India

लूट की दास्तान —5…

लूट की दास्तान —1…

लूट की दास्तान —2…

लूट की दास्तान —3…

लूट की दास्तान —4…

अखिलेश दास व उनकी पत्नी अलका दास गुप्ता इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक का चीरहरण करते रहे और जिम्मेदार सरकारी महकमों ने अपनी आंखे बंद कर ली. ये बात गले नहीं उतरती, जिस अंदाज में बैंक की महालूट को अंजाम दिया गया. उससे खासतौर पर आरबीआई के बड़े अफसर कटघरे में खड़े हो गये हैं.

आरबीआई के बड़े अफसरों ने हजारों करोड़ की लूट की जिम्मेदार चेयरमैन रही अखिलेश दास की पत्नी अलका दास गुप्ता को बचाने की नियत से कोर्ट में गलत हलफनामा तक दे दिया. यहीं नहीं जब बैंक में हजारों करोड़ की लूट व मनीलांड्रिंग का खेल शातिराना अंदाज में खेला जा रहा था तो आखिर मर्केंटाइल बैंक को सरकारी संस्थानों का पैसा हड़पने के लिए शेड्यूल बैंक का लाइसेंस किस आधार पर मिला, इसकी जांच करायी जाये तो आरबीआई के कई बड़े अफसरों का असली चेहरा बेनकाब हो जायेगा.

मर्केंटाइल बैंक के खाता धारक एमबी कंसल्टेंट के खाते में एक जनवरी 2000 से 29 फरवरी 2008 के बीच 1757.89 लाख का संदिग्ध लेनदेन हुआ. आरबीआई ने अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में साफतौर पर कहा है कि यह फर्जी खाता है और बेनामी लेनदेन के लिए खोला गया है. आरबीआई अफसर इस बेनामी खाते के कारण खुद ही कटघरे में खड़े हो गये हैं. आडिट के बावजूद आरबीआई को यह जानने में आठ साल का लंबा समय कैसे लग गया कि एमबी कंसल्टेंट का खाता फर्जी है. इसी तरह 2009 में सीजीएम के यहां जब आरबीआई ने मामला दायर किया तो आरोपियों में कहीं भी अलका दास गुप्ता का नाम नहीं था.

Dr.-Akhilesh-Das-Gupta

अपने अफसरों की काली करतूतों के कारण रिजर्व बैंक आफ इण्डिया (आरबीआई) कटघरे में खड़ा है. इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक में हजारों करोड़ की लूट के जिम्मेदार बसपा सांसद अखिलेश दास व उनकी पत्नी अलका दास गुप्ता ने एक बेहद फुलप्रूफ प्लानिंग के जरिए आरबीआई के बड़े अफसरों को करोड़ों की मोटी रकम देकर खरीद लिया था. नतीजतन गुप्ता दंपत्ति पर अफसरों की मेहरबानी से किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गयी. बकायदा करोड़ों के घूसकांड की शिकायत गर्वनर आरबीआई, वित्त मंत्रालय व केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त तक से की गयी, लेकिन अखिलेश दास की पहुंच और पैसे के दम पर यह पूरा मामला दबवा दिया गया.

लखनऊ निवासी मनोज कुमार जैन ने 25 जून 2012 को भेजे शिकायती पत्र में कहा है कि लखनऊ की आरबीआई यूनिट के अर्बन बैंकिंग डिपार्टमेंट के अफसरों ने इंडियन मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक के चैयरमैन से करीब डेढ़ करोड़ रुपए एक दलाल किस्म के शख्स रोहन सिंघानिया के जरिए लिया. शिकायत में 8 हजार करोड़ के ऋण व अन्य के जरिए भारी अर्बन कोआपरेटिव बैंकिंग डिपार्टमेंट ने कभी मर्केंटाइल बैंक का निरीक्षण सही तरीके से नहीं किया.

पत्र में साफतौर पर दिया है कि अखिलेश दास गुप्ता (पूर्व चेयरमैन) ने रोहन सिंघानिया के जरिए आरबीआई अफसरों को भारी रिश्वत दी है. करोड़ों की घूस लेने के कारण ही बैंक के अफसर 2009 की मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर नहीं दर्ज करा रहे हैं. यह घोटाला हजारों करोड़ की महालूट का समर्थन है.

दिखावे के तौर पर आरबीआई की लखनऊ यूनिट ने दिशा निर्देशों के उल्लंघनों व गंभीर अनियमितताओं पर महज पांच लाख का जुर्माना मर्केंटाइल कोआपरेटिव बैंक पर लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया. 2007 की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर तक नहीं करायी गयी.

2007 के बाद 2009 की निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर भी आरबीआई अफसरों ने अखिलेश दास गुप्ता के खिलाफ किसी भी प्रकार का कोई आपराधिक मामला नहीं दर्ज कराया. जबकि अरबों के फर्जी लोन और घोटाले के प्रमाण खुद आरबीआई की अपनी निरीक्षण रिपोर्ट में मौजूद थे.

शिकायतकर्ता ने बकायदा रोहन सिंघानिया और तत्कालीन सीजीएम आरबीआई एससी अग्रवाल के बीच सनसनीखेज ई-मेलों के आदान-प्रदान का पूरा ब्यौरा भी शिकायत के साथ भेजा है. जिसमें घूस के लेन-देन का पूरा विवरण कैद है. शिकायत के बावजूद 2004 से 2009 के बीच आरबीआई ने कार्यवाही क्यों नहीं की यह अपने आप में बड़ा सवाल है.

ई-मेल में साफतौर पर दिया है कि अखिलेश दास गुप्ता ने रोहन सिंघानिया को भारी पैसा दिया ताकि रिजर्व बैंक आफ इण्डिया की लखनऊ यूनिट के अफसर मैनेज हो सके. भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत आरबीआई के घूसखोर अफसरों और अखिलेश दास गुप्ता के खिलाफ विजिलेंस जांच की मांग की गयी, लेकिन अखिलेश दास गुप्ता ने पूरा घोटाला और घूसकांड रसूख और पैसे के बल पर दबवा दिया.

आरबीआई अफसरों की घूसखोरी की शिकायत सुप्रीमकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश से की गयी. लेकिन आरबीआई अभी तक महज यही कह सका है कि कार्यवाही की जा रही है.

                                                             —लूट की दास्तान आगे भी जारी रहेगी…

Loading...

Most Popular

To Top

Enable BeyondHeadlines to raise the voice of marginalized

 

Donate now to support more ground reports and real journalism.

Donate Now

Subscribe to email alerts from BeyondHeadlines to recieve regular updates

[jetpack_subscription_form]