समर थियेटर फेस्टिवल 20 से 22 जून तक श्रीराम सेंटर में

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नई दिल्ली : एक कलाकार किसी मौसमी हालात की सीमा में बंधा नहीं रहता! कोई ऐसी तपिश या ठंडक नहीं बनी है जो किसी कलाकार के दिल तक पहुंच सके. राजधानी के लोग गर्मी को मात देने और इससे निजात पाने की तरकीबें ढूंढ रहे हैं, इसे देखते हुए कलाकारों का एक बड़ा समूह तपती गर्मी के इस मौसम में अगले हफ्ते से दिल्ली वालों के लिए रंगमंच महोत्सव की तैयारी करने में पूरी तन्मयता से लगा हुआ है.

फिल्म्स एंड थियेटर सोसायटी द्वारा प्रस्तुत यह समर थियेटर फेस्टिवल गर्मी की नीरसता दूर करने के लिए तीन अलग-अलग विषयों पर आधारित तीन दिलचस्प नाटकों का मंचन 20 से 22 जून के दौरान तीन दिनों तक श्रीराम सेंटर ऑडिटोरियम में किया जाएगा.

भव्य तरीके से निर्मित ये तीनों नाटक भावनाओं और जिंदादिली से भरपूर हैं और इनमें प्रभावी ढंग से भारतीय संगीत का समावेश किया गया है. इसके समृद्ध कंटेंट आपका मनोरंजन करने के साथ ही निश्चित रूप से आपके दिल को छू लेगी.

समारोह का आगाज़ कपल ट्रबल से होगा जिसका निर्देशन विकास बाहरी कर रहे हैं. यह मराठी नाटक आंख मिचैली पर आधारित है. मूल रूप से सी. पी. देशपांडे द्वारा लिखित इस नाटक की पटकथा शादीशुदा पुरुषों की कपोल कल्पनाओं और कुंठा पर आधारित है, जिसमें आधुनिक युग के वैवाहिक रिश्तों के बदलते मूल्यों की परतें उघारते हुए पुरुषों के दोहरे मापदंड को दिखाया गया है. यह नाटक व्यंग्यात्मक अंदाज़ में पेश किया गया है.

समारोह के दूसरे दिन यानी 21 जून को सौदागर का मंचन किया जाएगा. यह शेक्सपियर की उत्कृष्ट रचना ‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’ का भारतीय रूपांतरण है. अतुल सत्य कौशिक द्वारा निर्देशित सौदागर में आजादी से पहले के भारत की तस्वीर दिखाई जाएगी, जिसमें एक व्यापारी अपने मित्र के लिए मोटे ब्याज पर कर्ज ले लेता है. वह मित्र यह रक़म एक राजकुमारी को लुभाने के लिए खर्च कर देता है.

समारोह के आखिरी दिन भारत के विभाजन की व्यथा को दोहराने वाला नाटक पेश किया जाएगा जिसमें लाहौर के एक परिवार की कहानी है. कौशिक द्वारा निर्देशित ‘वो लाहौर’ बीसवीं सदी के मध्यकाल के भारत की कहानी पर आधारित एक संगीतमय नाटक है. इसमें एक सीधी-सादी महिला जमुना की कहानी है, जिसके तीन बेटे हैं और वह अपने आसपास हो रही घटनाओं के बावजूद अपने परिवार को जोड़े रखने का प्रयास करती है. ये सभी नाटक शाम 7.00 से शुरू होंगे.

लेखक-निर्देशक अतुल सत्य कौशिक कहते हैं, “हमने इस समारोह के लिए अलग-अलग विषयों के नाटकों का चयन किया है. कॉमेडी से लेकर दुखांत वाले नाटकों के मंचन से यह समारोह हर किसी नाट्य प्रेमी को आकर्षित करेगा. हमारे नाटक जिंदादिली से लबरेज हैं और इन्हें संगीत तथा लाइट्स के समायोजन से परिपूर्ण किया गया है. दिल्ली की जनता को गर्मी की तपिश से निजात दिलाने का हमारा यह कलात्मक अंदाज़ है.”

फिल्म्स एंड थियेटर सोसायटी (एफटीएस) के बारे में

फिल्म्स एंड थियेटर सोसायटी का गठन और संचालन लेखक-निर्देशक अतुल सत्य कौशिक कर रहे हैं। यह सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत अखिल भारतीय स्तर पर एक पंजीकृत संस्था है. संस्था का मुख्य उद्देश्य देश में मंचित होने वाले नाटकों और लघु फिल्मों का निर्माण करना तथा उनका प्रचार-प्रसार करना है. एफटीएस के सभी सदस्य अलग-अलग पेशों और शैक्षणिक पृष्ठभूमि से हैं, लेकिन उनके एक चीज सामान्य है- रंगमच का जज्बा तथा रचनात्मक भूख. महज चार वर्षों के कम अंतराल में ही संस्था अब तक 15 नाटकों का निर्माण कर चुकी है और इनका मंचन दिल्ली, मुंबई, आगरा, हिसार, चंडीगढ़, बठिंडा, मेरठ तथा गुड़गांव में किया जा चुका है. नादिरा जहीर बब्बर, ओनीर, सुषमा सेठ, अनूप सोनी, गौहर रजा, शिबानी वजीर पसरीच, सोनल मानसिंह जैसे कई जाने-माने कलाकार इस समारोह से जुड़े हुए हैं.

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