BeyondHeadlines News Desk
पटना धमाके की तफ्तीश में एक नया मोड़ सामने आया है. दैनिक अखबार ‘हिन्दुस्तान’ के मुताबिक गांधी मैदान में मंगलवार को तफ्तीश के दौरान जो तीन जिन्दा बम बरामद किए थे, उनमें से एक जिस पॉलिथिन में पाया गया, उस पर गुजरात का पता है. अब तफ्तीश का एक एंगल यह भी है कि आतंकियों के पास यह पॉलिथीन आया कहां से? क्या आतंकियों ने इस पॉलिथान को गांधी मैदान में कहीं से पाया या उनमें से कोई गुजरात से ही इस साज़िश को अंजाम देने में लगा था? यानी एनआईए व बिहार पुलिस अब इस बात का भी पता लगाएगी कि कहीं इस धमाके में गुजरात कनेक्शन तो नहीं… हालांकि जांच एजेंसियों को पटना धमाके का पाकिस्तान से लिंक होने का शक है.
वहीं धमाके के अलर्ट को लेकर भी रस्साकशी चल रही है. बिहार सरकार बता रही है कि उसके पास धमाके को लकेर कोई अलर्ट नहीं था. बिहार पुलिस के एडीजी रवीन्द्र कुमार ने बताया कि केन्द्रीय एजेंसियों ने उन्हें बम धमाकों के बारे में कोई अलर्ट नहीं दिया था. लेकिन भाजपा नेताओं का मानना है कि बिहार सरकार झूठ बोल रही है. क्योंकि बिहार पुलिस को इंटेलिजेंस ब्यूरो ने 23 अक्टूबर 2013 के दिन अलर्ट भेजा था, जिसमें नरेंद्र मोदी की पटना रैली का ज़िक्र था. ये अलर्ट इतना बताने के लिए काफ़ी था कि इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े लोग नरेंद्र मोदी की पटना रैली पर हमला कर सकते हैं.
नीतिश कुमार व भजपा नेताओं का इस रस्साकशी को तो हमारी मीडिया काफी उछाल रही है. लेकिन उस अलर्ट पर खामोश है जिसे गुजरात आईबी ने मई महीने में दिया था. गुजरात आईबी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा था कि नरेन्द्र मोदी की रैली में कम तीव्रता वाले बम धमाके हो सकते हैं. और इस धमाके को हिन्दुत्व आतंकवाद से जुड़े लोग अंजाम देंगे ताकि नरेन्द्र मोदी ‘हिन्दुत्व’ के एजेंडे पर कायम रहे. सद्भावना मिशन की बात न करें. यह खबर 21 मई 2013 को एक अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में भी प्रकाशित हुई थी.
फिलहाल पटना धमाके की जांच एनआईए को सौंप दी गई है. गृह मंत्री सुशील शिन्दे ने कल एक प्रेस बयान में बताया कि नीतीश कुमार ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर पटना धमाके की जांच एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को सौंपने को कहा था. हम इस मामले की जांच एनआईए को सौंप रहे हैं.