By Anida Saifi & Afshan Khan
इन्टरनेट सर्फ करते हुए हम दोनों को ही एक पोस्ट दिखा जो बाइक से जुड़ा हुआ था. हमने सोचा अक्सर लड़कियाँ अपने भाई या दोस्तों की बाइक के साथ फ़ोटो क्लिक कराती हैं तो यह भी कुछ ऐसा ही होगा. लेकिन क्योंकि हमें आदत है अक्सर जब कुछ नया दिखता है तो उसे पढ़ ही लेते हैं. तो उसी तरह हम दोनों ने भी यह पोस्ट भी पढ़ डाला. यह सभी पोस्ट से थोडा अलग था इसमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया का नाम था और साथ ही लिखा था जामिया की ‘बाइकरनी’ जिस शब्द ने हमारा पूरा ध्यान खींच लिया और पता लगाने के लिए हम जामिया जा पहुंचे, इस जामिया की बाइकरनी से मिलने.
हमें उम्मीद नहीं थी कि रौशनी मिस्बाह से हमारी इस तरह मुलाक़ात होगी. हम दोनों ने अचानक ही एक बाइक की आवाज़ सुनी तो लगा यह वही है. और उन्हें हाथ के इशारे से रोकने पर वो रुक गईं. हमने उनसे एक छोटे इंटरव्यू की गुज़ारिश की तो रौशनी ने कहा “वहां पार्किंग में मेरा वेट करो मैं बाइक लगाकर आती हूँ.”
वह उस समय अपने दोस्त की रॉयल एनफील्ड़ चला रही थीं. हम दोनों उनका इंतज़ार करने लगे.
थोड़ा इंतज़ार करने के बाद एक बाइक की आवाज़ आई और हमने दूर से देखा तो लेदर जैकेट, हील वाले बूट्स, आँखों पर रिफ्लेक्टर चश्मा और हिजाब लगाये रौशनी अपनी सुपर बाइक पर वहां आ पहुंची.
उसके बाद एक फॉर्मल हाय हैलो के साथ हमारी बातचीत उनसे शुरू हुई. नया ज़माना है और बदलते ट्रेंड्स की सोचते हुए हम दोनों ने प्लान किया कि क्यों ना इनकी वीडियो बना ली जाये. लेकिन पूछने पर रौशनी ने कहा की वो थकी हुई हैं और हम उनकी बात लिख लें. हमने अपना काम बचाने के लिए फ़ोन में सब रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया.
हम सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू करने ही वाले थे कि अचानक पीछे से रौशनी को एक लड़के ने आवाज़ लगाई और उनसे उनकी प्रिय बाइक चलाने के लिए मांग ली. रौशनी ने बाइक तो दे दी थी लेकिन उनका सारा ध्यान हम दोनों से हट गया था और उनकी बाइक की ओर चला गया.
हमने पूछा लगता है आप अपनी बाइक को लेकर बहुत कॉन्शियस हैं. रौशनी ने कहा, जी हाँ बहुत ज़्यादा लेकिन फिर भी लड़के मांग लेते हैं.
आप लोगों का परिचय रौशनी से करा दूँ तो यह वही जामिया की बाइकरनी है जो हमें जामिया खींच लाई.
रौशनी जो कि 22 की हैं, पंजाबी मुस्लिम हैं और दिल्ली से सटे ग़ाज़ियाबाद में रहती हैं. जामिया से एम.ए. इन अरब लैंग्वेज़ कल्चर कर रही हैं.
अगर आप इनको पहली नज़र में देखेंगे तो यह आपको अफ़ग़ानिस्तानी या ईरानी लगेंगी.
इसी तरह बात आगे बढ़ी और हमने सवाल पूछने शुरू किए. हमारा पहला सवाल यही था कि उनको बाइक चलाने के लिए किसने प्रेरित किया, तो रौशनी ने बताया कि उनके पापा सुपर बाइकर हैं और बाइक्स के चाहने वाले हैं. तो इसी के चलते उन्हें बाइक्स का शौक़ लगा.
आगे रौशनी कहती हैं कि उनकी पहली बाइक अवेंजर्स थी जो उन्होंने सिर्फ़ 5 महीने में बेच डाली थी. जिसके बाद उनके पापा ने उन्हें नई बाइक दिला दी. आगे जोड़ते हुए वो कहती हैं कि मुझे मेरे घर वालो का बहुत सपोर्ट है जिसके चलते मैं यह सब कर पाती हूँ. मैं चाहती हूँ कि मेरे आस-पास की सारी लड़कियाँ कार और स्कूटी के साथ-साथ बाइक भी चलाना सीखें और समाज में एक बदलाव लाएं. जो बहुत ज़रूरी है.
रौशनी कहती हैं कि जामिया में भी और बाहर भी मुझे लड़कियों का बहुत सपोर्ट मिलता है, वहीँ लड़के मुझे दूर से देखकर अक्सर काना फूसी करते हैं. यही पास में हाइजेनिक कैफ़े पर लड़के अक्सर मुझसे यही कहते हैं कि आप इतनी तेज़ी में क्यों निकल जाती हैं, हमें बाइक तो देखने दिया करो. लेकिन इनका क्या करें यह बाइक है ही इतनी तेज़.
रौशनी के मुताबिक़ लड़कियों को अपनी हर ख्वाहिश पूरी करनी चाहिए.
आगे रौशनी से पूछने पर कि उन्होंने पहली बाइक राइड कब ली थी तो वो कहती हैं, “मैंने पहली बार बाइक चलाना 9वीं क्लास में सीखा था. वो बाइक मेरे दोस्त की थी. हालाकिं वो मुश्किल काम था लेकिन आज मैं बाइक बहुत अच्छे से चला सकती हूँ.”
हमारा अगला सवाल भी तैयार था, क्या आप अपने इस पैशन को एक मक़ाम देना चाहती है या फिर यह बस शौक़ है? रौशनी हँसते हुए जवाब देती हैं “एक दिन मुझे आप लोग रेस ट्रैक पर देखेंगे”.
रौशनी से मिलकर और उन्हें खुश देखकर हम दोनों की ख़ुशी का भी ठिकाना नहीं रहा. रौशनी का जज़्बा और हौसला सभी लड़कियों के लिए मिसाल है. वहीँ उनके वालिद (पिता) का सहयोग भी अपने आप में एक मिसाल है. रौशनी खुद इस बात को मानती हैं कि उनके पिता के साथ के बिना उनका यह सपना शायद सफल न हो पाता.
आज सबको ज़रुरत है कि रौशनी और उनके पिता से प्रेरणा लें और अपने सपनों को पंख दें और आसमान को छुएं. (Courtesy: YuvaAdda.com)