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छात्रों ने क्रांतिकारी अंदाज़ में किया ध्वजारोहण, प्रशासन को भी चेताया

Sankrityayan Rahul for BeyondHeadlines

नयी दिल्ली : राष्ट्र का पर्व हो और राष्ट्र ध्वज न फहराया जाये, ये बात सभी को अखरती है. खुद को पत्रकारिता का सर्वश्रेष्ठ संस्थान कहने वाले भारतीय जनसंचार संस्थान में भी कुछ ऐसा ही हुआ. 26 जनवरी की सुबह परिसर में कोई हलचल नहीं थी, न किसी प्रकार के  आयोजन की सुगबुगाहट… परिसर के सुरक्षाकर्मियों से पूछा गया तो बताया कि संस्थान में 26 जनवरी को किसी भी प्रकार का आयोजन नहीं होता.

यह सुनते ही छात्रों में रोष फैल गया और सभी ने बिना प्रशासनिक मदद के ध्वजारोहण करने की ठानी. छात्रों ने संस्थान के एक शिक्षक से इस सम्बन्ध में बात की तो उन्होंने भी कहा कि परिसर में 26 जनवरी का आयोजन नहीं होता, लेकिन छात्रों ने किसी की न सुनी और संस्थान के मुख्य परिसर में क्रांतिकारी तरीके से ध्वजारोहण किया.

छात्रों की जागरूकता की चर्चा पूरे परिसर में है. सवाल ये है कि 26 जनवरी केवल राजपथ के लिये मनाया जाता है. अगर ऐसा है तो क्यों हैं? सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत आने वाले संस्थान में 26 जनवरी के दिन ध्वजारोहण न होना एक सवाल है सभी के लिये जो इसे राष्ट्रीय पर्व कहते हैं. सुरक्षाकर्मियों से जब इस बावत जानकारी लेनी चाही गयी तो पूर्व में किसी हादसे की दुहाई देकर ध्वाजारोहण करने से मना किया गया.

बात केवल 26 जनवरी की ही नहीं है, बल्कि 15 अगस्त को भी यहां केवल औपचारिकता निभाई जाती है. यहां उस दिन ध्वजरोहण 11 बजे के आस पास किया जाता है और देरी का कारण ये बताया जाता है कि महानिदेशक सुबह लाल क़िला चले जाते हैं. क्या परिसर में महानिदेशक कि अनुपस्थिति में कोई और ध्वजारोहण नहीं कर सकता? आखिर और भी अधिकारी हैं संस्थान में.

26 जनवरी को परिसर में ध्वजारोहण न होना कई सारे सवाल छोड़ जाता है. सबसे बड़ा तो ये कि जिस संस्थान में पत्रकारिता के मानदण्ड पढ़ायें जाते हैं अगर उसी संस्थान में ये हालात है तो बाकी से क्या उम्मीद करें? संस्थान के अमरावती केन्द्र जो कि महाराष्ट्र में हैं वहां भी 26 जनवरी को ऐसे ही हालात रहे और 15 अगस्त भी नहीं मनाया गया था.

ध्वजारोहण करने वाले छात्रों का कहना था कि वे चाहते तो संस्थान प्रशासन के खिलाफ कर्रावाई जैसा सख्त क़दम भी उठा सकते थे लेकिन उन्होंने किसी पर दोष मढ़ने से बेहतर खुद ही ध्वजारोहण समझा. छात्रों का कहना है कि प्रशासन अगर ये काम भी नहीं कर सकता तो किस हक़ से पत्रकारिता का उच्च संस्थान होने का दावा करता है. उन्होंने कहा कि अगर आगे से ऐसी गलती हुई तो हम ध्वजारोहण भी करेंगे और शिकायत भी.

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