए. कई लोग कुछ महीनों की पढ़ाई में उब जाते हैं. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए. सफलता पाने के लिए आपको अपनी पॉलिसी व अपना रूटिंग खुद बनाना पड़ेगा. आपको खुद तय करना पड़ेगा कि आपकी ज़िन्दगी में क्या चीज़ें मायने रखती हैं.

देश के लड़कियों से क्या कहना चाहेंगी? तो इस सनोबर का कहना है कि लड़कियों को तालीम हासिल करना बहुत ज़रूरी है. मैं खास तौर पर लड़कियों के गार्जियन से कहना चाहूंगी कि वो अपने बच्चियों को अधिक से अधिक तालीम दें. आज की तारीख में लड़कियों में सलाहियत में कोई कमी नहीं है. लड़कियां कभी आपको दुखी नहीं करेंगी. बल्कि लड़कों से कहीं अधिक आपके अरमानों को पूरा कर सकती हैं. आगे वो बताती हैं कि जिस तरह से मेरे मां-बाप ने हर क़दम पर मेरा साथ दिया, मेरी हौसला-अफ़ज़ाई की और मुझ पर यक़ीन करके तालीम हासिल करने के लिए दूसरे राज्यों में भी भेजा. अगर दूसरे लड़कियों के मां-बाप भी अपनी बेटियों की सलाहियत की पहचान करके उनकी हौसला-अफ़ज़ाई करें तो वो भी हर फिल्ड में अपनी सलाहियतों का परचम लहरा सकती हैं.

ख़ैर, सनोबर ने अपने इस कोशिश से साबित कर दिया है कि अगर हौसलों में दम हो और इरादे पक्के, तो कामयाबी की परवाज़ को रोकना किसी के बस में नहीं.

सनोबर की परवाज़ यहीं थमने वाली नहीं है. इस बार परीक्षा में आईपीएस के पद पर चयनित हुई सनोबर के आंखों में आईएएस बनने का सपना तैर रहा है. उसे पूरा यक़ीन है कि वो अपने अगले प्रयास में इस सपने को हक़ीक़त में तब्दील कर देगी.

वो कहते है ना –

तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत पर यक़ीन कर

अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर

सनोबर को यूपीएससी के सिविल सर्विसेज परीक्षा में 424 वां रैंक मिला है और इस तरह वह बिहार की पहली मुस्लिम आईपीएस होने का गौरव प्राप्त करने वाली है.

TAGGED:Guncha Sanoberगुंचा सनोबर
Share This Article
Facebook Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
“Gen Z Muslims, Rise Up! Save Waqf from Exploitation & Mismanagement”
India Waqf Facts Young Indian
Waqf at Risk: Why the Better-Off Must Step Up to Stop the Loot of an Invaluable and Sacred Legacy
India Waqf Facts
“PM Modi Pursuing Economic Genocide of Indian Muslims with Waqf (Amendment) Act”
India Waqf Facts
Waqf Under Siege: “Our Leaders Failed Us—Now It’s Time for the Youth to Rise”
India Waqf Facts

You Might Also Like

EducationIndiaYoung Indian

30 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…

May 8, 2025
Education

52 Muslim Candidates Selected in UPSC, List is here…

April 23, 2024
EducationYoung Indian

Four students receive the second Prof Obaid Siddiqui Scholarship

August 13, 2023
BraineryEducationIndiaYoung Indian

Here is why Indian students and academics don’t return to India

August 7, 2022
Copyright © 2025
  • Campaign
  • Entertainment
  • Events
  • Literature
  • Mango Man
  • Privacy Policy
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?