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Reading: जनरल शाह नवाज़ ख़ान को क्यों भूल गया देश?
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BeyondHeadlines > Culture & Society > जनरल शाह नवाज़ ख़ान को क्यों भूल गया देश?
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जनरल शाह नवाज़ ख़ान को क्यों भूल गया देश?

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published December 9, 2012 15 Views
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6 Min Read
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Afroz Alam Sahil for BeyondHeadlines

जब हिंदुस्तान से मुसलमान पाकिस्तान जा रहे थे तब वो पाकिस्तान में अपने पूरे परिवार को छोड़कर हिंदुस्तान आ गए थे. उनके परिवार से जुड़े लोग आज पाकिस्तान सेना में ऊंचे पदों पर हैं. वो आज़ाद हिंद फौज में सुभाष चंद्र बोस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े. जब ब्रिटिश सेना ने उन्हें पकड़कर लाल क़िले में डाल दिया और प्रसिद्ध लाल क़िला कोर्ट मार्शल ट्रॉयल हुआ तब देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनके लिए वकालत की.

आज़ाद हिंदुस्तान में 4 बार सांसद चुने गए और कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री रहे. प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान की मां को उन्होंने ही गोद लिया था. हम बात कर रहे हैं जनरल शाहनवाज़ खान की.

आज उनकी 29वीं पुण्यतिथी है. वो जब तक ज़िन्दा रहे कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे. सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी ने उनके ही दिशा-निर्देशन में प्रशिक्षण लिया था. लेकिन आज उनकी पुण्यतिथि के मौक़े पर कांग्रेस का एक भी नेता उनके मज़ार पर नहीं पहुंचा. वहीं दूसरी ओर पूरी कांग्रेस पार्टी हर मुमकिन ज़रिए से अपनी राजमाता सोनिया गांधी को जन्मदिन की बधाइयां देने में व्यस्त थी. अख़बारों में फ्रंट पेज़ ऐड से लेकर टीवी तक पर सोनिया गांधी के जन्मदिन की बधाई के संदेश दिए गए. लेकिन कांग्रेस पार्टी में से किसी ने भी जनरल शाहनवाज़ खान की मज़ार पर फूल चढ़ाना भी मुनासिब नहीं समझा.

जनरल शाह नवाज़ मेमोरियल फाउंडेशन द्वारा आयोजित जनरल शाह नवाज़ ख़ान की 29वीं मौत की बरसी पर श्रद्धांजलि सभा जामा मस्जिद स्थित उनके मज़ार पर आयोजित की गई, लेकिन परिवार के लोगों के सिवा कोई भी कांग्रेसी नेता इस सभा में शामिल नहीं हुआ. इस फाउंडेशन के संस्थापक जनरल शाह नवाज़ खान के पोते आदिल शाह नवाज़ ने फाउंडेशन के अहम उद्देश्यों पर प्रकाश डाला.

वहीं जनरल शाह नवाज़ ख़ान के बेटे अजमल शाह नवाज़ ख़ान ने अपने पिता के जीवन पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि जनरल शाह नवाज़ ख़ान न सिर्फ़ एक महान जंग-ए-मुजाहिद थे बल्कि वह बेलौस देशप्रेमी भी थे. जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा के लिए समर्पित कर दिया था.

स्पष्ट रहे कि देश को आज़ाद कराने के लिए लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी. इन महान देश-भक्तों में जनरल शाहनवाज़ ख़ान का नाम आदर से लिया जाता है, जो आज़ाद हिन्द फौज के मेजर जेनरल थे और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बेहद क़रीबियों में शुमार थे. उनका जन्म 24 जनवरी 1914 को गांव मटौर, ज़िला रावलपिंडी (अब पाकिस्तान) में झंझुआ राजपूत कैप्टन सरदार टीका ख़ान के घर हुआ था.

उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा पाकिस्तान में हुई. आगे की शिक्षा उन्होंने प्रिंस ऑफ वेल्स रावल इंडियन मिलिट्री कॉलेज देहरादून में पूरी की और 1940 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी में एक अधिकारी के तौर पर ज्वाइन कर लिया. आज़ाद हिन्दुस्तान में लाल क़िले पर ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर तिरंगा लहराने वाले जेनरल शाहनवाज़ ही थे. आज भी लाल क़िले में रोज़ शाम छह बजे लाइट एंड साउंड का जो कार्यक्रम होता है, उसमें नेताजी के साथ जेनरल शाहनवाज़ की आवाज़ है.

शाहनवाज़ ने 1952 में पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मेरठ से चुनाव जीता था. इसके बाद 1957, 1962 व 1971 में मेरठ से लागातार जीत हासिल की. वह 23 साल तक केन्द्र सरकार में मंत्री रहे. 1952 में पार्लियामेंट्री सेक्रेट्री औऱ डिप्टी रेलवे मिनिस्टर बने. 1957-1964 तक खाद्य एवं कृषि मंत्री के पद पर रहे. 1965 में कृषि मंत्री एवं 1966 में श्रम, रोज़गार एवं पुनर्वास मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभाली. 1971 से 1975 तक उन्होंने पेट्रोलियम एवं रसायन और कृषि एवं सिंचाई मंत्रालय की बागडोर संभाली. 1975 से 1977 के दौरान केन्द्रीय कृषि एवं सिंचाई मंत्री के साथ एफसीआई के चेयरमैन का उत्तरदायित्व भी उन्होंने बखूबी निभाया. 1956 में भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के कारणों और परिस्थितियों के खुलासे के लिए एक कमीशन बनाया था, इसके अध्यक्ष भी जनरल शाह नवाज खान ही थे. इस तरह मेरठ लोकसभा सीट से प्रतिनिधित्व करने वाले जनरल शाह नवाज खान 23 साल केन्द्र सरकार में मंत्री रहे. मेरठ जैसे संवेदनशील शहर में उनके जमाने में कभी कोई दंगा-फ़साद नहीं हुआ.

बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख ख़ान के पिता जनरल शाहनवाज़ ख़ान के साथ ही पाकिस्तान से भारत आए थे. शाहरुख खान की मां मुमताज़ को जनरल शाहनवाज़ ख़ान ने ही गोद लेकर शादी करवाई थी. खुद शाहरुख़ ख़ान भी कई मौक़ों पर खुद को स्वतंत्रता सेनानी परिवार से जुड़ा हुआ बता चुके हैं लेकिन उन्होंने शाहनवाज़ ख़ान की पुण्यतिथि पर एक संदेश तक नहीं दिया.

जनरल शाहनवाज़ ख़ान, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिंद फौज के न जाने कितने नुमाइंदों ने अपने प्राणों की बाज़ी लगाकर हिंदुस्तान को आज़ादी दिलवाई लेकिन आज उनके नाम से भी देश के लोग वाक़िफ़ नहीं हैं. वक़्त की ज़रूरत है कि हम शाहनवाज़ खान जैसी सख्शियतों के बारे में जाने और उनकी विरासत को संभाले.

TAGGED:general shah nawaz khanShahrukh KhanSonia Gandhiजनरल शाह नवाज खानजनरल शाह नवाज मेमोरियल फाउंडेशन
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