Edit/Op-Ed

वाह रे बीजेपी व तरूण तेजपाल… दोस्ती हो तो ऐसी!

Abhishek Upadhyay for BeyondHeadlines

बीजेपी ने आखिर तहलका के तरूण तेजपाल से अपनी दोस्ती निभा ही दी. जानने वाले जानते हैं कि बीजेपी के कुछ हाई प्रोफाइल नेता तरुण तेजपाल के खासे नजदीकी हैं और “सलेक्टिव लीक” व “सलेक्टिव ट्रैपिंग” के उस्ताद भी हैं. बीजेपी ने आखिरकार एक “ओपन एंड शट” क्रिमिनल केस को जानबूझकर “पोलिटिकल” केस बना डाला जिसका सीधा फायदा तरुण तेजपाल को मिल रहा है. अब हालत ये है कि सेक्युलरिज्म के नाम पर, बीजेपी विरोध के नाम पर और न जाने कितने नामों पर तरुण तेजपाल को वे समर्थक थोक के भाव मिलने लगे हैं जो अभी तक अपने बिलों में घुसे हुए थे और सब कुछ एकदम सोची समझी रणनीति से किया गया है.

पोजीशनिंग ये की गई कि हम तरुण तेजपाल का विरोध कर रहे हैं. पीड़ित लड़की के साथ हैं जबकि हकीकत में पूरे मामले को बेहद सोचे समझे और शातिराना तरीके से राजनीतिक शक्ल देकर तरूण तेजपाल के हाथ में राजनीतिक साजिश के आरोप का ताकतवर हथियार थमा दिया गया और रिटर्न गिफ्ट के तौर पर मुफ्त के समर्थकों की जमात भी पेश कर दी गई. इसे कहते हैं दोस्ती… तरुण को इसी बात की तो ज़रूरत थी. निभा ही दी बीजेपी ने अपनी दोस्ती.

शुरुआत की गोवा में बीजेपी के मुख्यमंत्री मनोहर परिकर ने जो जानबूझकर इस मामले में तरुण तेजपाल का नाम लेकर कूद पड़े. तरुण तेजपाल को बड़ी आसानी से मनोहर पारिकर का नाम लेकर खुद की बीजेपी के खिलाफ की गई स्टोरियों को गिनाने और इसे राजनीतिक साजिश करार देने का मौका दे दिया.

अगला नंबर था अरुण जेटली का जिन्होंने बाकायदा फेसबुक पर लिखकर तरुण तेजपाल और शोमा चौधरी को टारगेट कर दिया. इसके बाद सुषमा स्वराज भी लाठी डंडा लेकर मैदान में उतर आईं और तरुण तेजपाल का नाम लेकर ताबड़तोड़ प्रहार शुरू कर दिए.

रही सही कसर बीजेपी के एक दोयम दर्जे के नेता विजय जौली ने तहलका की पूर्व मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी के घर कालिख पोत कर पूरी कर दी. नतीजे में अब ये मामला राजनीतिक चासनी में लिपटकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच की फुटबाल बन गया है और तरुण के राजनीतिक समर्थकों की रातों रात नई पौध खड़ी हो गई है. यानि तरुण को इन मुश्किल हालातों में जो चाहिए था, वही मिल गया. वाह रे बीजेपी… दोस्ती हो तो ऐसी.

डर इस बात का है कि कहीं कुछ दिनों में लोग उस बेचारी पीड़िता को ही न भूल जाएं और ये मामला कांग्रेस-बीजेपी और तरुण तेजपाल के बीच राजनीतिक फुटबाल और बेसबाल का खेल बन कर ही न रह जाए…. भगवान बचाए ऐसी राजनीति से…  गजब की दोस्ती है भाई ये….

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