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लोकल ट्रैवलिंग के नाम पर हज कमिटी ऑफ़ इंडिया ने हज़ारों लिए, लेकिन नहीं है कोई इंतज़ाम

अफ़रोज़ आलम साहिल, BeyondHeadlines

हज कमिटी ऑफ़ इंडिया का मक्का व मदीना में रिहाइश के नाम पर किराया अधिक, सुविधाएं कम…

कल आपने मक्का में रिहाईश को लेकर हाजियों की परेशानियों के बारे में पढ़ा था. आईए, मक्का के बाद अब मदीने की बात करते हैं. यहां रिहाईश के लिए इस बार हज कमिटी ऑफ इंडिया ने 900 सऊदी रियाल (16,119 रूपये) लिए हैं. ये दोनों कैटेगरी के लिए एक ही है. मौसूफ़ सरवर का कहना है कि जो सुविधा हमें वहां मिली है, उस हिसाब से 900 सऊदी रियाल (16,119 रूपये) महंगा है.

यही नहीं, हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के गाईडलाईंस के मुताबिक़, सऊदी क़वानीन के तहत 1 फ़ीसद ज़्यादा रिहाईश के इंतेज़ाम के लिए 23.50 सऊदी रियाल (420 रूपये) लिए जाते हैं.

इस बारे में पूछने पर हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के सीईओ डॉ. मक़सूद खान का कहना है कि, ये सऊदी क़ानून कहता है कि 1 फ़ीसद ज़्यादा लो, क्योंकि रिहाईश के लिए हमें 1 फ़ीसद ज़्यादा देना होता है.

बता दें कि हाजियों की सऊदी अरबिया में ठहरने की मीआद 30 से 40 दिन की होती है. इस दौरान क़रीब 5 से 6 दिन मीना में रहना होता है. यहां हाजी बड़े खेमों में दूसरे हाजियों के साथ ठहरना होता है. यहां का इंतज़ाम तवाफ़ा एस्टैब्लिस्मेंट यानी मोअल्लिम करती है और यहां ठहरने के लिए हज गाईडलाइन्स के मुताबिक़ हर हाजी को 347.50 सऊदी रियाल (6,223 रूपये) देना होता है. इस बार बाद में हर हाजी से मीना के टेन्ट में बेड चार्ज के नाम पर 147 रियाल (2,632 रूपये) अलग से लिया गया है.

रिहाइश के बाद अब हम मक्का और मदीने में लोकल ट्रैवलिंग के लिए लिए जाने वाले खर्च के बारे में बात करेंगे. तो यहां बता दें कि हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के गाईलाइंस के मुताबिक़, कमिटी आमद व रफ़्त के लिए 594 सऊदी रियाल (10,638 रूपये) हर हाजी से लेती है, वहीं 250 सऊदी रियाल (4,477 रूपये) ट्रेन का किराया के तौर पर भी लिया जाता है. लेकिन इस बार बस का किराया 391.18 सउदी रियाल (7,006 रूपये) और ट्रेन का किराया 400 सऊदी रियाल (7,164 रूपये) लिया गया है.

इस बारे में बात करने पर हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के सीईओ डॉ. मक़सूद खान का कहना है कि, ‘वहां की सरकार दोनों का किराया लेती है. हम ये पैसा अपनी जेब में नहीं डाल रहे हैं.’

लेकिन मक्के में मौजूद हाजी मौसूफ़ सरवर बताते हैं कि, हमें मदीने में मस्जिद नबवी से क़रीब दो किलोमीटर दूर ठहराया गया, लेकिन सवारी का कोई इंतज़ाम नहीं था. खैर हम नौजवान हैं, पैदल ही जाते रहें, लेकिन ज़रा सोचिए कि कोई बुजुर्ग इतनी दूर पैदल कैसे चलेगा. लेकिन यहां मजबूरी में इन्हें चलना पड़ा या फिर ज़्यादातर लोग पैसे खर्च करके टैक्सी का इस्तेमाल करते रहें.

वो आगे यह भी बताते हैं कि, अभी हम मक्के में हैं और हमें हरम शरीफ़ से क़रीब 15 किलोमीटर दूर ठहराया गया है और यहां के लोग बता रहे हैं कि अगले चारपांच दिनों में बसे चलनी बंद हो जाएंगी यानी फिर हमें अपने खर्च से टैक्सी के ज़रिए जाना होगा.

यहां यह भी बता दें कि हज कमिटी ऑफ़ इंडिया के ज़रिए मक्कामदीना या मदीनामक्का सामान ले जाने के लिए सर्विस जार्च के तौर पर 50 सऊदी रियाल (895 रूपये) वसूल करती है.

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