BeyondHeadlines News Desk
नई दिल्ली : कुपोषण को लेकर भारत में जागरूकता के बाद भारत सरकार ने सालों पहले फ़ैसला लिया था कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को निशुल्क दोपहर का भोजन दिया जाएगा. इस स्कीम का नाम ‘मिड डे मील‘ रखा गया था.
इसके पीछे विचार ये था कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब घरों से आते हैं और उन्हें पर्याप्त भोजन भी नहीं मिल पाता है. इसके बाद बच्चों की उपस्थति सरकारी स्कूलों में बढ़ने लगी क्योंकि अब बच्चों के माता–पिता काम पर लगाने के बजाए पढ़ाने लगें.
अच्छी ख़बर ये है कि अब आने वाले दिनों में पढ़ने वाले बच्चों को मिड डे मील के साथ–साथ सुबह का नाश्ता मिलना भी शुरू हो सकता है.
गुजरात में जब इस स्कीम को शुरू किया गया तो बहुत सकारात्मक असर नज़र आया. गुजरात ने अलग से कोई बजट के तहत ऐसा नहीं किया था बल्कि मिड डे मील में मिलने वाली खाद्य सामग्री से ही नाश्ता तैयार हो गया था.
अब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय अन्य राज्यों में भी इसे लागू करने के लिए बात कर रहा है. ख़बरों की मानें तो जल्द ही मंत्रालय एक बैठक बुलाएगा.
एक अध्ययन के मुताबिक़ बच्चों को सिर्फ़ दोपहर के भोजन से पर्याप्त कैलोरी नहीं मिल पा रही थी और देर तक भूख रहना भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है. इसी वजह से अब नाश्ता भी देने का इंतज़ाम करने की बात की जा रही है.
यक़ीनन अगर इसे लागू किया गया तो 90 प्रतिशत बच्चों की एकाग्रता और उपस्थिति दोनों दुगनी हो सकती है. उम्मीद है कि इसे जल्द लागू किया जाएगा. शायद 2019 चुनाव के पहले…
