India

लूट की दास्तान —3…

लूट की दास्तान —1…

लूट की दास्तान —2…

यह पूरा घोटाला करीब एक हजार करोड़ का बताया जा रहा है. इसलिए इस महाघोटाले की जांच भारत सरकार को किसी उच्चस्तरीय तकनीकि जांच एजेंसी से करानी चाहिए. क्योंकि इस लूट में न सिर्फ मनीलाडिंग को अंजाम दिया गया बल्कि आरबीआई, सीबीआई व रजिस्टार कोआपरेटिव, सिडबी, नाबार्ड, एनएचबी जैसी तमाम सरकारी संस्थाओं में बड़े पदों पर बैठे अफसरों के शामिल होने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता.

आरोपों के मुताबिक बैंक का आडिट अगर सही तरीके से किया होता तो यह हजारों करोड़ों की महालूट न होती. हाल ही में आरबीआई ने दोनों घोटालेबाज गुप्ता दम्पति के खिलाफ 30.6.2012 को धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है. लेकिन देखना लाजमी होगा कि रसूखदार घोटालेबाजों के खिलाफ कार्यवाही किस मुकाम तक पहुंचती है.

यहीं नहीं जब अपनी पत्नी अलका दास गुप्ता को सीबीआई के शिकंजे में फंसते देखा तो झट एक अंगूठा छाप करीबी को लूट की खातिर बैंक के चेयरमैन पद पर बिठा दिया.

Dr.-Akhilesh-Das-Gupta

हजारों करोड़ के सिटी कोआपरेटिव बैंक घोटाले की सीबीआई जांच में फंसे एके जौहरी जब जेल में थे तो 25.3.2001 को खाता संख्या 1927 के जरिए इनकों 75 लाख तक ऋण कूटरचित दस्तावेजों के जरिए दिया गया. सीबीआई ने बकायदा अपनी जांच में पाया कि सिटी कोआपरेटिव बैंक से मर्केंटाइल बैंक ने बड़ी मात्रा में संदिग्ध लेनदेन किया है. जब अलका दास गुप्ता बैंक की चेयरमैन थी.

यहीं नहीं, अखिलेश दास गुप्ता ने इंडिया मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक की एफडी के सापेक्ष कूट रचना कर बांबे मर्केंटाइल बैंक के करीब 4 करोड़ 6 लाख 35 हजार रुपए हड़प लिए. 26.2.2009 को इंडियन मर्केंटाइल बैंक के खाताधारक यूटी इंटरनेशल के खाते से करीब 8 करोड़ की भारी भरकम धनराशि अखिलेश दास की कंपनी विराज कंस्ट्रक्शन के खाते में चली गयी.

कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस पैसे से एमपी का चुनाव अखिलेख दास द्वारा लड़ा गया था. यहीं नहीं चुनाव के दौरान लखनऊ के ग्रीन कैब टूर एंड ट्रैवल्र्स को इंडियन मर्केंटाइल बैंक से 22.42 लाख रुपए टैक्सियों का किराया अदा किया गया. संभवतः यह टैक्सियां अखिलेश दास के चुनाव प्रचार में लगी थी.

12 सालों से आरबीआई के दिशा निर्देशों के मुताबिक इंडियन मर्केंटाइल बैंक ने सीआरआर और एसएलआर तक का हिसाब किताब नहीं रखा. जब आरबीआई के आदेश के मुताबिक एडिशनल डायरेक्टर कोआपरेटिव एके श्रीवास्तव बैंक में प्रशासक थे तो आखिर 34.15 करोड़ फर्जी तरीके से कैसे निकले, इसकी जांच से कई बड़े अफसर तक बेनकाब हो जाएंगे.

बैंक में इतने घपले थे कि खुद आरबीआई ने कहा कि बैंक का संचालन बेहद मुश्किल है. यहीं नहीं जब हजारों करोड़ के घोटालों की सीबीआई जांच में अखिलेश दास ने अपनी चेयरमैन पत्नी अलका दास को फंसते देखा तो अपने बेहद करीबी बी 64 निरालानगर लखनऊ निवासी राज कुमार राम को चेयरमैन की कुर्सी पर बिठा दिया. जबकि राम अंगूठा टेक थे.

यह हम नहीं आरबीआई की निरीक्षण रिपोर्ट कह रही है. निरीक्षण रिपोर्ट के मुताबिक बैंक के काम काज में चेयरमैन राज कुमार राम ने किसी भी प्रकार दिलचस्पी नहीं दिखाई. यहीं नहीं बोर्ड मीटिंग की मिनट बुक पर चेयरमैन राज कुमार राम ने अपने हस्ताक्षर करने की बजाय अंगूठा लगाना मुनासिब समझा. आरबीआई ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि ऋण देते समय किसी भी प्रकार के दस्तावेज और सुरक्षा गांरटी भी नहीं देखी गई.

खासतौर पर बसपा महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा (इनको अखिलेश दास की कृपा से दो करोड़ का ऋण मिला था), विराज प्रकाशन प्रा.लि., एस गुप्ता बिल्डटेक लि. को दिए करोड़ों के ऋण पर सख्त टिप्पणियां आरबीआई ने की थी. यहां तक कहा गया था कि ऋण लेने के लिए दिए गये प्रार्थना पत्र को एक ही व्यक्ति ने भरा था क्योंकि हैंड राइटिंग एक ही व्यक्ति की थी. इसका सीधा अर्थ है कि अखिलेश दास ने इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक के जरिए बसपा नेताओं को भी उपकृत किया है.

यहीं नहीं वरिष्ठ आईएएस पीसी चतुर्वेदी के गोमतीनगर स्थित मकान में किराये पर दो कमरे बैंक की ब्रांच खोलने के लिए गए. जिसका किराया 5 लाख 6 हजार रुपए सालाना था. इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक ने जनता की गाढ़ी कमाई हड़पने के लिए बिना आरबीआई की अनुमति के ही आईएमसीबी टैक्स सेवर नाम की स्कीम चलाई जबकि स्कीम को आरबीआई ने अपने आदेश संख्या यूबीडीबीपीडी (पीसीबी).एमसी.एनओ/13.01.000/2009/2010 दिनांक 8 जुलाई 2009 का खुला उल्लंघन करार दिया.

सूत्रों की माने तो बैंक ने इस फर्जी स्कीम के जरिए जनता से करोड़ों की धन उगाही की. इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक (नोएडा ब्रांच) और मुख्यालय के बीच 42 करोड़ 51 लाख से अधिक रुपए व कानपुर ब्रांच व मुख्यालय के बीच 21 करोड़ 58 लाख से अधिक रुपया, अशोक मार्ग ब्रांच व मुख्यालय के बीच 12 करोड़ 60 लाख से अधिक रुपयों का कोई अता-पता नहीं है. जिसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक में अखिलेश दास व उनकी पत्नी अलका दास गुप्ता ने हजारों करोड़ के घोटाले के साथ मनीलांड्रिंग तक को अंजाम दिया है.

भारत सरकार को बैंक की इस महालूट की जांच कराने के साथ ही यह भी जांच करानी चाहिए कि आखिर अखिलेश दास गुप्ता ने कुछ ही वर्षों में इतना बड़ा साम्राज्य कैसे खड़ा किया क्योंकि इस पूरे साम्राज्य में लगा धन मर्केंटाइल बैंक से हड़पा गया भी हो सकता है.

                                                         —लूट की दास्तान आगे भी जारी रहेगी…

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]