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मुबारक बेगम : कभी तन्हाइयों में आपकी याद ज़रूर आएगी…

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published July 20, 2016
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7 Min Read
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Kalim Ajeem for BeyondHeadlines

मख़मली आवाज़ का जादू बिखेरने वाली मुबारक बेगम आज हमारे बीच नहीं हैं. लंबे बीमारी के बाद बेगम मुंबई के जोगेश्वरी में म्हाडा के छोटे से मकान में सोमवार की रात दुनिया से वह अलविदा कह गयीं. 80 साल की यह गज़ल गायिका पिछले चार महीने से बीमार चल रही थीं. आर्थिक तंगी से जुझती यह अदाकारा अपनी बदहाल ज़िन्दगी पर आंसू बहाती जिए जा रही थीं.

मुबारक बेगम की मौत बेहद दर्दनाक रही. यह एक बॉलीवूड की रंगीन दुनिया के लिए सबक़ है. 1998 में पुणे में महान अदाकारा ललिता पवार की दर्दनाक मृत्यु हुई थी. इज़्ज़त शोहरत बटोरने के बाद भी यह अदाकारा अकेलेपन और मुफलिसी शिकार हुईं. 31 मार्च, 1972 में मीना कुमारी भी इसी तरह दर्दनाक मौत का शिकार हुई थीं.

कहते हैं कि अपनी मौत के समय मीना कुमारी के पास ज़्यादा पैसे नहीं थे. मीना कुमारी के बारे कहा जाता है कि परिवार ने भी इनका साथ नहीं दिया. मीना जी के पास हॉस्पिटल का बिल चुकाने के भी पैसे नहीं थे.

70 के दशक की मशहूर अदाकारा परवीन बॉबी का भी अंत बहुत दुखद था. माना जाता है कि परवीन बॉबी की मौत बॉलीवुड सितारों में सबसे ज्यादा दर्दनाक थी. परवीन का मृत शरीर पूरे 72 घंटों तक घर में ही पड़ा था. पड़ोसियों ने बदबू के कारण नगर निगम को सुचित किया. तब जाकर परवीन बॉबी के मौत का पता चला. जुनागढ़ के शाही परिवार से संबंध रखने वाली परवीन बॉबी का अंत मुफ़लिसी में हुआ. परवीन बॉबी अजीबो-गरीब मर्ज़ की शिकार थीं. लोगों पर जान से मारने का इल्ज़ाम वो लगाती रहीं. जिसमें अमिताभ और महेश भट्ट भी शामिल थें. उनके इस डर ने प्रेस कॉन्फेंस में कई बार ‘लोग मुझे जान से मारना चाहते हैं’ इस तरह का इल्ज़ाम होता था.

मुबारक बेगम की बेटी की भी आर्थिक कारणों से मृत्यू हुई थी, जिसका गहरा सदमा बेगम साहिबा को लगा. इस घटना के बाद मुबारक बेगम ने जैसे बिस्तर पकड़ लिया था. वह बहुत ज्यादा बीमार रहने लगी थी. उनके परिवार वालों को इलाज के पैसे भी जुटाना मुश्किल हो रहा था. मुबारक पर्किंसन रोग से पीड़ित थी, जिसे इलाज के लिए हर महीने करीब 5 से 6 हज़ार रुपए खर्च आता था. मुबारक की एक बेटी जो विदेश में हैं, वो यह खर्च उठाती थी. बाद में शायद उन्होंने हाथ खड़े कर दिए. मंजूर हुसैन टैक्सी चलाकर जैसे-तैसे पैसा जोड़ते थे.

उनके परिवार वालों ने चार महीने पहले महाराष्ट्र सरकार से आर्थिक मदद की गुहार भी लगाई थी. राज्य सांस्कृतिक मंत्री ने एक बार अस्पताल बिल भी भरा था, पर सरकार ने इससे ज्यादा कोई मदद नहीं की.

मुबारक बेगम के बेटे मंजूर हुसैन के लिए अस्पताल का खर्चा उठाना मुश्किल होता जा रहा था. ऐसे में उन्होंने फिर से सरकार से आर्थिक मदद की गुज़ारिश की. सरकार ने मदद देने का ऐलान किया, पर मंजुर हुसैन कहते हैं कि वह मदद अब तक हमें नहीं मिली.

मंजूर हुसैन के दामाद इज़हार अहमद कहते हैं कि हमारे गुहार के बाद भी कोई भी हमसे नहीं मिला. बॉलीवूड की कोई बड़ी हस्ती या फिर कोई राजनेता हमसे नहीं मिला. उम्र के अंतिम पड़ाव पर उन्हें गम ही मिला. जबकि उन्होंने फिल्मी दुनिया को अपनी जिंदगी के बेशक़ीमती 40 साल दिए थे. पर उस बॉलीवुड ने बेगम की ज़रा भी सुध नहीं ली.

इज़हार अहमद आगे कहते हैं कि बाद इसके कई गुमनाम नाम हमारी मदद के लिए आगे आयें. अपने आप बैंक खाते रुपया जमा हो जाता था. लोग अपना नाम भी नहीं बताते थे, पर बेगम के चाहने वालों जो बन सका वह मदद की, जिसके हम एहसानमंद हैं.

बताते चलें कि राजस्थान के झुंझुनू ज़िले मे मुबारक बेगम का जन्म हुआ था. छोटी सी उम्र में मुबारक अपने परिवार के साथ अहमदाबाद आई. मुबारक के पिता को संगीत से गहरा लगाव था. कुछ दिनों बाद यानी 1946 में मुबारक परिवार के साथ मुंबई आईं. एक दिन पिता ने अपनी बेटी के हुनर को भांप लिया और मुबारक को संगीत की विधिवत तालीम देने की ठान ली. शुरु में ही कैराना घराने के उस्ताद रियाजदुदीन खाँ और उस्ताद समद खाँ की शागिर्दी में शामिल कर दिया.

देखते-देखते मुबारक ट्रेन्ड हो गई. इसी बीच मुबारक ने ऑल इंडिया रेडियो पर ऑडिशन दिये. वो रेडियो के लिए सलेक्ट हो गयी. अब मुबारक बेगम घर-घर में पहचानी जानी लगीं. उनकी आवाज़ के लोग कायल हुए.

बेगम को 1961 में फिल्म ‘हमारी याद आएगी’ के गाने गाने के पहला ब्रेक मिला. इस फिल्म का सदाबहार गाना आज भी लोगों के जुबान पर है. वह गाना था ‘कभी तन्हाइयों में हमारी याद आएगी’. इसके बाद बेगम साहिबा ने कई गाने बॉलीवुड को दिये. नतीजन यहीं से उनके लिए बॉलीवुड के दरवाज़े खुले और उसके बाद दो दशक तक बतौर प्ले-बैक सिंगर मुबारक बेगम ने बॉलीवुड में छाई रहीं.

मुबारक बेगम को 1950 से 1970 के दौरान हिंदी सिनेमा जगत में शानदार योगदान के लिए याद किया जाता है. मुबारक बेगम बड़े-बड़े म्यूजिक डायरेक्टरों के साथ काम किया हैं. मोहम्मद रफ़ी के साथ भी बेगम साहीबा काम कर चुकी हैं. मुबारक बेगम ने कई दिल में बसने वाले बेहद खूबसूरत गीत दिए हैं. कभी तन्हाइयों में हमारी याद आएगी… मुझको अपने गले लगा लो… ऐ दिल बता… ऐजी-ऐजी याद रखना, जब इश्क कहीं हो जाता हैं… शामिल हैं.

मुबारक बेगम आज हमारे बीच नहीं हैं. बॉलीवुड की दर्दनाक मौतों में मुबारक बेगम भी शामिल हो चुकी हैं. गुरुदत्त, मीना कुमारी, ललिता पवार, परवीन बॉबी, दिव्या भारती, जिया खान के लाथ बेगम भी एक दर्द-भरा इतिहास बन अख़बारों के सिंगल कॉलम मे समा चुकी हैं. मगर पर उनकी आवाज़ हमारे दिलों-दिमाग़ को हमेशा ताज़ा कर जायेगी.

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