Exclusive

महावीरी अखाड़ा में हथियारों के प्रदर्शन पर रोक, हिंसा होने की अफ़वाह

BeyondHeadlines News Desk

बेतिया : नागपंचमी के अवसर पर निकलने वाले महीवीरी अखाड़ा में बेतिया प्रशासन हथियार व लुकार पर प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही इसके कुछ नियम-क़ानून भी लागू किए गए हैं, जिसका पालन हर किसी को करना है.

बेतिया प्रशासन के मुताबिक अखाड़ा निकालने के लिए प्रशासन से इजाज़त लेनी होगी और जिसके नाम से लाईसेंस निर्गत किया जाएगा, अखाड़ा की पूरी ज़िम्मेदारी उसी व्यक्ति की होगी. अखाड़ा में हथियार व लुकार के प्रदर्शन पर प्रतिबंध रहेगा और यदि ऐसे कोई करता पकड़ा गया तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

साथ ही प्रशासन पर यह भी कहा कि अखाड़ा रात में निकालने की इजाज़त नहीं होगी, ये सिर्फ दिन में ही निकलेगा और सूर्य ढ़लने के साथ ही अखाड़ा समाप्त हो जाएगा.

एएसपी राजेश कुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि नियम का उल्लंघन करते कोई भी पकड़ा गया तो उस पर कार्रवाई तय है. अखाड़ा में नशा पान करने व हुड़दंगियों पर पुलिस की विशेष नज़र रहेगी. सुरक्षा के लिहाज़ से एवं विशेष परिस्थिति के लिए पुलिस व प्रशासन ने कई योजना बनाई है. सभी अखाड़ों की वीडियोग्राफ़ी भी कराई जाएगी.

यह तमाम निर्णय बुधवार को नगर थाना में शांति समिति की बैठक में लिया गया. शांति समिति के इस बैठक में कई गणमान्य लोगों के साथ एएसपी  राजेश कुमार, एसडीपीओ सुनील कुमार, एसडीपीओ रामानंद कुमार रामानंद कौशल, प्रशिक्षु डीएसपी सौरभ सुमन, नगर थानाध्यक्ष विमलेंदु कुमार, काली बाग ओपी प्रभारी नरेन्द्र कुमार आदि मौजूद थे.

स्पष्ट रहे कि 18-19 अगस्त, 2015 को बिहार के पश्चिम चम्पारण ज़िले के बेतिया शहर में नागपंचमी का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन महावीरी अखाड़े का जुलूस निकाला जाता है.  12 अगस्त, 2013 में महावीरी अखाड़े के दौरान छिटपूट हिंसा हुई थी और असामाजिक तत्वों ने दुकानों, मकानों और गाड़ियों को नुक़सान भी पहुंचाया था. महावीरी अखाड़े के दौरान मुस्लिम समाज से जुड़े स्थानों जैसे कि कब्रिस्तानों आदि पर हमले भी किए गए थे. यही नहीं प्रशासन की छूट के कारण दिन में भी अखाड़ा निकाला गया. शहर का माहौल ख़राब करने की कोशिशें सुर्खियाँ भी बनी थी. तब से प्रशासन ने मुसलमानों के मुहर्रम के अखाड़े व हिन्दुओं के महीवीरी अखाड़े को रात में निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही हथियारों के प्रदर्शन पर रोक रहा है.

जानकार बताते हैं कि 2013 की यह  हिंसा 2014 लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया गया. जिसका चुनाव में लाभ भी मिला. लोग बताते हैं कि वो तो भगवान का कृपा थी कि बहुत तेज़ बारिश हो गई, नहीं तो शहर को आग में झोंकने की पूरी तैयारी थी.

हालांकि इस बार भी सुत्र बताते हैं कि बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए दंगा होने की संभावना है. शहर में तरह-तरह की अफ़वाहें फैली हुई हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि 2013 में हिंसा की एक अहम वजह शायद अखाड़े में निकलने वाली झांकी थी, इस बार भी अफ़वाह है कि याकूब मेनन की फांसी व अन्य थीमों पर झांकियां निकालने की तैयारियां चल रही हैं.

हालांकि एएसपी राजेश कुमार ने पुलिस व लोगों को सचेत रहने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि ‘कहीं कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हम सबों को सचेत रहना होगा.’ वहीं एसडीओ सुनील कुमार ने पूर्व के दंगाईयों पर विशेष नज़र रखने व आवश्यकता देखने पर क़ानूनी कार्रवाई करने पर भी ज़ोर दिया है.

महावीरी अखाड़ा का इतिहास जानने के लिए नीचे क्लिक करें

महावीरी अखाड़े का इतिहास

Related Story :

‘मोदियापे’ में झुलसने से बच गया एक शहर

क्या बेतिया के ‘मोदीकरण’ से बिगड़ा है शहर का माहौल?

शहर का महावीरी आखाड़ा और बेतिया पुलिस का साहसिक क़दम

सावधानः मुहर्रम पर जुलूस निकाला तो दंगाई बना देंगे!

‘They were Burning My City’

Most Popular

To Top