गुजरात में विकास पुरूष की जीत या विनाश पुरूष की…

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Mubassir Ali for BeyondHeadlines

गुजरात के चुनाव का परिणाम बिना किसी अप्रिय घटना के सामने आया. पूरा चुनाव प्रचार और मतदान शान्ति पुर्वक सम्पन्न हुआ. इसके लिए गुजरात की जनता को धन्यवाद और ज्यादा धन्यवाद गुजरात के नेताओं को कि उन्होंने अपना सफेद रंग दिखाया और कुछ भयानक सच को छुपाया. साथ ही धन्यवाद अख़बार व टीवी वालों को कि जिन्होंने मुझे ज्यादा बेचैन नहीं किया और जनता को परिणाम आने से पहले ही अपना परिणाम सुना दिया. जैसा कि वो हमेशा करते हैं.

गुजरात के परिणाम के अनुसार नरेन्द्र मोदी गुजरात के नए मुख्यमन्त्री चुने गए. आगे 5 साल वो गुजरात को और तरक्की की राह पर चलाएंगे, जैसा कि पिछले 10 सालों से कर रहें हैं. 10 साल पहले 2002 में गुजरात में हुए दंगे हुए और उसमें मुस्लिम समाज को व्यापार, शिक्षा और समाज की मुलभूत सुविधाओं से काट दिया गया. कई लोगों को जान गंवानी पड़ी और उसके ज़ख्म आज भी मौजुद हैं. उसके बाद किसी तरह का नरसंहार नहीं हुआ. शायद वो नरसंहार मोदी को आने वाले 15-20 सालों तक मुख्यमन्त्री बने रहने के लिए काफी है.

असल में वोट मोदी के मिशन सद्भावना को नहीं, बल्कि भीषण विनाश को मिलें हैं. अगर मोदी को प्रधानमन्त्री बनने की तमन्ना हुई तो वो गुजरात का किस्सा पुरे देश में दोहरा कर अपनी विनाश पुरूष की छवि बनाए रखेंगे.

पिछले 10 सालों में मोदी ने गुजरात का विकास अपने तरीकों व अपने सपनों के अनुसार किया है. उसने गुजरात को देश में अग्रणीय राज्य बनाया और उसे नई उंचाइयों पर ला खड़ा किया है और साथ ही वादा किया है कि गुजरात में नई कम्पनियां आएंगी और अपना व्यापार करेंगी, जिससे कि गुजरात के लोगों को काफी रोज़गार व आर्थिक लाभ मिलेगा.

आने वाले 5 सालों में मोदी से अपने पुराने विकास को जारी रखने की उम्मीद है. शब्दों से खेलने वाले मदारी मोदी ने चुनाव से पहले कहा था कि “असली विकास चुनाव के बाद शुरू होगा. पिछले 10 सालों में मैंने कांग्रेस के बनाए गड्डों को भरा है. विकास 2013 से शुरू होगा.”

पिछले 10 सालों में गुजरात में कम्पनियों की संख्या बढ़ी है, पर एक सच्चाई यह भी है कि जो लोग गरीब थे वो और गरीब हुए हैं. आज गुजरात में कम्पनियों के मालिक मजदूरों से दिन-रात काम करवाते हैं और मजदूरी सिर्फ इतना ही देते हैं कि सिर्फ वो खुद खा सके. उसकी बीवी बच्चों के लिए कुछ नहीं बचता है.

अहमदाबाद का एक मजदूर कहता है कि “मोदी जब यह घोषणा करते हैं कि व्यापार व फैक्ट्रीयां गुजरात आ रही है तब मुझे लगता है कि अब मुझे अच्छी नौकरी मिलेगी पर यह आज तक नहीं हो सका. मुझे 4000 तंख्वाह मिलती है जिससे मेरा 6 सदस्यों का परिवार पुरा खाना नहीं खा सकता. बच्चों कि पढ़ाई लिखाई तो दूर कि बात है.”

यह सच है गुजरात के हज़ारों फैक्ट्रीयों में काम करने वाले लाखों मजदूरों का. मोदी ने गुजरात के अमीरों को और अमीर बनाने के लिए सभी प्रबन्ध किए हैं. ब्रिटेन के हाई कमीशनर जेम्स बेवन से मुलाकात उसी की एक कड़ी थी. एक तरफ तो बीजेपी के लोग एफडीआई का विरोध करते हैं, दुसरी तरफ मोदी गुजरात में जेम्स बेवन से मिलकर उसे गुजरात में निवेश व व्यापार का निमन्त्रण देते हैं. गुजरात में विकास की यह परिभाषा हो गई है कि अमीर और अमीर तथा गरीब बद से बदतर होता जाए.

गुजरात में दलितों पर अत्याचार और उनसे छुआछुत पूरे देश के अन्य इलाकों से ज्यादा है. जैसा कि मानव अधिकार आयोग की रिपोर्ट में बताया गया है. दो महिने पहले गुजरात की पुलिस ने एके-47 राइफल से कुछ दलितों को मार दिया था. गुजरात में मुस्लिम इलाकों में शिक्षा व अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभाव है उन्हें दुसरे दर्जे का नागरिक बनकर रहना पड़ रहा है.

यह सच है कि चुनाव परिणामों में मोदी की विजय हुई है और अब आने वाले 5 साल और गुजरात में मोदी के सपनों का विकास होगा. अमीर आदमी और अमीर बनेगा तथा गरीब का जीवन और बदतरीन होगा. विकास सिर्फ अमीरों का और उच्च जाति के लोगों का होगा और विनाश होगा गरीबों का, दलितों का और मुसलमानों का. अब मोदी विकास पुरूष जो ठहरे, तो खुद का विनाश तो कर नहीं सकते.

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