- उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के धार्मिक भेदभाव पर चिंता प्रकट करने पर सवाल उठाना, प्रधानमंत्री मोदी के रामचरित्रमानस जारी करने पर तालियां बजाना.
- इलाहाबाद हाई कोर्ट का तमाम धार्मिक संस्थानों के बजाए सिर्फ़ मदरसों पर तिरंगा फ़हराना अनिवार्य करना.
- नई दिल्ली के औरंगज़ेब रोड का नाम बदलना और इस पर बहस के बहाने इस्लाम को निशाना बनाना.
- अकबरउद्दीन ओवैसी को भड़काऊ भाषण के लिए जेल जाना, उनसे भी कट्टर भाषण देने के बावजूद योगी आदित्यनाथ का खुला घूमना.
- योग दिवस के नाम पर हिंदू धर्म को बढ़ावा देना और इस्लाम पर सवाल खड़े करना.
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक ख़ास धर्म की पुस्तक को विदेशी न्यौताओं को भारत की ओर से भेंट करना.
- प्रधानमंत्री की ओर से दिए जाने वाली इफ़्तार पार्टी को बंद करना.
- प्रधानमंत्री का सभी धर्मों की पोशाकों को पहनना, उनके धर्मस्थलों में जाना, त्यौहार मनाना लेकिन एक ख़ास धर्म से घोषित दूरी बनाए रखना.
- जनता के पैसों से चलने वाले सरकारी संचार माध्यमों का इस्तेमाल एक ख़ास धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए करना.
- मुसलमानों को सरकारी नौकरियों, सेना, सुरक्षा एजेंसियों से दूर रखना. शिक्षण संस्थानों और अहम सरकारी पदों पर आरएसएस के प्यादें बिठाना.
- और इस सबसे बढ़कर भारत सरकार के विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना से धर्म-निर्पेक्ष शब्द हटाना.
उदाहरण और भी बहुत हैं. आप ख़ुद से पूछिए कि ऐसा किया क्यों जा रहा है. भारत का भविष्य आपके जवाब पर टिका है.
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